जे पी नड्डा ने औषधि, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों के विनियमन की समीक्षा की

@ नई दिल्ली

भारत को ‘विश्व की फार्मेसी’ की अपनी वैश्विक प्रतिष्ठा के अनुरूप औषधि विनियमन में वैश्विक अग्रणी देश बनने के लिए हमें अपने परिचालन के पैमाने और अंतर्राष्ट्रीय अपेक्षाओं के अनुरूप विश्व स्तरीय नियामक व्यवस्था की आवश्यकता है।

यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने औषधियों सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों के विनियमन की समीक्षा करते हुए कही। उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ राजीव सिंह रघुवंशी और  केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

दवाओं के अग्रणी उत्पादक और निर्यातक के रूप में भारत की वैश्विक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए  जे पी नड्डा ने CDSCO द्वारा अपने कार्यादेश के तहत वैश्विक मानकों को प्राप्त करने की समयसीमा के साथ एक रोडमैप तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एकरूपता तकनीकी उन्नयन और भविष्यउन्मुख दृष्टिकोण के उच्चतम मानकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्नयन को प्रणालीआधारित होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात के लिए उचित हस्तक्षेप के लिए प्रणाली तैयार की जानी चाहिए ताकि निर्यात की जा रही औषधियों की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि CDSCO के लिए दवा एवं चिकित्सा उपकरण उद्योग के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि उनके मुद्दों को समझा जा सके तथा CDSCO की गुणवत्ता अपेक्षाओं और मानकों को पूरा करने के लिए उनका समर्थन किया जा सके। उन्होंने कहा हमारा ध्यान ऐसी व्यवस्था विकसित करने पर होना चाहिए जो विनियामक आवश्यकताओं के भीतर दवा उद्योग के लिए व्यापार करना आसान बना सकें। इसके लिए CDSCO को वैश्विक मानकों के अनुरूप अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ उपयोगकर्ताअनुकूल संगठन बनने की आवश्यकता है। 

औषधि निर्माण में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमईक्षेत्र तथा लघु उद्योगों के समक्ष गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में आने वाली समस्याओं के विषय पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा हमें एमएसएमई क्षेत्र के समक्ष आने वाली समस्याओं को समझने की जरूरत है तथा एक ओर उनकी क्षमता और उत्पादों की गुणवत्ता को मजबूत करने में उनका समर्थन किया जाना चाहिए तथा दूसरी ओर उन्हें विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

नड्डा को CDSCO की कार्यादेश आधारित गतिविधियों इसकी उपलब्धियों भविष्य की योजनाओं तथा CDSCO के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों के बारे में जानकारी दी गई। मंत्री को 850 करोड़ रुपये के बजट के साथ राज्य औषधि विनियामक प्रणाली को मजबूत करने की योजना की प्रगति के बारे में भी जानकारी दी गई जिसे उनके पिछले कार्यकाल के दौरान 2016 में लॉन्च किया गया था।

केंद्रीय मंत्री को केंद्रीय और राज्य औषधि विनियामक निकायों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों तथा उनके बीच तालमेल बिठाने में आने वाली कुछ चुनौतियों के बारे में जानकारी दी गई। इस बात को रेखांकित करते हुए कि राज्य हमारी विनियामक मूल्य श्रृंखला का अभिन्न अंग हैं  नड्डा ने राज्यों के साथ मिलकर काम करने के महत्व पर जोर दिया ताकि उनके कौशल और क्षमताओं को बढ़ाया जा सके तथा उन्हें केंद्र सरकार के गुणवत्ता मानकों के साथ तालमेल बिठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहा यह विशेष रूप से CDSCO द्वारा वैश्विक स्तर पर विनिर्माण के अच्छे तौरतरीकों के उन्नयन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

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