@ गांधीनगर गुजरात :-
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुजरात के गांधीनगर में IFFCO की कलोल इकाई के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए एवं बीज अनुसंधान केंद्र की स्थापनाकी। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रपटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज IFFCO के कलोल प्लान्ट की स्वर्ण जयंती और बीज अनुसंधान केन्द्र का भूमिपूजन हुआ है। उन्होंने कहा कि IFFCO के पचास वर्ष की गौरवशाली यात्रा ये दिखाती है कि जब कोओपरेटिव और कोर्पोरेट संस्कार मिलकर काम करते हैं तो कैसे अद्भुत परिणाम मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि IFFCO ने रिसर्च-डेवलपमेन्ट, मार्केटिंग, ब्राडिंग और घर-घर तक पहुंच बनाने से संबंधित सभी काम बेहद कुशलता के साथ किए हैं। शाह ने कहा कि आज भारत खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है और इसमें IFFCO की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि IFFCO ने देश के किसानों को फर्टिलाइजर के साथा जोड़ा और फिर फर्टिलाइजर को कोओपरेटिव के साथ जोड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा कि IFFCO आज पचास वर्ष की गौरवपूर्ण यात्रा पूरी कर गौरव के साथ खड़ा है। सहकारिता मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि जब IFFCO की शताब्दी मनायेंगे तब दुनियाभर की सहकारी संस्थाओं में IFFCO का रुतबा बढ़ चुका होगा।
अमित शाह ने कहा कि IFFCO ने अनेक प्रकार के रिसर्च एन्ड डेवलपमेन्ट के काम भी किये है। उन्होंने कहा कि जब IFFCO के कलोल के कारखाने का भूमिपूजन हुआ उस जमाने में इसे एक बड़ी क्रांति माना गया था और जब समय बदला तब नेनो यूरिया, नेनो डीएपी, नेनौ लिक्विड, यूरिया, लिक्विड डीएपी आदि के लिए रिसर्च और प्रयोग करIFFCO ने उत्पादन भी बढ़ाया।
उन्होंने कहा कि IFFCO ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के क्षेत्र में पूरे विश्व में भारत के कोऑपरेटिव क्षेत्र की धाक जमाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि IFFCO के नैनो यूरिया और नैनो डीएपी आज पूरी दुनिया में पहुंच रहे हैं। शाह ने कहा कि IFFCO ने अपनी क्षमता भी बढ़ाई है, किसान के खेत तक पहुंच भी बढ़ाई हैऔर सोध एवं अनुसंधान के माध्यम से प्रयोगशाला में होनेवाले प्रयोगों को खेत की जमीन तक पहुंचाने का काम किया है।
अमित शाह ने कहा कि आज IFFCO ने बीज अनुसंधान केन्द्र की शुरूआत की है और IFFCO का रिकार्ड है कि जो भी काम इसने हाथ में लिया है, उसे लॉजिकल एन्ड तक पहुंचाया है। उन्होंने कह कि यह बीज अनुसंधान केन्द्र भी हमारी जमीन में उत्पादकता बढ़ायेगा, उत्पाद को पोषक बनायेगा, कम पानी और कम खाद का उपयोग हो, बीजोंमें इस प्रकार का सुधार करेगा और हमारे हजारे सालों पुराने बीजोंके संरक्षण का काम भी यह केन्द्र करेगा। शाह ने कहा कि जब 50 वर्ष पहले IFFCO की नींव डाली गई थी तब किसी ने नहीं सोचा था कि IFFCO यहां तक पहुंचेगा। इसी प्रकार, आज जब बीज अनुसंधान केन्द्र की नींव रखी गई है तबयह केन्द्र भी हमारे किसानों की समृद्धि को बढ़ाने वाला सिद्ध होगा।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारी सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए प्राथमिक सहकारी समितियों और सहकारी डेयरियों को मजबूत बनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए कम्प्यूटराइजेशन, नई गतिविधियों के साथ प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS)को जोड़ना, डेयरियों के अर्थतंत्र का समावेशीकरण के पूरे चक्र को कोऑपरेटिव में शामिल करने का काम मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि आज IFFCO , कंडला, कलोल, फूलपुर, आंवला और पारादीप में तीन राज्यों में पांच स्थानों पर IFFCO का उत्पादन होता हैऔर हम खाद के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गए हैं। शाह ने कहा कि आज खाद उत्पादन क्षमता 90 लाख मीट्रिक टन है, बिक्री 110 लाख मीट्रिक टन है, टर्नओवर 40 हजार करोड़ रूपये है और 3200 करोड़ रूपए का मुनाफा हुआ है।
अमित शाह ने कहा कि पिछले पचास सालों में केमिकल फर्टिलाइजर से नैनो फर्टिलाइजर और बायो फर्टिलाइजर तक की यात्रा IFFCO के तत्वाधान में हुई है। उन्होंने कहा कि जब IFFCO की स्थापना हुई तब फर्टिलाइजर में हमारा ध्यान बल्क एप्लीकेशन पर था लेकिन आज हमारा ध्यान टार्गेटेड और कंट्रोल रिलीज पर है, जिससे पोषक तत्व भी मिलेंगे और हमारी जमीन खराब भी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पहले हाई कॉस्ट और लो एफिशियन्सी और अब लो कॉस्ट और हाई एफिशियन्सी तक पहुंचने का काम IFFCO ने किया है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि नैनो यूरिया, नैनो डीएपी लिक्विड के साथ खाद डालने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि IFFCO ने अपनी उत्पादन क्षमता इतनी बढ़ा ली है कि आज पूरी दुनिया में IFFCO के उत्पाद जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि IFFCO के पचास वर्ष, हमारी खेती, अनाजउत्पादन, ग्रामीण अर्थतंत्र और किसानों की समृद्धि को समर्पित रहे हैं। इसी प्रकार IFFCO के आगामी पचास वर्ष से सौ वर्षों तक की यात्रा खेती को आधुनिक, सबसे ज्यादा उत्पादक बनाकर, अपनी खेती की जमीन का सरंक्षण करने और पर्यावरण को बचाने के चार और उदेश्यों के साथ पूरी होगी।
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