@ सिद्धार्थ पाण्डेय ओडिशा
दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत राजखरसवां खण्ड में स्थित क्योंझर जिला में बड़बिल – बांसपानी के बीच रेल संयोगीकरण क्षेत्र के लोगों के लिए किसी सपने से कम नहीं है।
उक्त बातें भाजपा के वरिष्ठ नेता आर के प्रधान ने बताते हुए कहा कि क्योंझर जिला में दो रेलवे जोन होने और उनके द्वारा क्षेत्र में विकास अक्सर लोगों द्वारा माँग की जाती रही है।भाजपा वरिष्ठ नेता आर के प्रधान का कहना है कि जबकि सात वर्ष पूर्व रेल बजट में इसका उल्लेख किया जा चुका है।
किन्तु रेल मंत्रालय और दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर मंडल प्रबन्धन की उदासीनता के कारण रेल मार्ग का संयोगीकरण नहीं हो सका है। वहीं क्योंझर जिलावासियों का मानना है कि जिलावासी वर्षों से बड़बिल – बांसपानी रेलमार्ग संयोगीकरण की बार-बार मांग करते रहे हैं लेकिन रेल प्रबंधन की कान में जूं नहीं रेंगी। परिणाम स्वरूप मांग पूरी नहीं होने पर स्थानीय लोगों में नाराजगी और आक्रोश देखा गया है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बांसपानी से बड़बिल तक 17 किलोमीटर लंबे मार्ग के बीच सीधी रेल संपर्क के अभाव में पुरी – बड़बिल एक्सप्रेस को 60 से 70 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है, जिससे यात्रियों को लगभग चार घंटे अतिरिक्त समय गवांना पड़ता है।
भाजपा वरिष्ठ नेता आर के प्रधान ने कहा है कि बड़बिल खनन क्षेत्र में 40 से अधिक खदानें हैं जहां खनिज का खनन कर सड़कों और रेल के माध्यम से परिवहन किया जाता है। ट्रकों डंपर और हाईवा जैसे भारी वाहनों से खनिजों और छर्रों के परिवहन से सड़क दुर्घटनाओं में निरंतर वृद्धि हो रही हैं और जान-माल का नुकसान हो रहा है।
रेल संयोगीकरण होने से बड़बिल, बोलानी एवं आसपास के लोग सीधे रूप से क्योंझर, नई दिल्ली सहित क्योंझर जिला मुख्यालय से जुड़ेंगे। इसके अतिरिक्त बड़बील गुआली ,और बोलानी क्षेत्रों से खनन किए गए लौह अयस्कों को रेल के माध्यम से पारादीप और धामरा बंदरगाहों के साथ-साथ राज्य के विभिन्न संयंत्रों और अन्य उद्योगों तक पहुँचाया जा सकता है ।
रेल संपर्क से सड़क दुर्घटनाओं में कमी और सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता आर के प्रधान ने कहा कि 2016-17 में संसद में पेश किए गए रेल बजट में उक्त रेलमार्ग के निर्माण का प्रस्ताव एवं बाद में सर्वे भी किया गया था। लेकिन वर्तमान समय तक जमीन पर कुछ नहीं हुआ है।
बजट में उल्लेख के बाद राज्य सरकार ने जिला खनिज फाउंडेशन कोष से रेल संयोगीकरण का प्रस्ताव रखा गया था जिसमें 363.38 करोड़ रुपये की लागत निर्धारित की गई थी। लेकिन अब तक परियोजना शुरू नहीं हो पाई। वर्षों से दक्षिण पूर्व रेल की उपेक्षाओं से हताश स्थानीय लोग और बुद्धिजीवी वर्ग बड़बिल, बांसपानी को पूर्वी तट रेलवे में शामिल करने की मांग उड़ीसा सरकार से की है।