@ नई दिल्ली :-
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 8 मार्च, 2025 को नई दिल्ली में ‘नारी शक्ति से विकसित भारत’ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इस सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने देशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दी और कहा कि यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करने, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए स्वयं को समर्पित करने का अवसर है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के 50 साल पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं। नि:संदेह इस अवधि में महिलाओं ने अभूतपूर्व प्रगति की है। उन्होंने कहा कि वह अपनी जीवन यात्रा को इस प्रगति का एक भाग मानती हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा के एक साधारण परिवार और पिछड़े इलाके में जन्म लेने से लेकर राष्ट्रपति भवन तक का उनकी यात्रा भारतीय समाज में महिलाओं के लिए समान अवसरों और सामाजिक न्याय की कहानी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महिलाओं की सफलता के उदाहरण आगे भी बढ़ते रहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए बेहतर वातावरण मिलना आवश्यक है। उनको ऐसा वातावरण मिलना चाहिए जहां वे बिना किसी दबाव या डर के अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र निर्णय ले सकें। हमें ऐसा आदर्श समाज बनाना है जहां कोई भी बेटी या बहन अकेले कहीं भी जाने या रहने से न डरे। महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना ही भयमुक्त सामाजिक वातावरण का निर्माण करेगी। ऐसे वातावरण में लड़कियों को जो आत्मविश्वास मिलेगा वह हमारे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब भी हमने महिलाओं की प्रतिभा का सम्मान किया है, उन्होंने हमें कभी निराश नहीं किया है। हम संविधान सभा की सदस्य रहीं सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी और हंसाबेन मेहता जैसी विभूतियों के योगदान को नहीं भूल सकते। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां महिलाओं ने अपनी बुद्धि, विवेक और ज्ञान के बल पर न केवल ख्याति अर्जित कर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है अपितु देश और समाज का मान भी बढ़ाया है। चाहे विज्ञान हो, खेल हो, राजनीति हो या समाज सेवा हो- सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा से सम्मान प्राप्त किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, तो देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं अपितु अन्य देशों में भी, कार्यबल में महिलाओं की कम भागीदारी का एक कारण यह धारणा है कि महिलाएं अपने बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी ले लेंगी या काम पर कम ध्यान दे पाएंगी। लेकिन यह सोच सही नहीं है। हमें स्वयं से पूछना होगा कि क्या बच्चों के प्रति समाज की कोई जिम्मेदारी नहीं है। हम सभी जानते हैं कि परिवार में पहली शिक्षिका मां होती है। अगर एक मां बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी लेती है तो उसका यह प्रयास समाज की भलाई के लिए भी है। एक मां अपने प्रयासों से अपने बच्चे को एक आदर्श नागरिक बना सकती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आत्मनिर्भर, स्वाभिमानी, स्वतंत्र और सशक्त महिलाओं के बल पर ही विकसित भारत का निर्माण किया जा सकता है। विकसित भारत का संकल्प हम सबका संकल्प है जिसे हम सबको मिलकर पूरा करना है। इसलिए पुरुषों को महिलाओं को मजबूत, सशक्त और आत्मनिर्भर बनने में हर कदम पर सहयोग करना चाहिए। महिलाओं को पूरे आत्मविश्वास, लगन और मेहनत के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और देश और समाज के विकास में अपना योगदान देना चाहिए।