गुजरात पुलिस ने साइबर क्राइम का शिकार हुए 28,000 बैंक खाते अनफ्रीज किए गए : गृह राज्य मंत्री

@ गांधीनगर गुजरात

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में राज्य का गृह विभाग तथा गुजरात पुलिस राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों के ईज ऑफ लिविंग में वृद्धि करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। हाल ही में गुजरात पुलिस ने साइबर क्राइम का शिकार हुए हजारों मध्यम वर्गीय लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए एक बड़ा प्रयास किया है।

साइबर क्राइम की जाँच में पीड़ितों के सहयोग के कारण पूर्व में लॉक हो चुके 28,000 बैंक खाते अब अनफ्रीज किए गए हैं। ये बैंक खाते अनफ्रीज होने से पीड़ितों को बड़ी राहत मिली है। इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कहा, “गुजरात पुलिस द्वारा साइबर क्राइम की प्रभावी जाँच के परिणामस्वरूप लगभग 28 हजार बैंक खाते अनफ्रीज किए गए हैं।

यह कदम उन पीड़ितों को उल्लेखनीय राहत देगा, जो धोखे से पेमेंट स्वीकार कर ठगी का शिकार हुए थे या अज्ञानता वश इस प्रकार की षड्यंत्रों में फँस गए थे। 2 सायबर क्राइम की वजह से निर्दोष नागरिकों को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने के संदर्भ में जानकारी देते हुए गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि हमारी सरकार के सघन प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रतिदाय राशि और रोकी गई राशि में अब काफी अंतर आ गया है।

वर्ष 2024 में प्रतिदाय राशि का प्रतिशत 46.42 है, जो वर्ष 2023 में केवल 17.93 था। वहीं, 30 जून, 2024 तक रोकी गई कुल राशि 114.90 करोड़ रुपए है और वर्ष 2024 के लिए प्रतिदाय राशि 53.34 करोड़ रुपए है। दोनों वर्षों का यह अंतर दर्शाता है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि साइबर क्राइम के पीड़ितों को समय पर राहत मिले।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने अकाउंट फ्रीज करने संबंधी अपनी पॉलिसी में भी सुधार किया है। नई पॉलिसी प्रभावशाली ढंग से अपराध निवारण एवं निर्दोष पक्षों पर वित्तीय बोझ घटाने के बीच संतुलन बनाए रखने पर आधारित है। ऑथोरिटी अब पूरे अकाउंट के स्थान पर केवल धोखाधड़ी से जुड़ी निश्चित राशि ही फ्रीज करेगी। उन्होंने बताया कि इस फेरबदल का उद्देश्य साइबर क्राइम के कारण पीड़ित निर्दोष व्यक्तियों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करना है, जो पूरा बैंक अकाउंट लॉक हो जाने के कारण बड़ी मुश्किलों का सामना करते हैं। गृह राज्य मंत्री ने कहा, “साइबर क्राइम के कारण हमारे मध्यम वर्ग के नागरिकों को काफी आर्थिक बोझ का वहन करना पड़ता था और उनका अकाउंट फ्रीज हो जाने के कारण वे अपने ही खाते से अपना पैसा नहीं निकाल पाते थे। लेकिन, अब उनके खाते अनफ्रीज होने के कारण उन्होंने राहत का अनुभव किया है।

हमारे ये प्रयास उन सभी नागरिकों के लिए राहत भरे कदम हैं जो दैनिक जीवन में लेन-देन के लिए अधिकांश तौर पर बैंक खातों का उपयोग करते हैं। ऑथोरिटी ने विनती की है कि जिन्हें भी ऐसा लगता हो कि उनके बैंक खाते भूल से फ्रीज किए गए हैं, वे साइबर क्राइम में अपनी अलिप्तता (लिप्त न होने) के प्रमाणों के साथ आगे आएँ। इन खातों की समीक्षा की जाएगी और इसके बाद जो खाते अनफ्रीज़ करने योग्य होंगे उन्हें अनफ्रीज कर दिया जाएगा।

ऑथोरिटी ने खाते फ्रीज करने संबंधी दृष्टिकोण में सुधार कर पीड़ितों को साइबर क्राइम की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया है। साथ ही, अथॉरिटी अपने इन प्रयासों से पीड़ित व्यक्तियों पर होने वाले तत्काल वित्तीय बोझ को कम करने एवं साइबर क्राइम से संबंधित व्यापक विषयों को संबोधित करने; दोनों पर ध्यान केन्द्रित कर रही है।

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