@ भुवनेश्वर ओडिशा :
बाली जात्रा एक ऐसा त्यौहार है जो ओडिशा और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों, विशेष रूप से बाली के बीच समुद्री व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की याद दिलाता है। यह त्यौहार ओडिशा के कटक में प्रतिवर्ष मनाया जाता है और इसमें लाखों पर्यटक आते हैं।
बाली जात्रा शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘बाली की जात्रा’। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन समुद्री व्यापारी इंडोनेशियाई द्वीपों के लिए रवाना होते थे। ओडिशा के लोग, इस त्यौहार के लिए, अपने गौरवशाली समुद्री इतिहास का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में रंग-बिरंगे परिधानों में एकत्रित होते हैं। इस उत्सव में भव्य मेले, विस्तृत सवारी, भोजन और नृत्य शामिल हैं।
भारतीय महिलाएँ ‘बोइता बंदना’ करती हैं, वे कागज़ या केले के पत्ते (शोलापीठ) की नावें बनाती हैं जिनमें अंदर जलते हुए दीपक होते हैं। बाली यात्रा उन कुशल नाविकों की प्रतिभा और कौशल का जश्न मनाती है जिन्होंने कलिंग को अपने समय के सबसे समृद्ध साम्राज्यों में से एक बनाया।
यह उत्सव ओडिशा सरकार के संस्कृति और पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एक स्वायत्त संगठन, पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र (ईजेडसीसी), कोलकाता, जात्रा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए सांस्कृतिक दल उपलब्ध कराकर इस आयोजन में भाग लेता है, जिसका विवरण इस प्रकार है:
वर्ष | कार्यक्रम का नाम | तारीख | कार्यक्रम का स्थान | प्रस्तुत कला रूप |
2022-23 | बालीजात्रा कटक उत्सव – 2022 | 8 से 16 नवंबर, 2022 | कटक | बिहू, नागारा, कुचिपुड़ी, पुरुलिया छऊ, और झूमर नृत्य |
2023-24 | बालीजात्रा कटक उत्सव – 2023 | 27 नवंबर से 4 दिसंबर, 2023 | कटक | पुरुलिया छाऊ, पाइका, समकालीन नृत्य और ओडिसी |
2024-25 | बालीजात्रा कटक उत्सव – 2024 | 15 से 22 नवंबर, 2024 | कटक | बिहू, कथक, पुरुलिया छाऊ और रफ/डोगरी |
आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत, राज्य के गौरवशाली समुद्री इतिहास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कटक स्थित ओडिशा समुद्री संग्रहालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय धारा कार्यक्रम ‘समुद्रमंथन’ का आयोजन किया गया, जो ऐतिहासिक बाली जात्रा के उद्घाटन के साथ ही शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में देश के समुद्री इतिहास के स्थानों, परंपराओं, जहाज निर्माण, नौवहन, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, समुद्री सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय कानून पर पैनल और गोलमेज चर्चाएँ शामिल थीं।
जात्रा ओडिशा और अन्य राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाता है, जिससे अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा मिलता है। जात्रा पारंपरिक ओड़िया कलाकारों, शिल्पकारों और संगीतकारों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है जो ओड़िया संस्कृति को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने में मदद करता है। यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।