@ तिरूवनंतपुरम केरल
वन एवं वन्यजीव विभाग मंत्री एके ससींद्रन ने कहा कि देश को ऐसी विकास गतिविधियों की जरूरत है जो प्राकृतिक आपदाओं से सबक लें और प्रकृति और मानव को एक साथ रखें। वह कोटूर में हाथी पुनर्वास केंद्र का उद्घाटन करते हुए बोल रहे थे, जो पूरा हो चुका है।
हाथियों के पुनर्वास के लिए ऐसी अवधारणा कहीं और लागू नहीं की गई है। कप्पुकाडु परियोजना के माध्यम से प्रकृति संरक्षण के दो-आयामी मिशन को लागू किया जा सकता है। मंत्री ने कहा कि यहां का वनवासी समुदाय इस परियोजना का मुख्य लाभार्थी है। परियोजना के हिस्से के रूप में, 25 साल की गारंटी के तहत इस क्षेत्र के लिए 1.7 किमी लंबी कंक्रीट सड़क का निर्माण किया गया है ।
मंत्री ने यह भी बताया कि दूसरी पिनाराई सरकार का घोषित लक्ष्य उन परियोजनाओं को लागू करना है जो वन-निवास समुदाय और वन सीमा पर रहने वाले लोगों को एक साथ लाते हैं।
हाथी पुनर्वास केंद्र केरल वन विभाग के तहत KIIFB से वित्त पोषण के साथ पूरा किया गया है और 176 हेक्टेयर में फैला हुआ है । इस परियोजना में 50 हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास में आवास , शावकों के लिए एक विशेष देखभाल केंद्र , एक पशु अस्पताल , आगंतुकों के लिए पार्किंग , एक कैफेटेरिया , एक हाथी गैलरी , दुनिया का पहला हाथी संग्रहालय और एक अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र की सुविधाएं भी शामिल होंगी।
इस परियोजना को विभिन्न विभागों और क्षेत्र के लोगों का सहयोग मिला। मंत्री ने यह भी कहा कि परियोजना का पूरा होना किसी देश की संपूर्ण एकता की उपलब्धि है।अरुविक्कारा विधायक जे स्टीफन ने कहा कि 105 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह परियोजना कोटूर को एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाएगी और वन-वंचित समुदाय के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगी।
विधायक सीके हरिंदरन ने टिप्पणी की कि दो चरणों में कार्यान्वित परियोजना पर्यटकों के आनंद के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन गई है।उद्घाटन समारोह सरकार की 100-दिवसीय कार्य योजना के एक भाग के रूप में आयोजित किया गया था। विधायक जे स्टीफन की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में विधायक सीके हरिंदरन , जिला पंचायत अध्यक्ष एडवोकेट डी सुरेशकुमार , वन विभाग के प्रमुख गंगासिंह आईएफएस , वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी , त्रि-स्तरीय पंचायत अध्यक्ष और प्रतिनिधियों ने भाग लिया।