उत्तम रोजगार का निरंतर सृजन के लिए कृषि-प्रसंस्करण और केयर अर्थव्यवस्था दो उभरते क्षेत्र

@ नई दिल्ली

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘आर्थिक समीक्षा 2023-24’ पेश करते हुए कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति से वैश्विक श्रमिक बाजार में व्यवधान और लगातार परिवर्तन जारी है और भारत भी इसके द्वारा होने वाले परिवर्तन से बच नहीं सकता है।

2036 तक रोजगार सृजन की आवश्यकता

आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।

ग्राफिक्स-

समीक्षा में कहा गया है कि इसके लिए पीएलआई (5 वर्षों में 60 लाख रोजगार सृजन), मित्र टेक्सटाइल योजना (20 लाख रोजगार सृजन), मुद्रा आदि की मौजूदा योजनाओं को पूरक बनाने की गुंजाइश है।

AI: सबसे बड़ा व्यवधान

आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है कि भारत की गहन जनसांख्यिकीय लाभांश और बहुत युवा आबादी के साथ, AI जोखिम और अवसर दोनों का सृजन करता है। विनिर्माण क्षेत्र AI के संपर्क में कम है, क्योंकि औद्योगिक रोबोट न तो मानव श्रम के रूप में फुर्तीले हैं और न ही लागत प्रभावी हैं। भारत में AI खतरा और अवसर दोनों प्रदान करता है और विशेष जोखिम बीपीओ क्षेत्र में है, जहां जेनAI चौटबॉट्स के माध्यम से नियमित संज्ञानात्मक कार्यों के प्रदर्शन में क्रांति ला रहा है और अगले दस वर्षों में इस क्षेत्र में रोजगार में काफी गिरावट होने का अनुमान है। हालांकि, अगले दशक में, AI के क्रमिक प्रसार में उत्पादकता में वृद्धि होने की उम्मीद है।

प्रौद्योगिकी के साथ काम करने के लिए भारत की आबादी की आत्मीयता को देखते हुए, जैसा कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के साथ देखा गया है, सरकार और उद्योग द्वारा सक्रिय हस्तक्षेप भारत को AI युग में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थान दे सकता है।

भारत में AI का अधिकतम लाभ उठाना

इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया कि AI के लिए एक अंतर-एजेंसी समन्वय प्राधिकरण की आवश्यकता है, जो AI और रोजगार सृजन पर अनुसंधान, निर्णय लेने, नीति नियोजन का मार्गदर्शन करने वाले केन्द्रीय संस्थान के रूप में कार्य करेगा।

सरकार ने आई सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने और AI को देश के युवाओं से जोड़ने के लिए कई पहल शुरू की हैं। इनमें से कुछ में फ्यूचर स्किल्स प्राइम, युवाई यूथ फॉर उन्नति एंड डेवलपमेंट विद AI स्कूली छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम और पिस्पॉन्सिबल AI फॉर यूथ 2022 शामिल है। भारत AI मिशन के लिए 2024 में 10,300 करोड़ रुपये का बजट प्रदान किया गया है, जो AI पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

गिग इकोनॉमी की ओर शिफ्ट

राष्ट्रीय श्रम बल सर्वेक्षण के आंकड़ों के आधार पर नीति आयोग के सांकेतिक अनुमानों के अनुसार, 2020-21 में 77 लाख (7.7 मिलियन) श्रमिक गिग इकोनॉमी में कार्यरत थे और आर्थिक समीक्षा 2023-24 के अनुसार, 2029-30 तक गिग कार्यबल के 2.35 करोड़ (23.5 मिलियन) तक बढ़ने की उम्मीद है। 2029-30 तक गिग वर्कर्स के गैर-कृषि कार्यबल का 6.7 प्रतिशत या भारत में कुल आजीविका का 4.1 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय संदर्भ में और विश्व स्तर पर गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए प्रभावी सामाजिक सुरक्षा पहल का निर्माण एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को शामिल करने के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभों के दायरे का विस्तार करना एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन को वर्तमान समय की एक कठोर वास्तविकता मानते हुए और मौसम की चरम घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि का अनुमान करते हुए, समीक्षा में कहा गया कि सहवर्ती परिणाम नौकरियों और उत्पादकता का संभावित नुकसान है।

