शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना नहीं है, एक भद्र समाज का निर्माण करना है : ओ पी मिश्रा

@ सिद्धार्थ पाण्डेय गुवा/ जमशेदपुर झारखंड

डीएवी पब्लिक स्कूल झारखंड ए जोन, जमशेदपुर संभाग डीएवी स्कूल्स सहायक रीजनल ऑफिसर ओपी मिश्रा ने डीएवी पब्लिक स्कूल चाईबासा कार्यालय में डीएवी, सेंटर ऑफ एकेडमिक एक्सीलेंस, नई दिल्ली के तत्वधान में झारखंड ए जोन जमशेदपुर संभाग द्वारा तीन दिवसीय शिक्षण जागरूकता कार्यक्रम कैपेसिटी बिल्डिंग के दौरान साक्षात्कार में शिक्षा रूपी अनमोल रत्न पर सारगर्भित विचार देते हुए साक्षात्कार दिया ।

उन्होंने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में अच्छा संस्कार दे, उन्हें मानव बनाना है। उन्होंने बताया कि बर्तमान में उनके अंतर्गत झारखण्ड ए जोन जमशेदपुर संभाग के संचालित डीएवी स्कूल्स में गुआ,चिड़िया,नोआमुंडी, झींकपानी, बुण्डू और बहरागोड़ा के साथ-साथ पूर्वी सिंहभूम के एन.आई.टी.जमशेदपुर में बेहतर से बेहतर शिक्षा बच्चो को दी जा रही है ।

दिन प्रतिदिन संस्था से उत्तीर्ण हो रहे मेधावी बच्चे राष्ट्र का एक अंगीभूत इकाई बनकर सबको सामने दिख रहें है । स्कूल का माहौल ऐसा होना चाहिए कि बच्चों के कंपन में शिक्षा दिखाई पड़े।स्कूल शिक्षा का वह केंद्र है जो मंदिर और मस्जिद से भी ज्यादा पवित्र है। सहायक रीजनल ऑफिसर श्री ओ.पी.मिश्रा ने बताया कि जो शिक्षा स्कूल में मिलती है, वह मंदिर और मस्जिद में भी नहीं मिल सकती हैं ।

स्कूल मस्जिद और मंदिर से भी ज्यादा पवित्र स्थान होता है. जहां पर ईश्वर की सबसे अनमोल कृति नन्हे- नन्हे बच्चे एक अच्छे इंसान, भविष्य के भारत के निर्माता बनते हैं ।उन्होंने कहा कि डीएवी संस्था का मूल उद्देश्य आर्य समाज के सिद्धांतों पर चलना और सही मायने में एक आर्य भारत बनाना है ।उन्होंने शिक्षक की गरिमा की महिमा मंडन करते हुए बताया कि शिक्षक अगर चाह ले तो कुछ भी कर सकता है. समाज की दिशा बदल सकता है ।

बदलते समय में शिक्षा, पूर्णता तकनीकी ज्ञान से परिपूर्ण होना जरूरी है. शिक्षक का उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना नहीं है ।एक भद्र समाज का निर्माण करना है, जहां अपनापन हो, एक दूसरे की सुख-दुख की चिंता हो और पूरे भारत का भविष्य का निर्माण हो. इसके लिए पूरी तरीके से समर्पित हो शिक्षको को कार्य करना होगा । आगे झारखंड ए जोन, जमशेदपुर संभाग डीएवी स्कूल्स सहायक रीजनल ऑफिसर ओपी मिश्रा ने बताया कि वर्तमान परिवेश में शिक्षकों को सदैव कक्षा में हंसते मुस्कुराते हुए जाना चाहिए तथा उन्हें उनके अध्यापन की विधि इतनी अच्छी होनी चाहिए बच्चे कक्षा में शिक्षक आने का इंतजार पलके बिछाँ कर करें ।

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