@ नई दिल्ली :-
उत्तराखंड की पृष्ठभूमि पर आधारित नाटक ‘देव-भूत’ तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर रचित पुस्तक ‘कृतित्व और व्यक्तित्व: पुष्कर सिंह धामी’ लेखक चंद्र मोहन पपनै के नाटक और पुस्तक का लोकार्पण 24 मार्च को खचाखच भरे एल टी जी सभागार मंडी हाउस में उत्तराखंड के प्रबुद्ध जनों में प्रमुख दिवान सिंह बजेली, सतीश टम्टा, डॉ. के सी पांडे, डॉ. हरि सुमन बिष्ट, मदन मोहन सती, चंदन डांगी इत्यादि इत्यादि के कर कमलों किया गया। वक्ताओं द्वारा पुष्कर सिंह धामी के दूसरे कार्यकाल के तीन वर्ष पूर्ण होने पर किए गए कार्यों व मिली उपलब्धियों पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया।
आयोजन के इस अवसर पर चंद्र मोहन पपनै द्वारा उत्तराखंड की पृष्ठभूमि पर रचित तथा विपिन कुमार द्वारा निर्देशित नाटक ‘देव-भूत’ का प्रभावशाली मंचन भी किया गया।
मंचित नाटक ‘देव-भूत’ का कथासार उत्तराखंड कुमाऊं अंचल के सोरघाटी के गांवों में आस्था, विश्वास तथा संस्कृति का प्रतीक, कृषि व पशुचारण जैसे कार्यो से जुड़ा हुआ तथा रोमांचित करने वाली पौराणिक व अनेकों दंत कथाओं से ओतप्रोत कुमाऊं अंचल के एक मात्र मुखौटा आधारित लोकनाट्य ‘हिलजात्रा’ के मुख्य पात्र जिसे स्थानीय ग्रामीण लटेश्वर महादेव, शिव के बारहवें गण, वीरभद्र, लखिया, बाबा तथा भूत इत्यादि विभिन्न नामों से जाना व पुकारा जाता है तथा अंचल का रक्षक व सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है उक्त पौराणिक गाथा तथा मध्य हिमालय उत्तराखंड पर्वतीय अंचल के हास के कगार पर जा रहे पर्यावरण, लोक विधाओं की हो रही विलुप्ति, अभावग्रस्त जीवन, बढ़ते पलायन से भुतहा हो रहे ग्रामीण अंचल के गांवों के लोगों की दुर्दशा, जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक व जनमानस के अंतर्मन में भगवान वीरभद्र के रूप में लखिया देव के प्रति जमे अटूट विश्वास पर आधारित मौलिक नाटक था
नाटक में पिरोए गए अंचल के लोकसंगीत, लोकगायन, नृत्यों तथा संवादों व अभिनय ने दर्शकों को बहुत प्रभावित किया। ‘देव-भूत’ के रूप में गोबिंद महतो के नृत्य तथा सास व बहु की भूमिका में क्रमशः बबीता पांडे व चन्द्रा बिष्ट, हुड़किया व हुड़क्याडी क्रमशः दीवान कनवाल व डॉ. कुसुम भट्ट व बाल कलाकार सृजन पांडे के गायन, नृत्य व अभिनय ने दर्शकों को बहुत प्रभावित किया।
लोकसंगीत की धुनों को संजोने में मधु बेरिया साह, हरीश रावत तथा सतीश नेगी ‘राही’ तथा भुवन रावत की भूमिका की दर्शकों द्वारा मुक्त कंठ प्रशंसा की गई। समूह गायन में महेंद्र लटवाल, के एस बिष्ट तथा अन्य नाटक पात्रों में अखिलेश भट्ट, खुशहाल सिंह रावत, दीपक राना, लक्ष्मी रौतेला, भगवती, के सी कोटियाल तथा गौरव द्वारा निभाई गई विभिन्न पात्रों की भूमिका ने भी दर्शकों को बहुत प्रभावित किया।
वर्ष 1968 में दिल्ली में उत्तराखंड के प्रवासियों द्वारा स्थापित ‘पर्वतीय कला केंद्र’ देश की एक सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक संस्था है। जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के साथ-साथ देश की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण व संवर्धन करना रहा है। उक्त संस्था द्वारा समय-समय पर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय फलक पर आयोजित अनेकों सांस्कृतिक समारोहों में प्रतिभाग कर उत्तराखंड व देश का गौरव बढ़ाया है।
कुमाऊं रेजिमेंट बटालियन की लालकिले में आयोजित डायमंड जुबली, दिल्ली के कमानी सभागार में देश के पूर्व राष्ट्रपति स्व.फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा उक्त संस्था के कलाकारों को अलंकृत किया जाना, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति तथा अन्य विदेशी अतिथियों के सम्मान में समय-समय पर प्रभावशाली रंगारंग कार्यक्रम मंचित कर देश का सांस्कृतिक गौरव बढ़ाने का कार्य किया गया है।
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सौजन्य से आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय भारत रंग महोत्सव में अनेकों बार पर्वतीय कला केंद्र के गीत नाट्यों का मंचन हुआ है। वर्ष 2018 भारत में आयोजित औलंपिक थियेटर में उक्त संस्था द्वारा उत्तराखंड की बोली-भाषा में मंचित ‘राजुला मालूशाही’ का मंचन कर वैश्विक फलक पर ख्याति अर्जित की गई है।
पर्वतीय कला केंद्र द्वारा 17 अक्टूबर 2022 को मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल की प्रभावी उपस्थिति में दिल्ली स्थित एलटीजी सभागार में उपस्थित सैकड़ों दर्शकों की उपस्थिति में संस्था का 55वा स्थापना दिवस अंचल के गीत, संगीत, नृत्य व लोकगाथाओं के अंशों का प्रभावशाली मंचन किया गया था।
वर्ष 2022 में ही हरियाणा के पलवल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व जापानी बहुराष्ट्रीय कंपनी के दर्जनों विदेशी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में कुमाऊं, गढ़वाल और जौनसार के मांगल गीतों का मंचन कर ख्याति अर्जित की गई थी। साथ ही उत्तराखंड कैडर के आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आईएफएस इत्यादि द्वारा इंडिया हैबिटैट सेंटर में अंचल के गीत, संगीत के कार्यक्रम मंचित किए गए थे। वर्ष 2023 माह फरवरी अंतरराष्ट्रीय भारत रंग महोत्सव के अंतर्गत दिल्ली के कमानी सभागार में गीत नाट्य ‘इंद्रसभा’ का मंचन किया था।
माह फरवरी व माह मार्च 2024 में क्रमशः अंतर्राष्ट्रीय भारत रंगमंच महोत्सव समापन दिवस पर उत्तराखंड की गायन शैली पर आधारित कार्यक्रम तथा उत्तराखंड के मौलिक विषय पर गीत, संगीत, नृत्य तथा संवाद आधारित नाटक ‘देवभूमि’ का मंचन किया गया था। माह जनवरी 2025 प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के प्रांगण में देश की मीडिया की प्रभावी उपस्थिति में उत्तराखंड के गीत, संगीत व नृत्य आधारित कार्यक्रम मंचित कर उत्तराखंड का नाम रोशन किया गया था।
पर्वतीय कला केंद्र वर्ष 1989 से भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय द्वारा रिपट्री ग्रुप का दर्जा प्राप्त सांस्कृतिक संस्था रही है। निरंतर उत्तराखंड के लोकगीत, संगीत व नृत्य तथा अंचल की लोक संस्कृति से जुड़े लोकनाट्यों का मंचन कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्यातिरत संस्था है।
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