गढ़वाल मंडल को उत्तराखंड के पर्यटन कारोबार पर 90 फीसदी हिस्सेदारी

@ देहरादून उत्तराखंड

पर्यटन विभाग ने दो दिन पहले ही उत्तराखंड में सालाना आने वाले पर्यटकों, श्रद्धालुओं की संख्या से जुड़ी एक रिपोर्ट सार्वजनिक की है। ये आंकड़े वर्ष 2023-24 के हैं। ये रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड में इस साल कुल पांच करोड़ 96 लाख पर्यटक आए। इसमें अकेले गढ़वाल मंडल में ही पांच करोड़ 39 लाख पर्यटक, श्रद्धालु पहुंचे।

गढ़वाल मंडल की तुलना में कुमाऊं मंडल में महज 57 लाख ही पर्यटक, श्रद्धालु पहुंचे। जो कुल पर्यटन कारोबार का महज 10 फीसदी भी नहीं है। शेष 90 फीसदी पर्यटक, श्रद्धालु और कारोबार गढ़वाल मंडल में ही हुआ। ये आंकड़े उन लोगों की आंखें खोलने वाले हैं, जो पिछले कुछ समय से केदारखंड और मानसखंड के बीच एक खाई पैदा करने का कुचक्र, षड़यंत्र रच रहे हैं।

कुमाऊं मंडल में पर्यटकों, श्रद्धालुओं की कम संख्या का आलम ये है कि अकेले देहरादून जिले में ही कुमाऊं मंडल से करीब करीब दोगुना पर्यटक आते हैं। देहरादून में हर साल 86 लाख पर्यटक आते हैं। अकेले टिहरी में ही पूरे कुमाऊं मंडल से कुछ ही कम 37 लाख पर्यटक आ जाते हैं। पर्यटकों की संख्या के लिहाज से कुमाऊं का कोई भी जिला गढ़वाल के जिलों की बराबरी की स्थिति में नहीं है। अकेले हरिद्वार में साल भर में कुमाऊं मंडल से सात गुना अधिक तीन करोड़ 70 लाख पर्यटक, श्रद्धालु पहुंचते हैं।

रुद्रप्रयाग में 23 लाख, चमोली में 28 लाख, उत्तरकाशी में 16 लाख पर्यटक, श्रद्धालु पहुंचते हैं। नैनीताल 12.90 लाख पर्यटकों को छोड़ कर कुमाऊं मंडल का कोई भी जिला पर्यटकों की चार लाख की संख्या को छू तक नहीं पाया है। सिर्फ नैनीताल में ही सबसे अधिक 12.90 लाख पर्यटक पहुंचते हैं। लेकिन इस पूरे नैनीताल जिले से अधिक मसूरी में 14 लाख पर्यटक पहुंचते हैं। इसके अलावा अल्मोड़ा में तीन लाख 63 हजार पर्यटक पहुंचते हैं। बाकि पिथौरागढ़ में 1.27 लाख, बागेश्वर 82 हजार, चंपावत 2.27 लाख, यूएसनगर 2.50 लाख पर्यटक पहुंचते हैं।

ये आंकड़े उन लोगों के मुंह पर तमाचा हैं, जो निजी स्वार्थों के लिए इस उत्तराखंड राज्य को केदारखंड और मानसखंड के बीच बांटने की साजिश रच रहे हैं। अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए इस खाई को चौड़ा किया जा रहा है। जबकि हकीकत यही है कि कोई भी पर्यटक और श्रद्धालु जब अपना टूर या धार्मिक यात्राएं तय करता है, तो वो किसी दूसरे की राय से नहीं करता, बल्कि अपनी श्रद्धा और पसंद के अनुसार तय करता है। इसके बाद भी सबसे राजनीतिक हथकंडों के लिए बाबा केदार और बाबा जागेश्वर धाम के दरबार को भी बांटने की साजिश रची जा रही है।

राजनीति के लिहाज से सबसे बड़े सियासी जिला मुख्यालय पौड़ी में पर्यटकों की संख्या शर्मनाक स्थिति में है। यहां पौड़ी मुख्यालय में साल भर में सिर्फ 13764 पर्यटक ही पहुंचते हैं। पूरे जिले में पर्यटकों की ये संख्या पूरे गढ़वाल मंडल में सबसे कम 9.77 लाख है। इस 9.77 लाख पर्यटक, श्रद्धालुओं की संख्या में यदि लैंसडोन और नीलकंठ महादेव और चार धाम यात्रा रूट के कारण श्रीनगर आने वालों की संख्या को घटा दिया जाए, यहां पर्यटकों की संख्या हजारों में सीमित रह जाएगी।

जबकि इस पौड़ी जिले से एचएन बहुगुणा से लेकर बीसी खंडूडी, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत सरीखे मुख्यमंत्रियों के अलावा कैबिनेट मंत्रियों की तो बाकायदा एक फौज तक निकली है। दिल्ली में मजबूत स्थिति में रहने वाले सांसदों की भी एक बड़ी संख्या है। हर सरकार में सीएम से लेकर सबसे अधिक मंत्री भी इसी जिले को चाहिए, इसके बाद भी इसी पौड़ी जिले में सबसे अधिक पलायन, सबसे अधिक बिजली, पानी का संकट है। पर्यटकों की संख्या के लिहाज से टॉप पर हरिद्वार जिला 3.70 करोड़ की संख्या के साथ है।

इसके बाद सबसे अधिक 86.54 लाख पर्यटक देहरादून जिले में आते हैं। टिहरी में 37.61 लाख, चमोली में 28.31 लाख, रुद्रप्रयाग 23.60 लाख, उत्तरकाशी 16.37 लाख पर्यटक आते हैं। कुमाऊं मंडल का एक भी जिला टॉप छह जिलों में नहीं है।

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