@ पुणे महाराष्ट्र
केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के पुणे में छत्रपति शिवाजी महाराज की 395वीं जयंती के ऐतिहासिक अवसर पर ‘जय शिवाजी जय भारत‘ भव्य पदयात्रा का नेतृत्व किया। पदयात्रा में उनके साथ मेरा युवा भारत के बीस हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया और छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत के प्रति अपार उत्साह और श्रद्धा प्रदर्शित की।
केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे, केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल सहित कई राज्य मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने इस भव्य पदयात्रा में भाग लिया और यह दूरदर्शी मराठा नेता महान शिवाजी महाराज के प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि प्रकट की।
इस अवसर पर केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सभा को संबोधित करते हुए युवाओं से छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत से शक्ति-प्रेरणा प्राप्त करने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वाभिमान और सम्मान के सिद्धांत आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में भारत के युवाओं का मार्गदर्शन करते रहेंगे। भारत की समृद्ध विरासत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे प्रणेताओं ने राष्ट्र के मूल्य गढ़े हैं और अपने साहस, नेतृत्व और मातृभूमि के लिए अटूट प्रतिबद्धता से कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। डॉ. मांडविया ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन हमें सच्चा नेतृत्व – निस्वार्थ सेवा और राष्ट्र के प्रति अटूट समर्पण की शिक्षा देता है।
डॉ. मांडविया ने छत्रपति शिवाजी महाराज के दूरदर्शी शासन, उनके प्रभावी और कुशल प्रशासन तथा समाज के सभी वर्गों के प्रति उनके गहरे सम्मान का उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन्हीं आदर्शों से प्रेरित होकर सुशासन, सामाजिक कल्याण और आर्थिक विकास पर केंद्रित प्रगतिशील नीतियों द्वारा राष्ट्र को मज़बूत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं को सशक्त बनाने, नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय गौरव बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया जो छत्रपति शिवाजी महाराज के स्थिति अनुकूल व्यवहार और आत्मनिर्भर समाज के सिद्धांतों के साथ संरेखित हैं। उन्होंने युवाओं से छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह आगे बढ़कर उत्तरदायित्व लेने और भारत को एक विकसित भारत बनाने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवा राष्ट्र के भविष्य के साथ ही वर्तमान शक्ति हैं, जो भारत को महानता की ओर ले जाएंगे।
डॉ. मांडविया ने जोर देकर कहा कि भारत के युवाओं में राष्ट्र की प्रगति प्रेरक शक्ति बनने की क्षमता है। उन्होंने युवाओं को दृढ़ संकल्प, निष्ठा और देश के प्रति कर्तव्य बोध जैसे गुण अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह छत्रपति शिवाजी महाराज ने एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर राष्ट्र की कल्पना की थी, उसी तरह आज के युवाओं को नवप्रवर्तन, सामाजिक सद्भाव और समावेशी विकास के लिए काम करना चाहिए। डॉ. मांडविया ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों का पालन कर हम एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं जो आत्मगौरव, परिस्थिति अनुकूल और एकता की भावना से पूर्ण हो।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रति पूरे विश्व में श्रद्धा का भाव होने का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी जयंती भारत के अलावा 20 देशों में मनाई जाती है। फड़णवीस ने शासन, कर नीति, कल्याणकारी नीतियों, रक्षा और नौसेना प्रबंधन में शिवाजी महाराज के महान दूरदर्शी नेतृत्व का उदाहरण दिया। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज से संबंधित 12 दुर्ग को यूनेस्को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों के प्रति आभार व्यक्त किया और जल्द ही इसे स्वीकृति मिलने का विश्वास व्यक्त किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने युवाओं से शिवाजी महाराज के सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया।
केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे ने अपने संबोधन में छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, विवेक और न्यायप्रियता की चिरस्थायी विरासत की चर्चा की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनका नेतृत्व और स्वराज्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता राष्ट्र की एकता और धर्मनिष्ठता बनाए रखने के लिए प्रेरित करती रहेगी। शिवाजी महाराज के आदर्शों के साथ महाराष्ट्र के गहरे जुड़ाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह उन्होंने युवाओं को संगठित कर राष्ट्र क्रांति का नेतृत्व किया, उसी तरह युवा पीढ़ी को एकजुट कर विकसित भारत के स्वप्न को साकार किया जा सकता है। देश का भविष्य गढ़ने में युवा शक्ति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वास की पुष्टि करते हुए उन्होंने सबसे छत्रपति शिवाजी महाराज के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित विकसित भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता संकल्प लेने का आह्वान किया।
भव्य ‘जय शिवाजी जय भारत’ पदयात्रा आरंभ होने से पहले, इसमें भाग ले रहे नेताओं ने पर्यावरण स्थिरता और प्रकृति के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत पौधारोपण किया। इस सार्थक प्रयास के उपरांत वे छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत के श्रद्धांजलि स्वरूप भव्य यात्रा में शामिल हुए।
सीओईपी कॉलेज से आरंभ हुई चार किलोमीटर की पदयात्रा का फर्ग्यूसन कॉलेज में समापन होने से पहले एआईएसएसपीएमएस कॉलेज पुणे में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास ठहराव हुआ। बाद में पदयात्रा रानी लक्ष्मीबाई चौक और गुडलक चौक पर भी थोड़े अंतराल के लिए रुकने के बाद गंतव्य तक पहुंची।
यात्रा के प्रत्येक पड़ाव पर महाराष्ट्र की जीवंत संस्कृति दिखी, जिसमें युवा पारंपरिक नृत्य और गीत-संगीत प्रस्तुत कर रहे थे। इस दौरान मल्लखंभ का भी प्रदर्शन किया गया, जो राज्य की समृद्ध विरासत का प्रतीक है। पदयात्रा का हर पड़ाव पर ढोल नगाड़ों से स्वागत किया गया, जिससे पूरी यात्रा में उत्साह का माहौल बना रहा।
महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित ‘जय शिवाजी जय भारत’ पदयात्रा देश भर में आयोजित 24 पदयात्राओं की श्रृंखला की छठी पदयात्रा थी, जो संविधान के 75 वर्ष पूरे होने तथा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता दर्शाने के लिए आयोजित की जा रही है। इस भव्य आयोजन में केवल पुणे में ही बीस हजार से अधिक युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र के सभी 36 जिलों में एक साथ ऐसी ही पदयात्राएं आयोजित की गईं जिनमें प्रत्येक जिले में लगभग तीन हजार लोगों ने सक्रियता से भाग लेकर सामूहिक रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज की चिरस्थायी विरासत को श्रद्धांजलि दी।
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