कारगिल युद्ध विजय दिवस की रजत जयंती का हिस्सा मैं भी रही : लेफ्टिनेंट कर्नल अंकिता श्रीवास्तव 

@ प्रजा दत्त डबराल नई दिल्ली

कहा जाता है इस संसार में कोई भी जन्म से न ही प्रतिभावान ,गुणवान और न ही बुद्धिमान होता है, मनुष्य अपनी कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से किए गये अपने कार्यो को इतना अधिक ऊंचा कर लेता है कि समाज में उसे और उसके काम को मान-सम्मान और ख्याति तो मिलती ही है, साथ ही वो दूसरे लोगों के लिए भी आदर्श बन जाते हैं।

कहते हैं प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है। प्रतिभा के लिए गांव या शहर बल्कि खुद की मेहनत और लगन रंग लाती है। यदि ऐसा करने के लिए कोई ठान ले तो उसका आशानुरूप परिणाम मिलता ही है।

ऐसी ही शख्यितों में एक नाम सामने उभरकर आता है लेफ्टिनेंट कर्नल अंकिता श्रीवास्तव का ,जिन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाया है,कि सच्ची लगन और कठोर परिश्रम ही सफलता की कूंजी है।

लेफ्टिनेंट कर्नल अंकिता श्रीवास्तव ने हमारे संवाददाता प्रजा दत्त डबराल को बताया कि महिंद्रा और फौजियाना ने कारगिल युद्ध के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश के कोने-कोने से हमारे बहादुर सैनिकों के लिए संदेश लेकर #HeartstoBravehearts नामक अभियान के तहत हाथ मिलाया।

महिंद्रा कारों की इस तीन रूट रैली में अनुभवी रक्षा अधिकारियों, वीर नारियों, सैन्य जीवनसाथियों, अभिनेता गुल पनाग जैसे सैन्य बच्चों के एक समूह ने भाग लिया –

कोच्चि से कारगिल

तेजू से कारगिल

तनोट से कारगिल

तीनों रूट दिल्ली में मिलते हैं और फिर चंडीगढ़, जम्मू, उधमपुर श्रीनगर, ज़ोज़िला द्रास, कारगिल और आगे लेह होते हुए कारगिल की ओर बढ़ते हैं।

मैं दिल्ली कैंट से काफिले में शामिल हुई और मुझे पूरी तरह से स्वचालित महिंद्रा स्कॉर्पियो एन दी गई ,जिसे मैंने अगले पांच दिनों में कारगिल तक चलाया।

मेरे वाहन में इंडिया मोटर्स स्पोर्ट्स क्लब के नेविगेटर थे और मैं लंबे पहाड़ी इलाकों में सफलतापूर्वक ड्राइव कर सकती थी। जब हम अनंतनाग के अशांत क्षेत्र को पार कर रहे थे, तब हमें श्रीनगर तक सेना की क्यूआरटी सुरक्षा दी गई थी। जम्मू से आगे तक मैंने देखा कि हर जगह वर्दीधारी सैनिक पहरा दे रहे थे।

जब हम पहाड़ों पर चढ़ रहे थे, तो मौसम धूप से बारिश और बादलों में बदल गया, लेकिन एक संगठित काफिले में होने के कारण, जहाँ हमें अपने रेडियो सेट पर लगातार निर्देश और सलाह मिल रही थी, मुझे बहुत आराम से गाड़ी चलाने में मदद मिली।

कारगिल युद्ध स्मारक पर पहुँचकर, जो कि दुनिया के दूसरे सबसे ठंडे बसे हुए स्थान द्रास में स्थित है, मेरे तो रंग के ही खड़े हो गए। हमारे देश के सैनिक कितनी कठिन परिस्थितियों में सेवा करते हैं और बिना किसी दूसरे विचार के अपने प्राणों की आहुति देते हुए हमारे देश के लिए लड़ते हैं।उन सबको मेरा दिल से सलाम ।

