@ नई दिल्ली
पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो का 54वां स्थापना दिवस भारत के पुलिस बलों के आधुनिकीकरण और संवर्द्धन के प्रति पांच दशकों से अधिक के समर्पण का प्रतीक है। गृह मंत्रालय के तहत वर्ष 1966 में स्थापित तत्कालीन पुलिस अनुसंधान और सलाहकार परिषद को एक नई दिशा प्रदान करने के उद्देश्य से 28 अगस्त 1970 को BPR&D की स्थापना की गयी थी।
पुलिस विभाग से संबंधित विभिन्न चुनौतियों, पुलिस कार्यप्रणाली को समयबद्ध, सहज व सरल बनाने के लिए विज्ञान- प्रौद्योगिकी से जोड़ने जैसे महत्तवपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस ब्यूरो की स्थापना की गयी थी।
प्रारंभ में, अनुसंधान – सांख्यिकी व प्रकाशन और विकास। भारत सरकार ने वर्ष 1971 में गोर समिति की सिफारिशों के आधार पर पुलिस कार्यप्रणाली को और अधिक कुशल बनाने के लिए साल 1973 में प्रशिक्षण प्रभाग को भी इस ब्यूरो के साथ जोड़ा । इस प्रभाग का उद्देश्य देश भर में पुलिस कर्मियों के कौशल और क्षमताओं का सुधार करना था। 1983 में BPR&D में फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय की स्थापना के साथ और विस्तार हुआ, इसके बाद 1995 में जेल प्रशासन में आवश्यक सुधारों को ध्यान में रखते हुए सुधार प्रशासन को BPR&D में शामिल किया गया।
भारत सरकार ने वर्ष 2008 में देश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए पुलिस बलों को और अधिक प्रभावी BPR&D के तहत राष्ट्रीय पुलिस मिशन शुरू किया।BPR&D 54वां स्थापना दिवस मना रहा है जो कि भारत में आधुनिक पुलिस व्यवस्था इसकी महत्वपूर्ण भूमिका और अनुसंधान, विकास और नवाचार के माध्यम से कानून प्रवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए इसकी निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
देश में पुलिस व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए:
- पुलिस और सुधारात्मक सेवाओं के लिए अनुसंधान एवं विकास नीतियों में निवेश करना।
- बेहतर प्रदर्शन के लिए उपयुक्त तकनीक विकसित करना और उसका प्रयोग सुनिश्चित करना।
- वैज्ञानिकता को बढ़ावा देना।
- प्रशिक्षण के द्वारा मानव संसाधन विकास में निवेश।
- पुलिस और सुधारात्मक प्रशासन को जनता के लिए पेशेवर सेवाओं के रूप में विकसित करना।
- राज्यों और केंद्रीय पुलिस संगठनों के बीच सहयोग-समन्वय को बढ़ावा देना।
- पुलिस और जेल संगठनों में कुशल प्रशासन को बढ़ावा देना।
- देश की आंतरिक सुरक्षा की भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए पुलिस बलों को आवश्यक बौद्धिक, भौतिक और संगठनात्मक संसाधनों से लैस करके उनमें आवश्यक सुधार करना ।
कार्यालय
- केंद्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी, भोपाल
- केंद्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी, गाजियाबाद
- केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान, कोलकाता
- केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान, हैदराबाद
- केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान, चंडीगढ़
- केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर
- केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान, बेंगलुरु
- केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान, श्रीनगर (आगामी)
- केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थान, अगरतला (आगामी)
ब्यूरो का नेतृत्व महानिदेशक स्तर के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी करते हैं, जिनकी सहायता अतिरिक्त महानिदेशक करते हैं। महानिरीक्षक स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में 6 प्रभाग कार्य करते हैं। इंस्पेक्टर जनरल रैंक के अधिकारियों की देख-रेख में 6 डिवीजन काम कर रहे हैं।
BPR&D के प्रभाग इस प्रकार हैं:
28 अगस्त 1970 को स्थापित BPR&D की रिसर्च विंग को देश भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों और संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए अनुसंधान संबंधी गतिविधियों की ज़िम्मेवारी सौंपी गयी है। इसमें विभिन्न संस्थानों, मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से अनुसंधान संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देना और मार्गदर्शन करना शामिल है।
