कांगड़ा भूकंप की 120वीं वर्षगांठ पर प्रदेश में आपदा जागरूकता दिवस का आयोजन

@ शिमला हिमाचल :-

राज्य सचिवालय शिमला, केंद्र और राज्य सरकार के सभी कार्यालयों और संस्थानों में हुई मॉकड्रिल मुख्य सचिव ने भूकंपरोधी भवन निर्माण पद्धतियों को अपनाने और आपदा के लिए तैयारी और जागरूकता की आवश्यकता पर दिया बल। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में 4 अप्रैल 1905 को आए विनाशकारी भूकंप की 120वीं वर्षगांठ को राज्य में आपदा जागरूकता दिवस के तौर पर मनाया गया। 7.8 तीव्रता के इस भीषण भूकंप में लगभग 20 हजार लोगों ने जान गंवाई थी और हजारों पालतू जानवर मारे गए थे। लगभग 1 लाख घर पूरी तरह से तबाह हो गए थे।
प्रदेश सचिवालय में सायरन बजते ही दोपहर 3 बजे मॉकड्रिल शुरू हुई जिसमें अग्निशमन विभाग, पुलिस तथा राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल ने भाग लिया।
इस दौरान मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने मॉकड्रिल का जायजा लेते हुए फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों से अग्निशामक उपकरणों के बारे में जानकारी हासिल की। मॉकड्रिल के बाद राज्य सचिवालय में भूकंपरोधी भवन निर्माण अपनाने पर और आपदा से तैयारी के संबंध में प्रस्तुति दी गई।
मुख्य सचिव ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की गतिविधियों का आयोजन निरंतर किया जाना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग आपदा के प्रति जागरूक हो सकें। उन्होंने कहा कि भू-वैज्ञानिकों द्वारा भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा के पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए प्रयास जारी हैं। ऐसे में जागरूकता और तैयारी से ही आपदा से सुरक्षित बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कांगड़ा भूकंप से सबक लेते हुए प्रदेश के लोगों ने उस समय भवन निर्माण के लिए धज्जी दीवार और काष्ठकुणी शैली को अपनाया। उन्होंने भूकंपरोधी भवन निर्माण पद्धतियों को अपनाने पर भी बल दिया।
सचिव, सचिवालय प्रशासन राकेश कंवर ने एकीकृत पब्लिक एड्रेस सिस्टम स्थापित करने की सलाह दी जिससे कि आपदा के दौरान एक ही स्थान से संदेश भेजे जा सकें और नियंत्रण व संचालन भी बेहतर हो सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी पंचायतों को अप्रैल माह के लिए ग्राम सभा का एजेंडे में आपदा के लिए तैयारी और जागरूकता को शामिल किया गया है। अत्याधिक मौसमीय घटनाओं के दृष्टिगत पंचायतों को गांवों में जल निकासी प्रणाली का सुदृढ़ीकरण, जल निकासी मार्गों से अतिक्रमण हटाना, असुरक्षित स्थानों पर निर्माण रोकना, पहाड़ियों एवं ढलानों की स्थिरता सुनिश्चित करना, सुरक्षित और परंपरागत निर्माण पद्धतियों को अपनाने पर बल दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भूकंप जोन-4 व 5 में आता है। चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, हमीरपुर और बिलासपुर जिला जोन-5 में होने के कारण सबसे अधिक भूकंपीय जोखिम वाले क्षेत्र हैं, जो इसे भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाता है। उन्होंने कहा कि भूकंपीय जोन-5 में आने वाले क्षेत्र सबसे अधिक खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विनाशकारी भूकंप आने की संभावना रहती है।
इस दौरान विशेष सचिव सचिवालय प्रशासन हरबंस सिंह ब्रसकोन, पुलिस अधीक्षक एसडीआरएफ अर्जित सेन ठाकुर और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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