@ सिद्धार्थ पाण्डेय /चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम ) झारखंड
श्रावण मास का पहला दिन और पहली सोमवार होने पर उत्साह से भरे बाबा के भक्तों ने प्रातः काल से ही बड़बिल नगर के विभिन्न देवालयों में लम्बी कतारें देखी गई। हाथों में फूल – फल, दीप – धूप और कलश में जल, दूध लेकर बाबा भोलेनाथ को अर्पित किए। वहीं श्रावण मास के प्रथम दिन और पहली सोमवार होने से देवालय पूरी तरह से सुसज्जित होकर बाबा के भक्तों के लिए तैयार दिखी ।
बड़बिल नपा अंतर्गत वार्ड संख्या चार में स्थित पशुपति नाथ मन्दिर में पुरोहित द्वारा मंत्रोचारण के साथ जलाभिषेक करते माँ शिवालिक के प्रबंध निदेशक सह बाबा भोले नाथ के भक्त राजीव यादव को तल्लीन देखा गया ।
इस अवसर में राजीव यादव ने कहा कि बाबा भोले नाथ की भक्ति में शक्ति है। वे त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, भिलपती, भिलेश्वर,रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।
माँ शिवालिक के प्रबंध निदेशक सह बाबा भोले नाथ के भक्त राजीव यादव ने बताया कि रावण को शिव का परम भक्त इसलिए ही बताया जाता है क्योंकि उन्होंने शिव को पाने के लिए ऐसी तपस्या की थी जो कभी किसी ने नहीं की।
सच्चाई यह है कि अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव और विष्णु के जन्म के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है । विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा, भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव, भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए हैं।