यह विंग राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय पुलिस संगठनों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सहित हितधारकों के लिए अनुसंधान निष्कर्षों के प्रकाशन और प्रसार पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इसके अतिरिक्त, रिसर्च विंग पुलिसिंग और सुधारात्मक प्रशासन से संबंधित मामलों पर गृह मंत्रालय को महत्वपूर्ण नीतिगत इनपुट भी देता है।
वर्ष 1995 में BPR&D की जिम्मेदारियों में सुधारात्मक प्रशासन विंग को जोड़ा गया। यह विंग, मौज़ूदा सामाजिक परिस्थितियों और आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों के संदर्भ में पुलिस प्रशिक्षण कार्यक्रमों की समीक्षा करता है। यह विंग सुधारात्मक प्रशासन के क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर जेल कर्मचारियों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिएविषय, पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या सहित समान प्रशिक्षण मॉड्यूल भी तैयार करता है। इसके अलावा, बीपीआर एंड डी जेल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को प्रायोजित करता है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जेल विभागों और प्रशिक्षण संस्थानों का सहयोग करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी कर्मचारी नवीनतम तकनीकों से लैस हों।
प्रशिक्षण प्रभाग
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPR&D) का प्रशिक्षण प्रभाग पूरे भारत में पुलिस कर्मियों के व्यापक सेवाकालीन प्रशिक्षण के लिए उत्तरदायी है। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का समन्वय करता है, जिसमें विदेशी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सहायता प्राप्त कार्यक्रम भी शामिल हैं । प्रशिक्षण प्रभाग, भारत में विदेशी पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए विदेश मंत्रालय (एमईए) के साथ समन्वय स्थापित करता है। गृह मंत्रालय के तहत पुलिस प्रशिक्षण के लिए नोडल एजेंसी के रूप में, BPR&D प्रशिक्षण पद्धतियों का मानकीकरण करता है और कौशल विकास के लिए नीतियां बनाता है।
यह प्रभाग चंडीगढ़, कोलकाता, हैदराबाद, जयपुर और गाजियाबाद में पांच केंद्रीय जासूस प्रशिक्षण संस्थानों की देखरेख करता है। यह भोपाल में सेंट्रल एकेडमी फॉर पुलिस ट्रेनिंग का भी प्रबंधन करता है, जो पुलिस उपाधीक्षक रैंक के अधिकारियों को प्रशिक्षित करता है। BPR&D प्रशिक्षण हस्तक्षेप योजना के माध्यम से देश भर में प्रशिक्षित जांचकर्ताओं का एक समूह बनाने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। इसके अतिरिक्त, BPR&D भारतीय पुलिस अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण प्रयासों को बढ़ाने हेतु अमेरिका, कनाडा, इटली, सिंगापुर और फ्रांस सहित लगभग 25 देशों के साथ प्रशिक्षण सहयोग बनाए रखता है।
आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी विकास
BPR&D का आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी विकास प्रभाग आधुनिक टेकनोलॉजी के जरिये भारत में पुलिस बलों को बेहतर ढंग से कार्य करने के लिए सक्षम बनाता है। यह प्रभाग वर्तमान में पुलिस बलों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों की समीक्षा करता है । पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली को अधिक उन्नत व सहज बनाने के लिए आवश्यकतानुसार उपकरण तैयार करता है। यह कानून प्रवर्तन में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और अन्य वैज्ञानिक संगठनों के साथ घनिष्ठ संपर्क बनाए रखता है।
इसके अतिरिक्त, प्रभाग, पुलिस बलों के लिए आधुनिकीकरण योजना का मूल्यांकन करता है, उचित प्रौद्योगिकियों, उत्पादों और सेवाओं के चयन पर गृह मंत्रालय (एमएचए) को विशेषज्ञ सलाह प्रदान करता है। विभिन्न योजनाओं के प्रभाव का आंकलन भी करता है।
राष्ट्रीय पुलिस मिशन
वर्ष 2005 में घोषित, राष्ट्रीय पुलिस मिशन का लक्ष्य भारत के पुलिस बलों को आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए एक प्रभावी साधन में बदलना है। यह मिशन पुलिसिंग के प्रति “नई सोच” को बढ़ावा देने के लिए पुलिस विभाग को आवश्यक सामग्री, बौद्धिक और संगठनात्मक संसाधनों से लैस करने पर केंद्रित है।
राष्ट्रीय पुलिस मिशन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- पुलिस प्रशासन की संभावित चुनौतियों के लिए तैयार करना : पुलिस बलों को संभावित खतरों और जटिल परिदृश्यों से निपटने के लिए तैयार करना।
