@ नई दिल्ली :-
भारत-चिली खनन उद्योग गोलमेज चर्चा में दोनों देशों के बीच खनन क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण चर्चा हुई। भारत के कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जिसमें वी.एल. कांता राव, सचिव, खान मंत्रालय, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और कोल इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल), हिंडाल्को, वेदांता, अडानी, जेएसडब्ल्यू और जेएसपीएल जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियों के सीएमडी/सीईओ शामिल थे। चिली के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चिली की खान मंत्री ऑरोरा विलियम्स ने किया।
जी. किशन रेड्डी ने अपने संबोधन में, भारत के औद्योगिक विकास और सतत ऊर्जा परिवर्तन में खनिजों के बढ़ते महत्व को रेखांकित करते हुए तांबा, लिथियम और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों में चिली के साथ सहयोग को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
चिली की खान मंत्री महामहिम ऑरोरा विलियम्स ने वैश्विक खनन क्षेत्र, विशेष रूप से तांबा और लिथियम में चिली के नेतृत्व का उल्लेख किया और दोनों देशों की खनिज संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने और हरित प्रौद्योगिकियों को रुख करने में सहायता देने के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के प्रति उत्साह व्यक्त किया।
इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन, भारत द्वारा आयोजित इस गोलमेज चर्चा में खनिज अन्वेषण, टिकाऊ खनन पद्धतियों और मूल्यवर्धित खनिज प्रसंस्करण सहित खनन क्षेत्र के प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। गोलमेज चर्चा के दौरान भूविज्ञान और खनिज संसाधनों पर मौजूदा भारत-चिली समझौता ज्ञापन को नवीनीकृत करने के बारे में भी चर्चा की गई, ताकि महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में सहयोग के लिए अधिक मजबूत और भविष्य के लिए तैयार ढांचा सुनिश्चित किया जा सके।
भारत में तांबा, लिथियम और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की लगातार बढ़ रही मांग के मद्देनजर गोलमेज चर्चा में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण जैसे क्षेत्रों के लिए इन खनिजों के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित किया गया। इस सहयोग के साथ, दोनों देश संयुक्त उद्यमों, दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों और सीमा पार निवेश के लिए नए अवसरों के द्वार खोलने का लक्ष्य बना रहे हैं।
तांबा और लिथियम उत्पादन में वैश्विक स्तर पर अग्रणी होने के नाते, चिली ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड खनन परियोजनाओं के माध्यम से इन खनिजों तक पहुँच सुनिश्चित करने की इच्छुक भारतीय कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। चर्चाओं में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, टिकाऊ खनन में सर्वोत्तम प्रथाओं और वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की क्षमता पर भी जोर दिया गया।
यह नवीकृत सहयोग न केवल भारत और चिली के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने का वादा करता है, बल्कि इसका उद्देश्य एक सुदृढ़ और टिकाऊ खनन आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना भी है जो दोनों देशों के दीर्घकालिक ऊर्जा और आर्थिक लक्ष्यों में सहायता देगी। भारत-चिली खनन उद्योग गोलमेज चर्चा परस्पर विकास, तकनीकी आदान-प्रदान और अधिक टिकाऊ खनन भविष्य को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।