@ नई दिल्ली
वायुसेना दिवस से पहले शुक्रवार 04/10/2024 को एक प्रेस कांफ्रेंस में चीफ ऑफ एयर स्टाफ ने यह भी कहा कि चीन बहुत तेजी से LAC से लगे इलाकों खासकर लद्दाख क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है।
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयरचीफ मार्शल एपी सिंह का कहना है कि वायुसेना वर्ष 2047 तक अपने पूरे रक्षा भंडार का उत्पादन भारत में ही करना चाहती है। भावी सुरक्षा चुनौतियों के लिए स्वदेशी हथियार प्रणाली का होना बेहद जरूरी है।
अब भारत भी उस स्तर के निर्माण कार्य में जुटा हुआ है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि रूस ने एस-400 मिसाइल प्रणाली की तीन यूनिट भारत को सौंप दी हैं और बाकी की दो यूनिट अगले वर्ष मिल जाएंगी। एयरचीफ मार्शल एपी सिंह ने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में युद्ध के तनाव को देखते हुए कहा कि देश को स्वदेशी
हथियार प्रणालियों की इसलिए जरूरत है क्योंकि विदेशी हथियारों पर निर्भर रहने से बदलते हितों के बीच भारत के लिए ‘चोक प्वाइंट’ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। अगर आप किसी युद्ध को लड़ने के काबिल बनना चाहते हैं तो आपको अपने हथियार भारत में ही बनाने होंगे।
भारतीय वायुसेना प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर और पूर्वी लद्दाख पर भी बोले
LAC के दूसरी तरफ चीन के लगातार बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर और पूर्वी लद्दाख पर सिचुएशन को लेकर कहा कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति टेक्टिकली वैसी ही है जैसे एक साल पहले थी। बस हम यह देख रहे हैं कि LAC के दूसरी तरफ तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है। हम कोशिश कर रहे हैं उसे मैच करने की। हमारे नए एयरफील्ड बन रहे हैं और उसमें तेजी से काम हो रहा है। हम अपने पहले से बने एयरफील्ड की कैपेसिटी बढ़ाने पर भी काम कर रहे हैं।
पूर्वी लद्दाख में LAC पर चीन के साथ चल रहे लंबे गतिरोध के बीच एयरफोर्स चीफ ने कहा कि हमारी एयरफोर्स ट्रेनिंग और एक्सपोजर के मामले में चीन से काफी बेहतर है। लेकिन तकनीक और रक्षा उपकरणों के उत्पादन की रफ्तार के मामले में हम चीन से पीछे हैं।
एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा कि हम ह्यूमन रिसोर्स और ट्रेनिंग के मामले में चीन से बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि हमारा अनावश्यक आक्रामक रुख अपनाने का कोई इरादा नहीं है। सिर्फ तब जब हम पर दबाव डाला जाएगा, हम कुछ करेंगे हमारे प्लानिंग तैयार हैं।
ट्रेनिंग के मामले में चीन से कहीं बेहतर हमारा देश भारत
उन्होंने कहा कि हम प्रशिक्षण के मामले में उनसे (चीन से) कहीं बेहतर हैं। हमें अधिक अनुभव है। हमें पता चलता है कि वे कैसे ट्रेनिंग लेते हैं और कितने देशों की एयरफोर्स के साथ उनका संपर्क है और कितनों के साथ हमारा। एयरफोर्स चीफ ने कहा कि जहां तक तकनीक की बात है, हम फिलहाल इतने अच्छे नहीं हैं। हम पहले उनसे बेहतर थे, लेकिन अब हम पिछड़ गए हैं और हमें उस पर पकड़ बनानी होगी।
भारतीय वायुसेना ध्यान दे रही हैं फाइटर स्क्वाड्रन 30 से कम न हो।उन्होंने कहा कि यह भी योजना है कि सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया जाए। सेंट्रल सेक्टर में अडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं, हम राज्य सरकारों के टच में है कि या तो उन्हें टेकओवर कर सकें या कम से कम यह आश्वासन मिले कि वे हमारे ऑपरेशंस के लिए भी उपलब्ध रहेंगे।
एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि 2047 तक पूरी इन्वेंटरी या तो भारत में उत्पादित हो या भारत में विकसित और उत्पादित हो।
अग्निवीरों को परमानेंट करना पड़े, तो हम इसके लिए भी तैयार
अग्निवीरों को लेकर वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अगर हमें 25 फीसदी से ज्यादा अग्निवीरों को परमानेंट करना पड़े, तो हम इसके लिए तैयार हैं, लेकिन यह फैसला सरकार को करना है। उन्होंने आगे कहा कि हमसे कोई रिकमंडेशन नहीं मांगी गई है। अब तक अग्निवीर वायु का फीडबैक बहुत अच्छा रहा है।
भारतीय वायुसेना अपने कर्मियों के कौशल को निखारने पर भी ध्यान देती है। उन्होंने वायु शक्ति, तरंग शक्ति और गगन शक्ति जैसे अभ्यासों का ज़िक्र करते हुए कहा, हम विचारों का आदान-प्रदान करने और दूसरों से सीखने के लिए बहुत सारे अभ्यास करते हैं। अकेले गगन शक्ति अभ्यास में 7,000 से ज़्यादा उड़ानें भरी गईं, जो युद्ध के लिए तैयार रहने की भारतीय वायुसेना की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।