@ नई दिल्ली :
विरासत, संस्कृति और विविधता के मामले में समृद्ध भारत का पर्यटन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर पसंदीदा और आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में उभर रहा है। रोजगार आधारित विकास से संबंधित इसकी क्षमता को पहचानते हुए, केन्द्रीय बजट 2025-26 ने बुनियादी ढांचे, कौशल विकास और यात्रा संबंधी सुविधा को बढ़ाने हेतु 2541.06 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। एक प्रमुख पहल में चुनौती मोड के माध्यम से राज्यों के साथ साझेदारी में 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों को विकसित करना, विश्वस्तरीय सुविधाएं और कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना शामिल है। प्रतिबद्ध प्रयासों के साथ, पर्यटन क्षेत्र 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में ले जाएगा।
पर्यटन क्षेत्र में रोजगार आधारित विकास
पर्यटन क्षेत्र ने वित्तीय वर्ष 2013 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5 प्रतिशत के योगदान के महामारी-पूर्व स्तर को फिर से हासिल कर लिया। वित्तीय वर्ष 2023 में पर्यटन क्षेत्र ने 7.6 करोड़ नौकरियां सृजित कीं। भारत में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आगमन (आईटीए) 2023 में महामारी-पूर्व स्तर पर पहुंच गया है। विश्व आईटीए में भारत के आईटीए की हिस्सेदारी 2023 में 1.45 प्रतिशत रही। पर्यटन के माध्यम से प्राप्त होने वाली विदेशी मुद्रा आय 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। भारत को विश्व पर्यटन प्राप्तियों का 1.8 प्रतिशत हासिल हुआ और 2023 के दौरान विश्व पर्यटन प्राप्तियों में भारत का स्थान 14वां रहा।
2025-26 बजट में रोजगार-आधारित विकास को सुविधाजनक बनाने के उपाय:
1) आतिथ्य प्रबंधन संस्थानों सहित हमारे युवाओं के लिए सघन कौशल-विकास के कार्यक्रम आयोजित करना
2) होमस्टे के लिए मुद्रा ऋण प्रदान करना
3) पर्यटन स्थलों तक यात्रा एवं कनेक्टिविटी में आसानी को उन्नत करना
4) पर्यटकों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं, स्वच्छता और विपणन संबंधी प्रयासों सहित प्रभावी गंतव्य प्रबंधन के लिए राज्यों को प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन प्रदान करना और
5) कुछ पर्यटक समूहों के लिए वीजा-शुल्क में छूट के साथ-साथ सुव्यवस्थित ई-वीजा सुविधाओं की शुरुआत।
पर्यटन संबंधी बुनियादी ढांचे में बदलाव: कनेक्टिविटी और निवेश में वृद्धि
बजट पेश करते हुए, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने चुनौती मोड के माध्यम से राज्यों के साथ साझेदारी में 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों को विकसित करने हेतु एक ऐतिहासिक पहल की घोषणा की। इस पहल का उद्देश्य पर्यटन के बुनियादी ढांचे को उन्नत करना, यात्रा को आसान बनाना और प्रमुख स्थलों तक कनेक्टिविटी को मजबूत करना है। इस रूपरेखा के हिस्से के रूप में, राज्यों को होटलों सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए जमीन उपलब्ध कराने की आवश्यकता होगी, जिसे निवेश आकर्षित करने और आतिथ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इंफ्रास्ट्रक्चर हार्मोनाइज्ड मास्टर लिस्ट (एचएमएल) के तहत वर्गीकृत किया जाएगा।
इस प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, 23 राज्यों की 40 परियोजनाओं को राज्यों को पूंजीगत निवेश के लिए विशेष सहायता के तहत 50 वर्षों के लिए 3,295.8 करोड़ रुपये की राशि का ब्याज-मुक्त ऋण मिलेगा। यह फंडिंग उनके विकास और रणनीतिक विपणन को सुविधाजनक बनाकर विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त पर्यटन स्थलों के निर्माण में सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा, स्वदेश दर्शन योजना 2.0 (एसडी 2.0), जोकि टिकाऊ एवं जिम्मेदार पर्यटन पर केन्द्रित है, का विस्तार जारी रहेगा और इस पहल के तहत 34 परियोजनाओं को पहले ही मंजूरी दे दी गई है, जिन्हें 793.2 करोड़ रुपये की कुल फंडिंग मिलेगी। पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को मजबूत करने हेतु सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में कौशल विकास के लिए 60 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह फंडिंग युवाओं के लिए सघन कौशल-विकास के कार्यक्रमों का समर्थन करेगी, जिसमें आतिथ्य प्रबंधन और अन्य पर्यटन-संबंधी सेवाओं से जुड़ा प्रशिक्षण शामिल है।
