गिरिराज सिंह ने भारत IITF में हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी वस्त्र मंडप का उद्घाटन किया

@ नई दिल्ली

केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में विशेष हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी सह बिक्री के अंतर्गत वस्त्र मंडप का उद्घाटन किया। इस अवसर पर वस्त्र राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा भी मौजूद थे। गिरिराज सिंह और पाबित्रा मार्गेरिटा ने मंडप में विभिन्न स्टालों का दौरा किया और हथकरघा बुनकरों तथा कारीगरों से बातचीत की। 43वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने वस्त्र उद्योग में कार्बन फाइबर के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत तकनीकी वस्त्रों के प्रवर्धन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

उन्होंने बताया कि तकनीकी वस्त्रों में 12 प्रकार या सेक्टर हैं। गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए 1500 करोड़ रुपये दिए हैं और हमारा देश तकनीकी वस्त्रों के निर्यात पर पहले से अधिक ध्यान दे रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीकी वस्त्र भारत की अर्थव्यवस्था का रीढ़ बनेंगे। उन्होंने बताया कि भारत भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहा है, इसलिए इस कार्यक्रम का विषय ‘जनजातीय’ समुदाय से प्रेरित है।

गिरिराज सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार बुनकरों और उनके परिवारों को बेहतर आय के अवसरों के लिए वस्त्र मूल्य श्रृंखला में सुधार करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा हथकरघा समुदाय रहता है जो निरंतरता और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करता है। दुनिया टिकाऊ उत्पादों के उपयोग की ओर बढ़ रही है और हथकरघा उद्योग शून्य-कार्बन उत्सर्जन करता है तथा इसमें किसी भी प्रकार की ऊर्जा की खपत नहीं होती है।

वस्त्र राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी का दौरा करते हुए कारीगरों को जोड़े रखने के लिए उत्पादन को बढ़ावा देने और उनकी आय बढ़ाने के लिए हथकरघा और हस्तशिल्प को मजबूत करने पर जोर दिया है। उन्होंने आधुनिक बाजार की जरूरतों के अनुकूल ढलते हुए भारत की समृद्ध शिल्प विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर भी जोर दिया। उद्घाटन समारोह में वस्त्र सचिव मती रचना शाह, हथकरघा विकास आयुक्त मती अमृत राज और वस्त्र मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

भारत मंडपम में विशेष हथकरघा एवं हस्तशिल्प प्रदर्शनी के आकर्षण नीचे दिए गए हैं:

206 स्टॉल (हथकरघा और हस्तशिल्प का कुल 27 राज्य शामिल हैं)

100 हथकरघा (22 राज्य शामिल हैं)

100 हस्तशिल्प (27 राज्य शामिल हैं)

थीम मंडप के लिए 06 (थीम – भारतीय वस्त्रों की आदिवासी बहुतायत)

08 लाइव हथकरघा, कला/शिल्प प्रदर्शन [कनी शॉल (जम्मू एवं कश्मीर), तंगालिया/कुच्छी शॉल (गुजरात), कुल्लू/किन्नौरी शॉल (हिमाचल प्रदेश), लोईन लूम (मणिपुर और नगालैंड), सींग और हड्डी शिल्प (उत्तर प्रदेश), भागलपुरी सिल्क (बिहार), बाग प्रिंट (ओडिशा)]

हथकरघा बुनकरों के साथ खुदरा विक्रेताओं/ब्रांडों आदि के बी2बी बातचीत सत्र।

डॉ. रजनी द्वारा जीआई टैग लगे हथकरघा और हस्तशिल्प पर कार्यशाला,

प्रत्यूष कुमार द्वारा निरंतरता / परिपत्रता / पुनर्चक्रण / अपसाइक्लिंग पर टॉक शो।

प्रधानमंत्री ने मन की बात (112वीं कड़ी) के दौरान सराहना करते हुए कहा कि हथकरघा कारीगरों का काम देश के कोने-कोने में फैला हुआ है और जिस तरह से हथकरघा उत्पाद लोगों को पसंद आए, वह बहुत सफल है, जबरदस्त है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों के साथ फोटो सोशल मीडिया पर हैशटैग ‘#मायप्रोडक्टमायप्राइड’ के साथ अपलोड करने का आग्रह भी किया।

हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख लोगों को रोजगार देता है, जो इस मामले में देश भर में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। हथकरघा बुनाई और हस्तशिल्प की कला में पारंपरिक मूल्य जुड़े हुए हैं और प्रत्येक क्षेत्र में उत्तम विविधताएं हैं।

बनारसी, जामदानी, बालूचरी, मधुबनी, कोसा, इक्कत, पटोला, तसर सिल्क, माहेश्वरी, मोइरांग फी, फुलकारी, लहरिया, खंडुआ, तंगलिया, मधुबनी पेंटिंग, वार्ली पेंटिंग, आर्ट मेटल वेयर, कठपुतली, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, चिकनकारी, टाई एंड डाई, वॉल हैंगिंग, टेराकोटा, इमिटेशन ज्वेलरी आदि कुछ ऐसे नाम हैं जो विशिष्ट बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक रूपांकनों के साथ दुनिया भर में ग्राहकों को आकर्षित करते हैं।

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