एनएचपीसी लिमिटेड को ‘नवरत्न’ कंपनी का दर्जा मिला

@ नई दिल्ली

राष्ट्रीय जल विद्युत निगम लिमिटेड  को भारत सरकार द्वारा ‘नवरत्न’ कंपनी का प्रतिष्ठित दर्जा प्रदान किया गया है। सार्वजनिक उद्यम विभाग (वित्त मंत्रालय) द्वारा 30 अगस्त 2024 को जारी किए गए एक आदेश के अनुसार NHPC को ‘नवरत्न’ कंपनी घोषित किया गया है जिससे इसे ज्यादा परिचालनीय और वित्तीय स्वायत्तता मिल गई है।

NHPC के सीएमडी श्री आर.के. चौधरी ने कहा यह NHPC परिवार के लिए वास्तव में एक ऐतिहासिक क्षण है और साथ ही यह हमारी उल्लेखनीय वित्तीय और परिचालनीय उपलब्धियों को मान्यता देना है।

उन्होंने NHPC परिवार की ओर से विद्युत मंत्रालय के प्रति उनके NHPC पर अटूट विश्वास और उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया जिसके फलस्वरूप भारत सरकार द्वारा NHPC को ‘नवरत्न’ का दर्जा प्रदान किया गया है। श्री चौधरी ने यह भी कहा कि NHPC भारतीय विद्युत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी रही है और इसमें देश की जलविद्युत क्षमता का दोहन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम एक पूर्ण हरित विद्युत कंपनी हैं जिसने पवन और सौर ऊर्जा विकल्पों में भी विविधता लाई है।

‘नवरत्न’ का दर्जा मिलने से NHPC को कई अहम फायदे होंगे। इससे निर्णय लेने में तेजी आएगी कार्यकुशलता बढ़ेगी और कर्मचारी सशक्त होंगे। इससे प्रमुख पूंजीगत व्यय और निवेश योजनाओं को समर्थन मिलेगा विकास को गति मिलेगी बाजार पहुंच का विस्तार होगा तथा दीर्घकालिक लाभ हासिल होंगे। NHPC के पास संयुक्त उद्यम और विदेशी कार्यालय स्थापित करने नए बाजारों तक पहुंचने और स्थानीय विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए बढ़ी हुई शक्तियां होंगी। इसके अलावा यह तकनीकी गठबंधनों को आगे बढ़ाकर और बाजार में अपनी स्थिति को मजबूत करके नवाचार को बढ़ावा देगा। यह विलय और अधिग्रहण को सुगम बनाएगा जिससे विकास और बाजार की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी होगी।

वर्तमान में NHPC की कुल स्थापित क्षमता 7144.20 मेगावाट है और कंपनी वर्तमान में कुल 10442.70 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के निर्माण में लगी हुई है। इनमें 2000 मेगावाट क्षमता की सुबनसिरी लोअर परियोजना (असम/अरुणाचल प्रदेश) और 2880 मेगावाट क्षमता की दिबांग बहुउद्देश्यीय परियोजना (अरुणाचल प्रदेश) शामिल हैं। वर्तमान में NHPC 50000 मेगावाट से अधिक क्षमता वाली परियोजनाओं पर काम कर रही है जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं। NHPC 2032 तक 23000 मेगावाट और 2047 तक 50000 मेगावाट की स्थापित क्षमता हासिल करने की दिशा में लगातार काम कर रही है।

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