@ नई दिल्ली
भारत के लोकपाल का पहला स्थापना दिवस समारोह 16 जनवरी को मानेकशॉ सेंटर नई दिल्ली में भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित किया गया ।आज ही के दिन 16 जनवरी2014 को लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 3 के लागू होने के साथ भारत के लोकपाल की स्थापना हुई थी।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में न्यायमूर्ति एन. संतोष हेगड़े पूर्व न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय और पूर्व लोकायुक्त कर्नाटक पद्म भूषण अन्ना हजारे आर. वेंकटरमणी भारत के अटॉर्नी जनरल सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश राज्यों के लोकायुक्त भारत के लोकपाल के पूर्व और वर्तमान सदस्य बार काउंसिल ऑफ इंडिया सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन और दिल्ली बार एसोसिएशन के पदाधिकारी दिल्ली न्यायपालिका के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश और अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश शामिल थे।
पद्म भूषण अन्ना हजारे वर्चुअल माध्यम से स्मरणोत्सव में सम्मिलित हुए इस अवसर पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक(सीएजी)केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो(सीबीआई) केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के सीवीओ जैसे विभिन्न संगठनों के अधिकारी भी उपस्थित थे।
समारोह की शुरुआत न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के स्वागत के साथ हुई। मुख्य अतिथि गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए लोकपाल सदस्य न्यायमूर्ति लिंगप्पा नारायण स्वामी ने अपने संबोधन में कहा कि – यह अवसर न केवल चिंतन के दिन के रूप में बल्कि हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि के रूप में भी उल्लेखनीय महत्व रखता है।
लोकपाल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि लोकपाल का उदय भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल की मांग करने वाले परिवर्तनकारी नागरिक समाज आंदोलन से उत्पन्न हुआ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा – यह दिन 16 जनवरी केवल स्वायत्त स्वतंत्र और अद्वितीय संस्था के रूप में लोकपाल की स्थापना का उत्सव नहीं है। यह हमारे लोकतंत्र की नींव रखने वाले मूल मूल्यों के प्रति सभी समान विचारधारा वाले लोगों की दृढ़ प्रतिबद्धता और हर स्तर पर भ्रष्टाचार मुक्त शासन का समर्थन करने के बारे में भी है। इस बात पर जोर देते हुए कि सार्वजनिक कार्यालयों में भ्रष्टाचार के उन्मूलन के चल रहे मिशन में लोकपाल एक महत्वपूर्ण साधन है न्यायमूर्ति खानविलकर ने रेखांकित किया कि लोकपाल के सामने चुनौतियाँ लगातार विकसित हो रही हैं। क्योंकि भ्रष्टाचार का प्रतिमान विकसित हो रहा है। राजनेताओं नौकरशाहों और व्यापारिक हितों के बीच गठजोड़ और भी मजबूत हो गया है। इसके लिए निरंतर सतर्कता और समय पर और प्रभावी सफाई प्रणाली की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति खानविलकर ने जागरूक जनता के महत्व को स्वीकार करते हुए आगे कहा कि हमारा मानना है कि एक ऐसा समाज जो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है और उन्हें संरक्षण प्रदान करने वाली संस्थाओं तक सरलता से पहुंच प्राप्त करता है वह एक ऐसा वातावरण बनाने की दिशा में एक कदम आगे है जो भ्रष्टाचार को सहन नहीं करेगा।
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का आश्वासन देते हुए अध्यक्ष ने आश्वत दिया कि लोकपाल अपनी पहुंच का विस्तार कार्यप्रणाली में सुधार तथा संस्था में जनता का विश्वास सशक्त करना जारी रखेगा।
इसके बाद मुख्य अतिथि द्वारा न्यायमूर्ति एन. संतोष हेगड़े और आर. वेंकटरमणी को सम्मानित किया गया। जबकि पद्म भूषण अन्ना हजारे को रालेगांव सिद्धि में भारत के लोकपाल के अवर सचिव बिनोद कुमार ने मुख्य अतिथि की ओर से सम्मानित किया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने हाल के समय में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़े जनांदोलनों में से एक का नेतृत्व करने में पद्म भूषण अन्ना हजारे के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि लोकपाल हमारे लोकतंत्र के मूल सिद्धांत को कायम रखता है – कि सत्ता का प्रयोग जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए और सरकार को नैतिकता उत्तरदायिता और पारदर्शिता का पालन करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि लोकपाल हमारी संवैधानिक योजना के लिए सर्वोपरि है क्योंकि यह भ्रष्टाचार के जहर का प्रतिकार करता है एक ऐसा खतरा जिसने दुनिया भर के लोकतंत्रों को ग्रसित कर रखा है।
जनता के विश्वास और उसके महत्व पर जोर देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह विश्वास कि सरकारें निष्पक्ष और जनहित में काम करेंगी लोकतंत्र और सुशासन की नींव है। उन्होंने कहा कि विश्वास के बिना कोई भी व्यवस्था चाहे वह कितनी भी जटिल या अच्छी तरह से बनाई गई हो प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार केवल सुर्खियां बनाने वाले घोटालों तक सीमित नहीं है बल्कि यह दैनिक जीवन में व्याप्त है जो सबसे वंचित लोगों को प्रभावित करता है। इससे संसाधनों का अनुचित आवंटन होता है जो समानता को कमजोर करता है। भ्रष्टाचार का प्रत्येक कृत्य जनता के विश्वास को समाप्त करता है।पारदर्शिता और उत्तरदायिता को कायम रखने वाले भ्रष्टाचार विरोधी निकाय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे नागरिकों और लोक प्रशासन के बीच मध्यस्थता करते हैं।
उन्होंने लोकपाल के समक्ष चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग जैसी संस्थाओं के साथ सुचारू समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है।भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जनता का विश्वास लोकपाल की स्वतंत्रता निष्पक्षता और प्रदर्शन पर निर्भर करता है। उन्होंने नागरिकों से भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग में सक्रिय रूप से शामिल होने का आह्वान करते हुआ कहा कि जनता को उनकी भूमिका के बारे में शिक्षित करना आवश्यक है।
इस अवसर पर लोकपाल के आईटी अनुभाग द्वारा तैयार की गई लोकपाल की यात्रा पर एक वीडियो फिल्म भी दिखाई गई जिसमें लोकपाल के विकास और भविष्य को दर्शाया गया है। इसके बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा लोकपाल के कार्य को दर्शाने वाली एक लघु वृत्तचित्र फिल्म भी दिखाई गई। लोकपाल के सदस्य न्यायमूर्ति संजय यादव ने औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। स्थापना दिवस समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।