- विशेषज्ञता: आतंकवाद से निपटने, उग्रवाद-विरोधी, साइबर अपराध और आर्थिक अपराध जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता विकसित करना।
- पुलिसिंग को मजबूत करना: महानगरीय और ग्रामीण दोनों जगह पुलिसिंग क्षमताओं को बढ़ाना।
- दृष्टिकोण परिवर्तन: पुलिस की सार्वजनिक धारणा और प्रभावकारिता में सुधार के लिए “बल मनोविज्ञान” से “सेवा मनोविज्ञान” पर ध्यान केंद्रित करना।
- प्रौद्योगिकी एकीकरण: पुलिस संचालन को सहयोग देने और बढ़ाने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
- सामुदायिक पुलिसिंग: नागरिकों तक प्रभावी सेवा की पहुंच सुनिश्चित करने, पुलिस और समुदायों के बीच विश्वास को बढ़ाने के लिए सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा देना।
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) के प्रशासन प्रभाग का नेतृत्व आईजी/निदेशक रैंक के एक अधिकारी द्वारा किया जाता है, जिसे एक डीआईजी और सहायक निदेशक (प्रशा.), सिस्टम, निर्माण, खरीद, समन्वय और स्थापना, एक टीम द्वारा समर्थित किया जाता है। यह प्रभाग कर्मियों की भर्ती, सामग्री और उपकरणों की खरीद, निर्माण और रखरखाव गतिविधियों और बीपीआर एंड डी मुख्यालय की सुरक्षा सहित सभी प्रशासनिक और वित्तीय मामलों का प्रबंधन करता है। यह गृह मंत्रालय (एमएचए) के साथ संपर्क भी संभालता है और आईटी से संबंधित मामलों की देखरेख करता है।
प्रशासनिक प्रभाग सभी प्रभागों के लिए बजट अनुदान तैयार करने और नियमित रूप से व्यय की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार है। वित्तीय स्वीकृतियाँ इस प्रभाग के माध्यम से संसाधित की जाती हैं, जो भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के अनुरूप अपने कर्मियों के लिए कल्याणकारी गतिविधियों का प्रबंधन भी करती है।
BPR&D की स्थापना के साथ अस्तित्व में आया विशेष परियोजना प्रभाग, ब्यूरो के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे मानव तस्करी विरोधी, लिंग संबंधी चिंताओं और अल्पसंख्यक एवं एससी/एसटी समुदायों से संबंधित मामलों (जिन पर अकादमिक अनुसंधान से हट कर ध्यान देने की आवश्यकता है) पर ध्यान केंद्रित करता है। इस प्रभाग की सांख्यिकीय इकाई नीतिगत निर्णयों एवं निष्कर्षों को सूचित करने के लिए डेटा जुटाने और विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है। विशेष परियोजना प्रभाग, ब्यूरो के भीतर महत्वपूर्ण और विशेष मुद्दों के व्यापक प्रबंधन को सुनिश्चित करता है।
महत्वपूर्ण प्रकाशन
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPR&D) कई प्रमुख प्रकाशन तैयार करता है जो पुलिस और सुधारात्मक प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों के रूप में काम करते हैं:
इंडियन पुलिस जर्नल (आईपीजे): 1954 में स्थापित BPR&D का प्रमुख त्रैमासिक प्रकाशन, पुलिसिंग, पुलिस प्रशासन और प्रबंधन, सुधारात्मक प्रशासन, जेल प्रबंधन, फोरेंसिक, डिजिटल साक्ष्य और पुलिस बलों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं और मानकों को साझा करने सहित कई विषयों को शामिल करता है।
पुलिस संगठनों पर डेटा (डीओपीओ): 1986 से एक वार्षिक प्रकाशन, डीओपीओ राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के लिए पुलिस जनशक्ति, बुनियादी ढांचे, वाहनों, पुलिस स्टेशनों और अधिक पर विस्तृत डेटा प्रदान करता है। इस डेटा का उपयोग सरकारी एजेंसियों, नीति आयोग और गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा किया जाता है।
पुलिस विज्ञान पत्रिका: बीपीआर एंड डी की हिंदी भाषा की पुलिस पत्रिका, अर्धवार्षिक रूप से प्रकाशित होती है, जो पुलिस समुदाय के लिए प्रासंगिक अंतर्दृष्टि और जानकारी प्रदान करती है।
पुलिस ड्रिल मैनुअल: विस्तृत प्रक्रियात्मक मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए आवश्यकतानुसार प्रकाशित विभिन्न पुलिस ड्रिलों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका।
सजग भारत और सतर्क भारत पत्रिका: एक पाक्षिक पत्रिका जो गृह मंत्रालय, सीएपीएफ और सीपीओ की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डालती है।
BPR&D समाचार बुलेटिन: एक त्रैमासिक प्रकाशन जो BPR&D की प्रमुख गतिविधियों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है, हितधारकों को ब्यूरो के काम और प्रगति के बारे में जानकारी देता है ।
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