स्तन कैंसर के इलाज के लिए एंटीडिप्रेसेंट का भी उपयोग किया जा सकता है

@ नई दिल्ली

स्तन कैंसर के इलाज के लिए एक सस्ता समाधान प्रदान करने के लिए एक अवसादरोधी दवा का पुन: उपयोग किया जा सकता है। महंगी लागत, विकसित करने में लगने वाला लंबा समय और दवा परीक्षण और नियामकीय मंजूरी जरूरतों को देखते हुये नई और प्रभावी कैंसर रोधी दवाओं को तैयार करना जटिल प्रक्रिया रही है। बहरहाल, जैवचिकित्सा वैज्ञानिक दवा खोज के लिये आज दवा पुनप्र्रयोजन का उपयोग कर रहे हैं।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले गुवाहटी स्थित स्वायतशासी निकाय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान के डा. असिस बाला और उनकी शोधकर्ताओं की टीम कैंसर प्रबंधन की बेहतर चिकित्सा रणनीति विकसित करने के लिये दवा पुनप्र्रयोजन के इस क्षेत्र में काम करती आ रही है।

शोधकर्ताओं के इस समूह ने यह दर्शाया है कि सेलेजिलिन (एल- डिप्रेनिल), जो कि मोनोमाइन आक्सीडेज अवरोधक नामक औषधियों के वर्ग की एक अवसादरोधी दवा है, का उपयोग स्तन कैंसर में कैंसररोधी चिकित्सा के रूप में किया जा सकता है।

एकीकृत नेटवर्क औषधीय अध्ययनों में पाया गया है कि सेलेजिलीन परस्पर दस जीन के साथ क्रिया करते है जो कि महत्वपर्णू संख्या में नोड के साथ विभिन्न प्रकार के कैंसर से जटिल रूप से जुड़े हुये हैं। अध्ययन में छह कैंसर कोशिका रेखाओं में सेलेजिलीन की प्रभावकारिता का प्रारम्भिक तुलनात्मक मूल्यांकन किया गया। सेलेजिलीन को एस्ट्रोजेन और प्रोगेस्ट्रोन- पाजिटिव (ईआर प्लस और पीआर प्लस) के साथ साथ तिहरे- नकारात्मक स्तन कैंसर को मारने में प्रभावी पाया गया।

यह स्तन कैंसर कोशिकाओं में एक एसी प्रक्रिया के माध्यम से कोशिका मृत्यू को प्रेरित कर सकता जो कि प्रतिक्रियात्मक आक्सीजन प्रकारों  पर निर्भर नहीं है। इसके अलावा, यह स्तन कैंसर कोशिकाओं में प्रोटीन किनेज सी फोस्फोरिलेशन की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करता है, जो यह बताती है कि यह प्रक्रिया सेलेजिलीन के कारण होने वाली कोशिका मृत्यू में शामिल हो सकती है।

‘‘मेडिकल ऑन्कोलॉजी’’ जर्नल में प्रकाशित हाल के इस अध्ययन से जैवचिकित्सा वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में आगे और खोज करने में मदद मिल सकती है। यह अपनी तरह का पहला शोध है और कैंसर खोज के क्षेत्र में यह बहुत महत्व रखता है। इसमें निकट भविष्य में इन विवो प्रभावकारिता अध्ययन, खुराक अनुकूलन, अंतर्विरोधों और इससे जुड़े प्रतिकूल प्रभावों के मामले में आगे और खोज होनी चाहिये।

प्रकाशन लिंक, डीओआई https://doi.org/10.1007/s12032-024-02451-0

आगे पत्राचार के लिये: डा. असिश बाला, एसोसिएट प्रोफेसर-1, फार्माकोलॉजी एण्ड ड्रग स्किवरी रिसर्च लैब। ईमेल: asisbala@iasst.gov.in

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