@ शिमला हिमाचल :- शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने बताया कि राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग से सीधी भर्ती के आधार पर टीजीटी (कला, मेडिकल और नॉन-मेडिकल) के 937 पदों को भरने के लिए आग्रह किया है। ये पद अनुबंध के आधार पर भरे जाएंगे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने जेबीटी (जूनियर बेसिक प्रशिक्षित) अध्यापकों के 1295 पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से अनुबंध के आधार पर भरने के लिए आग्रह किया है। इसके अलावा, आयोग को 467 पदों को भरने के लिए भी आग्रह किया गया है जो पूर्व सरकार द्वारा सृजित किए गए थे लेकिन भरे नहीं गए थे। राज्य सरकार द्वारा जेबीटी के कुल 1762 पदों को भरने का आग्रह किया गया है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा रिक्त पदों को बैचवाइज आधार पर पहले ही भर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता लाने को सर्वोच्च अधिमान दे रही है। शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने के साथ-साथ सभी शैक्षणिक संस्थानों में पर्याप्त संख्या में अध्यापकों की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है। सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप इस क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रदेश सरकार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चरणबद्ध तरीके से राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल खोल रही है, जहां सभी आधुनिक सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध होंगी, ताकि छात्र आत्मविश्वास के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के छात्रों में सीखने का स्तर सबसे अधिक है तथा शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक समय की मांग के अनुसार सुधार किए जा रहे हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा हमेशा से इस पहाड़ी राज्य की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि वर्तमान में राज्य की साक्षरता दर 83 प्रतिशत से भी अधिक है जबकि वर्ष 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के समय हमारी साक्षरता दर मात्र 7 प्रतिशत थी। वर्तमान प्रदेश सरकार ने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं।
इन प्रयासों के उत्साहजनक परिणाम देखने को मिल रहे हैं और हाल ही में जारी राष्ट्रीय रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि हुई है। राज्य सरकार ने कुल राज्य बजट का लगभग 20 प्रतिशत अकेले शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित किया है, जो इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में गुणात्मक परिवर्तन लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।