कारगिल युद्ध स्मारक पर मैं अपने नियंत्रण से परे अभिभूत हो गया क्योंकि भावनाएँ बहुत अधिक थीं और मैंने सभी कारगिल युद्ध शहीदों के प्रति अपना हार्दिक सम्मान व्यक्त किया और उनके माता-पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जिन्होंने ऐसे महापुरुषों को जन्म दिया।

आप सभी को बता दें कि अंकिता श्रीवास्तव (अनुभवी सेना अधिकारी) ने 1993 में भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में शामिल होने वाली इलाहाबाद की पहली लड़की बनने की ख्याति अर्जित की और अपने प्रशिक्षण के दौरान लेखन के प्रति उनके जुनून ने उन्हें ओटीए जर्नल की पहली महिला कैडेट संपादक बना दिया।

वह 1998 में सीआई ऑप्स (सुदूर पूर्व में कठिन क्षेत्र) में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी थीं।

उन्होंने 14 साल तक वर्दी में सेवा की, जिसमें लॉजिस्टिक्स टीम का हिस्सा होना भी शामिल है, जिसने ऑपरेशन कारगिल और ऑपरेशन पराक्रम के दौरान लड़ाकू हथियारों को समर्थन दिया। भारतीय सेना में १४ साल की सेवा पूरी करने के बाद,उन्होंने सौंदर्य प्रतियोगिता रैंप पर वॉक किया और तनिष्क बिग मेमसाब इलाहाबाद 2008 जीता। इसके बाद उन्होंने ग्लैडरैग्स मिसेज इंडिया 2009 में मोस्ट विवाशियस सब अवार्ड जीता।

वह पांच पुस्तकों की सफल लेखिका हैं – द पिंक स्केयरक्रो, अहसास, छोटी सी बात, ऑलिव ग्रीन टू ब्यूटी क्वीन और नो वूमन्स लैंड वह 22 संकलनों में योगदान देने वाली लेखिका भी रही हैं, जिनमें से एक लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में है और तीन अंतर्राष्ट्रीय हैं।

वर्तमान में वह जुनून से एक प्रेरक वक्ता वह देश भर में पेशेवरों, छात्रों और गृहणियों को प्रेरित करने का आनंद ले रही है।

अंकिता श्रीवास्तव बताती है कि मुझे हमेशा बचपन से ही भारतीय सेना में जाने का मन था और मैं उसमें कामयाब भी हुई और उस कामयाबी में अपने माता-पिता का पूरा सपोर्ट मानती हैं और कहती है उन्होंने बचपन से ही मेरी हिम्मत बढ़ाते हुए मुझे आगे चलने की प्रेरणा दी।

मिलनसार,ईमानदार ,कर्मठ, हंसमुख स्वभाव की अंकिता श्रीवास्तव बताती हैं की मेरी मेहनत और खास तौर से अपने पति जो वर्तमान में भारतीय वायु सेना में अधिकारी है और दिल्ली में पोस्टेड है ग्रुप कैप्टन (डॉ.) रजनीश कुमार का पूरा -पूरा सहयोग और योगदान मानती है और वह मानती है की किसी भी क्षेत्र में फैमिली के सपोर्ट के बिना सफल होना संभव नहीं होता और मेरी फैमिली नें मुझे पूरा सपोर्ट करती है।उनके दो पुत्र है बड़ा बेटा अग्रऔर छोटा बेटा अग्रिम ।

11 thoughts on “कारगिल युद्ध विजय दिवस की रजत जयंती का हिस्सा मैं भी रही : लेफ्टिनेंट कर्नल अंकिता श्रीवास्तव 

  1. Simply desire to say your article is as astounding.
    The clearness to your put up is just cool and i
    could suppose you’re an expert on this subject. Well along with your permission let me to seize your RSS feed
    to stay up to date with impending post. Thank you a million and please keep up the gratifying work.

  2. My programmer is trying to persuade me to move to .net from PHP.
    I have always disliked the idea because of the costs. But he’s tryiong none
    the less. I’ve been using Movable-type on several websites
    for about a year and am worried about switching to another platform.
    I have heard great things about blogengine.net.

    Is there a way I can transfer all my wordpress posts into it?
    Any kind of help would be really appreciated!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

LIVE OFFLINE
track image
Loading...