जलवायु परिवर्तन का एक अन्य पहलू हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाकर और हरित ऊर्जा विकल्पों में संक्रमण करके इसके प्रभाव को कम करने का प्रयास है। यह प्रवृत्ति उन व्यवसायों की ओर ले जा रही है जो निवेश द्वारा संचालित एक मजबूत रोजगार-सृजन का प्रभाव देख रहे हैं, जो व्यवसायों के हरित संक्रमण और ईएसजी मानकों के लागू की सुविधा प्रदान करते हैं।

भारत का औद्योगिक क्षेत्र प्रगति की ओर

आर्थिक समीक्षा के अनुसार भारत का औद्योगिक क्षेत्र में लाभ वित्त वर्ष 2024 में 15 साल में सर्वाधिक है।इसमें कहा गया कि यह व्यापार का दायित्व है कि वह पूंजी और श्रमिक प्रस्थापित करने में संतुलन स्थापित करें। उनके AI के प्रति लगाव और प्रतिस्पर्धा बढ़ने का डर, व्यापार को रोजगार निर्माण और सामाजिक स्थिरता पर उसके प्रभाव के बारे में अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखना चाहिए।

उत्तम रोजगार के लिए कृषि-प्रसंस्करण और केयर अर्थव्यवस्था

आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है कि कृषि की दृष्टि से प्रदत्त देश होने के नाते भारत अपने विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों द्वारा प्रस्तावित उत्पादों की श्रेणी का उपयोग कर सकता है और उत्पादक रूप से बड़ी संख्या में ग्रामीण कार्यबल को रोजगार दे सकता है, जिसमें ऐसी महिलाएं शामिल हैं, जो लाभकारी अंशकालिक रोजगार चाहती हैं और शिक्षित युवा जो छोटे से मध्यम स्तर के कृषि-प्रसंस्करण इकाइयों को संभालने के लिए तकनीकी रूप से कुशल हो सकते हैं।

मनरेगा में श्रमिकों को ज्यादा उत्पादक और वित्तीय रूप से तनावपूर्ण उद्यमों में स्थानांतरित करने की पर्याप्त गुंजाइश है। यह देखते हुए कि कृषि और संबंधित उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बने हुए हैं, रोजगार सृजन के लिए इस क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाना अनिवार्य है। श्रम, लॉजिस्टिक्स, क्रेडिट और विपणन के लिए मेगा फूड पार्क, स्किल इंडिया, मुद्रा, एक जिला-एक उत्पाद आदि के बीच तालमेल का उपयोग करने से इस क्षेत्र को लाभ हो सकता है।

इस बात की पहचान करते हुए कि महिलाओं पर देखभाल संबंधी कार्य का अनुपातहीन बोझ भारत सहित दुनिया भर में कम FLFPR के परिणास्वरूप है, महिलाओं के लिए समान अवसर – जेंडर और अवैतनिक देखभाल संबंधी कार्य को अलग करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

केयर क्षेत्र विकसित करने का आर्थिक मूल्य दो गुना है-LLFPR को बढ़ाना और आउटपुट एवं रोजगार सृजन के लिए एक आशाजनक क्षेत्र को बढ़ावा देना। समीक्षा में कहा गया है कि भारत के मामले में, सकल घरेलू उत्पाद के 2 प्रतिशत के बराबर प्रत्यक्ष सार्वजनिक निवेश से 11 मिलियन रोजगार सृजन होने की संभावना है, जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को मिलेंगी।

भारत में वरिष्ठ देखभाल सुधार

समीक्षा में कहा गया कि बढ़ती उम्रदराज आबादी से जुड़ी देखभाल की जिम्मेदारी के लिए भविष्य के लिए तैयार बुजुर्ग देखभाल नीति विकसित करने के लिए वरिष्ठ देखभाल के बारे में शुरुआती बातचीत जरूरी है, देखभाल अर्थव्यवस्था 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए भारत टू-डू सूची में शीर्ष-स्तरीय प्रविष्टि है। एडीबी रिपोर्ट के अनुसार वृद्ध लोगों की कार्य क्षमता एक बड़ा आर्थिक संसाधन है। 60-69 वर्ष की आयु की आबादी की अप्रयुक्त कार्य क्षमता के इस सिल्वर डिविडेंड का उपयोग करने से एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए जीडीपी में औसतन 1.5 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।

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