@ वाराणसी उत्तरप्रदेश :
पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार (उत्तरी क्षेत्र) ने वाराणसी के प्रतिष्ठित स्वर्वेद महामंदिर धाम में आध्यात्मिक पर्यटन एवं ध्यान पर सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आध्यात्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में वाराणसी की अद्वितीय स्थिति को उजागर करना तथा घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए ध्यान को एक प्रमुख आकर्षण के रूप में बढ़ावा देना था।
क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) डॉ. आर. के. सुमन ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए इसके महत्व पर जोर दिया। वाराणसी, एक आध्यात्मिक केंद्र होने के कारण, प्रतिवर्ष लाखों घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य आध्यात्मिक पर्यटन एवं ध्यान के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में वाराणसी की स्थिति को और बढ़ाना है।
यह सत्र संत प्रवर विज्ञानदेव जी महाराज के दिव्य आशीर्वाद से आयोजित किया गया तथा इसमें पर्यटन मंत्रालय के उच्च अधिकारियों, टूर आयोजकों, बीएचयू के प्रोफेसरों एवं छात्रों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया। स्वर्वेद महामंदिर के बारे में एक प्रस्तुति में पीयूष कुमार ने बताया कि विहंगम योग के प्रणेता परम पूज्य अनंत सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज ने 17 वर्षों की साधना के पश्चात वर्ष 1924 में प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान की पुनर्स्थापना की शुरुआत की थी।
उन्होंने हिमालय की गुफाओं में स्वर्वेद में अपने आध्यात्मिक अनुभवों को व्यक्त किया था, जिस पर स्वर्वेद महामंदिर धाम आधारित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की हाल की दो यात्राओं के वीडियो अंश भी दिखाए गए। संस्था 6-7 दिसंबर को 25,000 कुंड वैदिक हवन यज्ञ के साथ अपने 100 वर्ष पूरे होने का समारोह भी मना रही है।
इस सत्र के गणमान्यों ने आज की तेज-रफ्तार दुनिया में अध्यात्म और ध्यान के महत्व को करीब से देखा। डॉ. इंदु प्रकाश मिश्रा, चंदन सिंह और मानक चंद जैन (सूरत) ने सभी को स्वर्वेद महामंदिर का विस्तृत दौरा कराया।
इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने हिस्सा लिया, जिनमें एडीटीओआई (यूपी चैप्टर) के अध्यक्ष सुशील सिंह, पर्यटन कल्याण संघ (यूपी) के अध्यक्ष राहुल मेहता, गाइड एसोसिएशन वाराणसी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह, सुकृत वेलनेस के गंगाधर और गोपाल ऋषि, वाराणसी के इंडिया टूरिज्म के प्रबंधक पावस प्रसून और बीएचयू के अकादमिक प्रतिनिधि प्रवीण सिंह राणा शामिल थे।
प्रत्येक वक्ता ने इस बारे में बहुमूल्य जानकारी साझा की कि किस तरह से ध्यान और आध्यात्मिक प्रथाओं को पर्यटन में एकीकृत किया जा सकता है, ताकि आगंतुकों को अद्वितीय और समृद्ध अनुभव प्रदान किए जा सकें। उन्होंने महामंदिर के बारे में और भी अधिक जानने और यह सुनिश्चित करने की अपनी उत्सुकता व्यक्त की कि वाराणसी के अधिक से अधिक आगंतुक महामंदिर का दौरा करें। सम्मेलन में आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में वाराणसी की वैश्विक अपील को मजबूत करने के लिए अभिनव रणनीतियों की भी खोज की गई और पर्यटन क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों पर चर्चा की गई।
पर्यटन मंत्रालय ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को बढ़ावा देने वाली पहलों का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। यह सम्मेलन भारत में आध्यात्मिक पर्यटन की क्षमता का दोहन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका केंद्र वाराणसी है।