@ नई दिल्ली :
भारतीय न्याय संहिता 2023 में पहली बार महिला और बच्चों के खिलाफ अपराध से सम्बंधित प्रावधानों को प्राथमिकता दी गई है और उनके लिए एक अध्याय रखा गया है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा तक, सख्त दंड का प्रावधान किया गया है।
18 वर्ष से कम उम्र की महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए दोषी के लिए आजीवन कारावास की सजा है। शादी, नौकरी, पदोन्नति का झूठा वादा करके या पहचान छिपाकर यौन सम्बंध बनाने आदि के लिए एक नया अपराध भी बीएनएस में शामिल किया गया है।
नये आपराधिक कानूनों में महिलाओं की सुरक्षा से सम्बंधित मुख्य प्रावधान अनुलग्नक में दिए गए हैं।
सरकार मानव तस्करी की रोकथाम और इस अपराध से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। बीएनएस 2023 की धारा 143 में मानव तस्करी के लिए आजीवन कारावास तक की सख्त सजा का प्रावधान है। जहां अपराध में किसी बच्चे की तस्करी शामिल है, वहां कम से कम 10 साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना लगाया जा सकता है। ‘भिक्षावृत्ति’ को तस्करी के लिए शोषण के रूप में पेश किया गया है और यह बीएनएस, 2023 की धारा 143 के तहत दंडनीय है। इसके अलावा, बीएनएस की धारा 144 (1) में तस्करी किए गए बच्चों के यौन शोषण अपराध के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। ऐसे अपराधों के लिए न्यूनतम सजा पांच साल है और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रावधान :-
- बीएनएस के नए अध्याय-V में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को अन्य सभी अपराधों से ज्यादा प्राथमिकता दी गई है।
- बीएनएस में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ विभिन्न अपराधों में लैंगिक भेदभाव नहीं रखा गया है, तथा लैंगिक आधार को मिटाकर सभी पीड़ितों और अपराधियों को इसमें शामिल किया गया है।
- बीएनएस में गैंगरेप की नाबालिग पीड़िताओं के लिए उम्र का अंतर खत्म कर दिया गया है। पहले 16 साल और 12 साल से कम उम्र की लड़की से गैंगरेप के लिए अलग-अलग सजाएं तय थीं। इस प्रावधान में बदलाव किया गया है और अब अठारह साल से कम उम्र की लड़की से गैंगरेप के दोषी के लिए उम्रकैद या मौत की सजा का प्रावधान है।
- महिलाओं को परिवार के वयस्क सदस्य के रूप में मान्यता दी गई है जो सम्मन प्राप्त करने वाले व्यक्ति की ओर से सम्मन प्राप्त कर सकती हैं। पहले ‘कुछ वयस्क पुरुष सदस्य’ के संदर्भ को ‘कुछ वयस्क सदस्य’ से बदल दिया गया है।
- पीड़िता को अधिक सुरक्षा प्रदान करने तथा बलात्कार के अपराध से सम्बंधित जांच में पारदर्शिता लाने के लिए, पुलिस द्वारा पीड़िता का बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किया जाएगा।
- महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए, जहां तक संभव हो, पीड़िता का बयान एक महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए तथा उसकी अनुपस्थिति में एक पुरुष मजिस्ट्रेट द्वारा महिला की उपस्थिति में बयान दर्ज किया जाना चाहिए, ताकि संवेदनशीलता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके तथा पीड़ितों के लिए सहायक वातावरण बनाया जा सके।
- चिकित्सकों को बलात्कार की पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट 7 दिनों के भीतर जांच अधिकारी को भेजने का निर्देश दिया गया है।
- इसमें प्रावधान है कि पंद्रह वर्ष से कम आयु के या 60 वर्ष (65 वर्ष से पहले) से अधिक आयु के किसी पुरुष व्यक्ति या महिला या मानसिक या शारीरिक रूप से दिव्यांग या गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को उस स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी, जहां उस पुरुष या महिला का निवास स्थान है। ऐसे मामलों में जहां ऐसा व्यक्ति पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने के लिए इच्छुक है, उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जा सकती है।
- नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में मुफ्त प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार का प्रावधान है। यह प्रावधान चुनौतीपूर्ण समय के दौरान पीड़ितों की भलाई और रिकवरी को प्राथमिकता देते हुए आवश्यक चिकित्सा देखभाल तक तत्काल पहुंच सुनिश्चित करता है।
गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही।