@ हरि सिंह रावत नई दिल्ली :-
दिल्ली के जनता फ्लैट्स, जीटीबी एनक्लेव स्थित 21420 कम्युनिटी सेंटर में गढ़वाल मित्र समिति ने पारंपरिक तरीके से होली मंगल मिलन समारोह आयोजित किया। इस कार्यक्रम में क्षेत्र के मातृशक्ति, बुजुर्गों और बच्चों ने ढोल-दमाऊ और मस्कबीन जैसे वाद्ययंत्रों के साथ उत्तराखंडी होली गीतों पर जमकर नृत्य किया।
समिति के अध्यक्ष हरीश रावत और महामंत्री दिनेश पंत ने सभी सदस्यों को उत्तराखंडी टोपी पहनाकर और चंदन का तिलक लगाकर होली की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
सम्मानित अतिथियों की उपस्थिति
इस भव्य आयोजन में सीमापुरी विधानसभा के विधायक वीर सिंह धींगान और क्षेत्र के लोकप्रिय पार्षद वीर सिंह पंवार बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। विधायक वीर सिंह धींगान ने होली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभी को शुभकामनाएं दीं।
पार्षद वीर सिंह पंवार ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि—
“इतना सुंदर कार्यक्रम करने के लिए मैं समिति के अध्यक्ष हरीश रावत और महामंत्री दिनेश पंत को धन्यवाद देता हूँ। लेकिन मैं सभी से यह कहना चाहता हूँ कि जब भी ऐसे सांस्कृतिक आयोजन हों, तो अपने बच्चों को भी साथ लेकर आएं, ताकि वे अपनी परंपराओं और संस्कृति से रूबरू हो सकें। अगर आपको कोई भी सहायता चाहिए, तो मैं हमेशा आपके साथ हूँ और आगे भी इस कार्यक्रम को और भव्य बनाने में मदद करूंगा।”
सांस्कृतिक संगम बना आयोजन
इस कार्यक्रम में क्षेत्र की कई प्रतिष्ठित हस्तियों की भागीदारी रही, जिनमें—
केदार सिंह चौहान (उत्तराखंड प्रकोष्ठ के पूर्व संयोजक)
सीए अनिल बलूनी
विनोद पंवार समाजसेवी
कमलेश शर्मा (हिमाचल समाज अध्यक्ष)
हरीश परमार (आदर्श रामलीला कमेटी के महामंत्री)
राजनाथ तिवारी (पूर्वांचल समाज अध्यक्ष)
महेंद्र शर्मा (RWA अध्यक्ष)
सुनील शर्मा अध्यक्ष मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन
समाज के वरिष्ठ भगत राम जोशी,प्रकाश मोहन जुगरान ,कुंवर सिंह चौहान , डॉक्टर लखेड़ा, हरि सिंह , महिला कीर्तन मंडली ,रीना शर्मा ,दिनेश अरोड़ा दिनेश वर्मा , सहित मित्र समिति के सभी सम्मानित पदाधिकारी गण एवं सदस्य अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।
गुजिया और जलपान का वितरण
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थितजनों को गुजिया का प्रसाद और जलपान वितरित किया गया। समिति के अध्यक्ष हरीश रावत और महामंत्री दिनेश पंत ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।
उत्तराखंड की अनूठी होली संस्कृति
उत्तराखंड की होली का एक अलग ही रंग और अंदाज होता है। इसे तीन प्रमुख रूपों में मनाया जाता है—
बैठकी होली – यह शास्त्रीय संगीत पर आधारित बैठकर गाई जाने वाली होली होती है, जिसमें राग-रागनियों का विशेष महत्व होता है।
खड़ी होली – इसमें लोकवृंद परंपरागत परिधानों में समूह बनाकर होली गीत गाते और नृत्य करते हैं।
मास्केबिन होली (झोड़ा-चांचरी) – यह गढ़वाल और कुमाऊँ में विशेष रूप से प्रचलित है, जिसमें लोग एक-दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर झोड़ा-चांचरी गाते और नृत्य करते हैं।
उत्तराखंड की होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जहां संगीत, नृत्य और परंपराओं का संगम देखने को मिलता है। दिल्ली में आयोजित यह होली मंगल मिलन समारोह इसी परंपरा को सहेजने और अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास था।
गढ़वाल मित्र समिति ने इस आयोजन के माध्यम से समाज को एकजुट करने, सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने और नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ने का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया।