@ चंडीगढ़ पंजाब
पंजाब की सियासत से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। सुखबीर सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी की कार्यसमिति को अपना इस्तीफा सौंप दिया। वरिष्ठ अकाली नेता और पूर्व मंत्री दलजीत चीमा ने यह जानकारी दी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि सुखबीर सिंह बादल के बाद आखिर कौन होगा अकाली दल का नया अध्यक्ष ?
सुखबीर बादल के इस्तीफे के बाद शिरोमणि अकाली दल की कार्यसमिति की आपात बैठक बुला ली गई है। सुखबीर बादल का इस्तीफा ऐसे समय पर सामने आया है जब पंजाब में 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। हालांकि अकाली दल ने इस चुनाव अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है।
दलजीत चीमा ने कहा शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आज पार्टी की कार्यसमिति को अपना इस्तीफा सौंप दिया ताकि नए अध्यक्ष के चुनाव का रास्ता साफ हो सके। उन्होंने अपने नेतृत्व में विश्वास जताने और पूरे कार्यकाल के दौरान पूरे दिल से समर्थन और सहयोग देने के लिए सभी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया।
दलजीत चीमा ने आगे बताया शिअद कार्यसमिति के अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने 18 नवंबर को दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में पार्टी कार्यसमिति की आपात बैठक बुलाई है। समिति सुखबीर सिंह बादल द्वारा दिए गए इस्तीफे पर विचार करेगी और आगे की कार्रवाई तय करेगी।
जिस अकाली दल ने पंजाब में लम्बे समय तक सत्ता का सुख भोगा उसी अकाली दल को अब जब लगातार हार चखनी पड़ रही है तो इससे पार्टी पर गहरा असर हुआ है। चुनावों में लगातार हार के चलते अकाली दल में अंदरूनी उथल-पुथल देखी जाती रही है। पार्टी में अंदर ही अंदर बगावती सुर सामने आए। पार्टी के नेतृत्व और नीतियों पर पार्टी के लोगों द्वारा ही सवाल उठाए गए।
खासकर प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद सुखबीर सिंह बादल को पार्टी को बांधकर रखना और मुश्किल हो गया। ऐसे में शिरोमणि अकाली दल में लीडरशिप को लेकर भी तकरार पैदा हुई। पिछले दिनों में बार-बार सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे की मांग की गई। वहीं हाल ही लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं के एक गुट ने सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और मांग की थी कि लोकसभा चुनावों में SAD की हार के बाद बाद उन्हें पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
दरअसल इस साल हुए लोकसभा चुनाव में अकाली दल को करारी हार का सामना करना पड़ा। अकाली दल पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से केवल एक पर ही जीत पाया। बादल की पत्नी और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बठिंडा सीट बरकरार रखी। लेकिन SAD के 10 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई जबकि 2019 में उसका वोट प्रतिशत 27.45 प्रतिशत से घटकर 13.42 प्रतिशत रह गया।
इससे पहले अकाली दल को जहां 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से करारी हार झेलनी पड़ी तो वहीं 2022 के चुनाव में तो पार्टी की शर्मनाक हार हुई। इतनी बड़ी पार्टी सिर्फ तीन सीटें ही हासिल कर पाई। दिग्गज नेता 5 बार के CM प्रकाश सिंह बादल प्रधान सुखबीर बादल तक अपनी सीट नहीं बचा पाए थे ।