@ कमल उनियाल उत्तराखंड
प्रकृति और वनो का सदियों से अनुठा समन्ध रहा है वनो से हमे शुद्ध हवा के साथ पशुधन के लिए चारा मिलता है। हमारे देश का किसान श्रम के देवता के साथ अन्नदाता भी है जिसमें गाँव की आत्मा बसती है ऐसे में किसानो की आर्थिकी में बदलाव लाने के अथक प्रयास किये जा रहे हैं।
सामाजिक सरोकारो से जुडा हंस फाउंडेशन वनो और पर्यावरण संरक्षण करने के लिए द हंस फाउंडेशन फारेस्ट फायर परियोजना के तहत उच्च गुणवत्ता युक्त चारा बीज, चारा संरक्षण के लिए प्रशिक्षण के साथ साथ वनो को संरक्षित बेहतर कृषि प्रणाली को बढावा देने के लिए सराहनीय पहल कर रहा है। इस के लिए द हंस फाउंडेशन ने उत्तराखंड में सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणो की निर्भरता को को कम करने और जंगलो की आग के खतरो को कम करने के लिए महत्वाकांक्षी मिशन चला रहा है।
उद्देश्य यही है कि वन संसाधनों के स्थायी विकल्प के रुप में हरे चारे को विकसित और विकास करना है सदियों से स्थानीय निवासी पशुओं के लिए हरे चारे सहित अन्य संसाधनों के लिए वनो पर आश्रित है इस समस्या के निराकरण के लिए हंस फाउंडेशन ने प्रदेश के चार जिलो बागेश्वर, अल्मोडा, टिहरी, पौड़ी गढ़वाल में सक्रिय भूमिका निभा रहा है इस पहल का उद्देश्य किसानों की भूमी पर हरे चारे को बढावा देना है जिससे जीवन की पारिस्थिति तंत्र पर बोझ न पडे इसलिए द हंस फाउंडेशन फारेस्ट फायर परियोजना के तहत ग्रामीणो को जागरूक के साथ उच्च गुणवत्ता चारा बीज तथा चारा संरक्षण मुहैया करा रहा है।
फाउंडेशन का लक्ष्य परियोजना के प्रथम चरण में 1500 किसानो को इसका लाभ प्राप्त हुआ है और इस वर्ष 1600 किसानो को लाभावन्तित करने का लक्ष्य है। इस दौरान जनपद पौड़ी गढवाल द्वारीखाल के 20 ,विकास खंड यमकेश्वर के 7और जयहरीखाल के 38 गाँवो के 455 ग्रामीणो को द हंस फाउंडेशन के सीडीएस सतीश बहुगुणा के कुशल निर्देशन और ब्लाक काडिनेटर संजय बजवाल मोटिवेटर नीलम रावत संगीता देवी अंजू रावत कल्पना पांडेय के सफल प्रयास से 44किलो वरसीम 1258 किलो जयी घास बीज का वितरण किया गया।