आध्यात्मिक पर्यटन को पुनर्जीवित करना: विरासत और तीर्थयात्रा पर ध्यान
धार्मिक पर्यटन के गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को पहचानते हुए सरकार तीर्थयात्रा और विरासत से जुड़े स्थलों के विकास को प्राथमिकता देगी। बौद्ध पर्यटन का एक प्रमुख केन्द्र बनने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, भगवान बुद्ध के जीवन एवं शिक्षाओं से जुड़े स्थलों पर विशेष जोर दिया जाएगा।
तीर्थस्थल कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन अभियान (प्रसाद) प्रमुख तीर्थ स्थलों और विरासत वाले शहरों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, आगंतुकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं एवं पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। आध्यात्मिक पर्यटन को मजबूत करके, सरकार का लक्ष्य इस क्षेत्र में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देते हुए भारत को एक वैश्विक सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में स्थापित करना है।
चिकित्सा पर्यटन: “हील इन इंडिया” के माध्यम से भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करना
भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की अपार संभावनाओं को पहचानते हुए, केन्द्रीय बजट 2025-26 में विकास के प्रमुख चालक के रूप में चिकित्सा पर्यटन को प्राथमिकता दी गई है। वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि चिकित्सा पर्यटन और “हील इन इंडिया” पहल को निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य सेवा गंतव्य के रूप में भारत की हैसियत बढ़ेगी। विश्वस्तरीय चिकित्सा संबंधी विशेषज्ञता, अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और आयुर्वेद एवं योग जैसी पारंपरिक कल्याण प्रणालियों का लाभ उठाकर, भारत का लक्ष्य उच्च गुणवत्ता वाला किफायती उपचार चाहने वाले अंतरराष्ट्रीय रोगियों के एक बड़े हिस्से को आकर्षित करना है।
मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) की बढ़ती संभावनाएं
भारत के मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2020 में इसका बाजार 2.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का था, जिसके 2026 तक 13.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो उच्च गुणवत्ता वाले एवं किफायती उपचार की तलाश में लगे विदेशी रोगियों के आगमन में वृद्धि से प्रेरित है।
इस क्षेत्र में भारत के प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
फोकस में विशिष्टताएं
भारतीय हेल्थकेयर इकोसिस्टम आधुनिक चिकित्सा, आयुर्वेद, योग और हेल्थकेयर की अन्य पारंपरिक प्रणालियों से लेकर हेल्थकेयर स्पेक्ट्रम में विश्वस्तरीय चिकित्सा संबंधी देखभाल/उपचार प्रदान कर रहा है। यह तृतीयक-चतुर्थक स्तर की देखभाल, गंभीर पुरानी एवं गैर-संचारी रोगों के लिए उपचार और हृदय रोग संबंधी देखभाल, हड्डी रोग, तंत्रिका विज्ञान, ऑन्कोलॉजी, तथा स्वास्थ्य-पुनरोद्धार संबंधी प्रोत्साहन, कार्यात्मक स्वास्थ्य एवं चिकित्सीय कल्याण जैसी सभी प्रमुख चिकित्सा विशिष्टताओं में व्यापक पुनर्वास प्रदान करता है।
मेडिकल वीजा की शुरुआत
ज्ञान भारतम् मिशन
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि अकादमिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के साथ हमारी पांडुलिपि संबंधी विरासत का दस्तावेजीकरण और संरक्षण किया जाएगा ताकि एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को कवर किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार ज्ञान साझा करने के उद्देश्य से भारतीय ज्ञान प्रणालियों का एक राष्ट्रीय डिजिटल भंडार स्थापित करेगी।