@ नई दिल्ली
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद (LWE) पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना के मुख्यमंत्री, बिहार के उपमुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री शामिल हुईं। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति देने में राज्यों का सहयोग कर रहे केन्द्रीय मंत्रालयों के मंत्री भी उपस्थित थे। इसके अलावा केन्द्रीय गृह सचिव, निदेशक, आसूचना ब्यूरो, उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, LWE प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।
अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में LWE प्रभावित सभी राज्य कंधे से कंधा मिलाकर मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के प्रति कटिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है और हमारे 8 करोड़ आदिवासी भाइयों और बहनों की इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। शाह ने कहा कि विकसित भारत का सही अर्थ है कि देश की 140 करोड़ की जनता तक विकास पहुंचे, जिनमें हमारे 8 करोड़ जनजातीय भाई-बहन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विकास को सही मायनों में दूरदराज़ के इलाकों और जनजातीय लोगों तक पहुंचाने में सबसे बड़ी बाधा आज नक्सलवाद है। नक्सलवाद गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, कनेक्टिविटी, बैंकिंग और डाक सेवाएं आदि नहीं पहुंचने देता। शाह ने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक विकास को पहुंचाने के लिए हमें नक्सलवाद को समूल नष्ट करना होगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2019 से 2024 तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि हम, केन्द्र और राज्य सरकारों के साझा प्रयासों से वामपंथी अंधकार की जगह संविधान प्रदत्त अधिकारों को जगह देना और वामपंथी हिंसक विचारधारा की जगह विकास और विश्वास का एक नया युग शुरू करना चाहते हैं। शाह ने कहा कि हम वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस और सरकारी योजनाओं के शत-प्रतिशत इंप्लीमेंटेशन से LWE-प्रभावित क्षेत्रों को पूर्ण विकसित बनाना चाहते हैं।
अमित शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से लड़ने के लिए सरकार ने दो Rule of Law तय किए थे। पहला, नक्सलवाद-प्रभावित क्षेत्रों में कानून का राज स्थापित करना और गैरकानूनी हिंसक गतिविधियों को पूर्णतया बंद करना। दूसरा, लंबे नक्सली आंदोलन के कारण जो क्षेत्र विकास से महरूम रहे, वहां उस क्षति को तेज़ी से भरना।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 30 साल में पहली बार वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवाद की मृत्यु की संख्या 100 से कम रही, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि 2014 से 2024 के बीच नक्सलवाद की बहुत कम घटनाएं दर्ज की गईं। इसके अलावा, 14 शीर्ष नक्सली नेताओं को न्यूट्रलाइज़ किया गया और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का ग्राफ भी ऊपर चढ़ा है। शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई आज अपने अंतिम चरण में है और मार्च, 2026 तक सभी के सहयोग से देश दशकों पुरानी इस समस्या से पूरी तरह मुक्ति पा लेगा। उन्होंने कहा कि आज बूढ़ा पहाड़ और चकरबंधा जैसे कई क्षेत्र वामपंथी उग्रवाद से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में LWE की 85 प्रतिशत कॉडर स्ट्रैंथ समाप्त कर दी गई है और अब हमें नक्सलवाद पर एक अंतिम प्रहार करने की ज़रूरत है।
अमित शाह ने कहा कि 2019 से मोदी सरकार ने एक बहुकोणीय रणनीति पर अमल शुरू किया जिसके तहत केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) की तैनाती के लिए वैक्यूम ढूंढे गए। इसके परिणामस्वरूप एक ही साल में 194 से अधिक कैंप स्थापित किए गए, जिससे हमें बहुत बड़ी सफलता मिली है। शाह ने कहा कि 45 पुलिस स्टेशनों के माध्यम से सुरक्षा वैक्यूम को खत्म, राज्य इंटेलीजेंस की शाखाओं को सुदृढ़ करने और राज्यों के विशेषबलों के बहुत अच्छे प्रदर्शन से हमें अपनी रणनीति में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि हैलीकॉप्टर के प्रावधान से हमारे जवानों की मृत्यु की संख्या में बहुत कमी ई है। पहले जहां 2 हैलीकॉप्टर्स जवानों की सेवा में तैनात थे, आज 12 हैलीकॉप्टर्स (6 बीएसएएफ और 6 एयर फोर्स) तैनात हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने छत्तीसगढ़ सरकार को बधाई देते हुए कहा कि राज्य में इस साल जनवरी से अब तक कुल 237 नक्सली मारे गए, 812 गिरफ्तार हुए और 723 ने आत्मसमर्पण किया है। गृह मंत्री ने नक्सलवाद से जुड़े युवाओं से हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर देश के विकास में योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि नॉर्थईस्ट, कश्मीर और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 13 हज़ार से ज्यादा लोग हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। शाह ने कहा कि नक्सलवाद में लिप्त युवाओं से कहा कि सभी राज्यों ने उनके पुनर्वास के लिए हितकर योजनाएं बनाई हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से कभी किसी का फायदा नहीं होगा, ये बात अब पूरी तरह सिद्ध हो चुकी है।
अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा वैक्यूम को भरने के लिए 2019 से अब तक हमने 280 नए कैंप बनाए हैं, 15 नए जॉइंट टास्क फोर्स बनाए हैं और अलग-अलग राज्यों में राज्य पुलिस की सहायता के लिए CRPF की 6 बटालियन भेजी हैं। इसके साथ ही NIA को भी सक्रिय कर नक्सलियों के वित्तपोषण को रोकने की एक ऑफेंसिव रणनीति अपनाई है जिसके कारण उनके पास आर्थिक संसाधनों की कमी हो गई है। गृह मंत्री ने कहा कि कई दिनों तक चलने वाले अनेक ऑपरेशन चलाए गए जिससे नक्सली घिर जाते हैं और उन्हें भागने का मौका नहीं मिलता है।
गृह मंत्री ने कहा कि नक्सलवाद आदिवासी क्षेत्रों के विकास में सबसे बड़ी बाधा और संपूर्ण मानवता का दुश्मन होने के साथ ही मानवाधिकारों का सबसे बड़ा हनन करने वाला भी है। उन्होंने कहा कि 8 करोड़ लोगों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखना मानवाधिकार का सबसे बड़ा हनन है। शाह ने कहा कि हजारों निर्दोष आदिवासी भाई-बहन नक्सलियों द्वारा लगाई गई बारूदी सुरंगों से मारे जाते हैं और नक्सलवाद के कारण ही इन क्षेत्रों में विकास रुका हुआ है।
अमित शाह ने कहा कि हमें नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन की दिशा में काम करना चाहिए। हमें अप्रैल, 2026 में देश की जनता की सामूहिक ताकत के ज़रिए देश को ये बताना है कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने मिलकर नक्सलवाद की समस्या को पूर्णतया समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि उसके बाद विकास के रास्ते में कोई बाधा नहीं आएगी, कभी भी मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं होगा और आईडियोलॉजी के नाम पर हिंसा भी नहीं होगी।