@ कमल उनियाल द्वारीखाल उत्तराखंड
कुँमायनी गानो के मशहूर लोकगायक स्वर सम्राट प्रहलाद सिह मेहरा ने भौतिक दुनिया से अलविदा कर दिया है। हल्द्वानी के कृष्णा अस्पताल में हृदय गति रुकने से उन्होने अंतिम साँस ली। पिथौरागढ के मुन्सायरी तहसील के चामी भैसकोट में जन्मे 52 साल के प्रसिद्ध लोकगायक प्रहलाद मेहरा ने कुँमायनी संगीत और गायन को नया आयाम दिया। वर्तमान में वे अल्मोडा जनपद में वरिष्ठ गायक थे।
उन्होने अपने जीवन में पहाड के दर्द समेटे अनेक प्रसिद्ध लोकप्रिय और कर्णप्रिय गीतो से लोगो का दिल जीत लिया। जिसमें पहाड की चेली रे, दु रवाटा कभी न खायी, ओ हिमा जाग, का छ तेरी जलेबी को डाब, चाँदी बटन कुर्ती कालर मा, माटी वादा भुल गयी, जब वटी शहर गयी, जैसे सुपरहिट गानो से उत्तराखंड वासियो के दिलो में राज किया। उनके निधन से उत्तराखंड के संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुयी।