@ उमा नरेश तिवारी उत्तराखंड
5 मई को राम कथा अमृत वर्षा के अन्तिम दिन में संत प्रवर विजय कौशल महाराज के मुखारविंद से राम कथा का सव चित्रण का अनुभव प्राप्त किया।
महाराज ने कथा के अंतिम दिन में हनुमान एवं भरत को प्रभु राम के सबसे निकट एवं अनन्य भक्त की संज्ञा बताते हुए कहां की जब प्रभु राम ने हनुमान से पूछा की हनुमान संवनी बूटी लेकर के जब आप अयोध्या के ऊपर से जा रहे थे तो क्या भारत भैया से भी आपकी मुलाकात हुई उसका कुछ वृतांत हमें अवश्य बताएं हनुमान कहते हैं कि प्रभु भारत जैसा संत आपका अनन्य भक्त उनके सिवा इस ब्रह्मांड में और कोई नहीं है हनुमान कहते हैं प्रभु भारत वह संत हैं जिनके पास बैठकर शांति मिलती है दुर्गुण समाप्त होते हैं भारत के पास ऐसा बाण है प्रभु जो व्यक्ति आपसे हजारों योजन दूर बैठा हो उसे भी आपके निकट लाने वाला बाण सिर्फ भारत के तरकश में ही है भरत भक्तसिरोमणि हैं।
महाराज ने बताया कि जब युद्ध चल रहा था तो एक दिन रावण हनुमान से कहने लगा कि तू मेरी सेना को अपने मुक्का मार कर समाप्त कर रहा है आज हे वानर तू मेरे साथ मुक्का युद्ध कर हनुमान ने बार-बार मना किया परंतु रावण तो अहंकारी था ,उसने हनुमान को बाध्य कर दिया तब हनुमान ने कहा एक मुक्का रावण आप मुझको मारेंगे और एक मुक्का मैं आपको मारूंगा रावण ने जब हनुमान को मुक्का प्रहार किया तो हनुमान घुटनों के बल गिर गए जब हनुमान की बारी आई तो हनुमान ने रावण को एक ही मुक्के में कई योजन घसीटते हुए एक पहाड़ के पास जाकर के रावण गिरा और अचेत अवस्था में हो गया जब रावण को होश आया तो उसने हनुमान को महाबली कहकर के संबोधित किया तभी से हनुमान को महाबली भी कहा जाता है महाराज कहते हैं कि युद्ध शास्त्रों से नहीं साधनों से नहीं बल्कि संकल्प से युद्ध ता जाता है धर्म के रथ पर सवार होकर के युद्ध करना चाहिए।
राम कथा में विशेष रूप से पधारे भाजपा के नेता पूर्व विधायक दिनेश अग्रवाल अशोक वर्मा एवं कथा व्यास आचार्य सुभाष जोशी की गरिमामय उपस्थिति रही राम कथा यज्ञ समिति के अध्यक्ष राकेश अग्रवाल ,कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी अग्रवाल, विवेक गोयल, अनुज अग्रवाल, गोविंद मोहन ,प्रमोद मित्तल ,उमा, नरेश तिवारी ,भूपेंद्र चड्ढा, पार्षद राकेश पंडित आदि समिति के कार्यकर्ता मौजूद रहे।