@ सिद्धार्थ पाण्डेय /चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम ) झारखंड
श्रावण मास के दूसरे सप्ताह के सोमवार को देवालयों में लम्बी कतारें देखी गई। हाथों में फूल – फल, दीप – धूप और कलश में जल, दूध लेकर बाबा भोलेनाथ को अर्पित किए। देवालय पूरी तरह से सुसज्जित होकर बाबा के भक्तों के लिए तैयार दिखी । डीएवी गुवा की एक छात्रा को शिव भक्ति में लीन देखा गया।इस अवसर पर पुजारी प्रभात पाणी ग्रही ने कहा कि बाबा भोले नाथ की भक्ति में शक्ति है। वे त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं।
इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, भिलपती, भिलेश्वर,रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।बताया जाता है कि रावण को शिव का परम भक्त इसलिए उन्होंने शिव को पाने के लिए ऐसी तपस्या की थी जो कभी किसी ने नहीं की।