विकास सप्ताह, विकास गाथा : गुजरात में ज्योतिग्राम योजना से जगमगा उठे गांव

@ गांधीनगर गुजरात

7 अक्टूबर 2001 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गुजरात के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद शुरू हुई गुजरात की अविरत विकास यात्रा को 7 अक्टूबर, 2024 को 23 वर्ष पूरे हो गए हैं। नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, तब से लेकर अब तक की ग्लोबल गुजरात की संकल्प सिद्धि की इस बहुविध विकास यात्रा और जनहितकारी सुशासन की गाथा को जनजन के बीच उजागर करने के लिए प्रतिवर्ष 7 से 15 अक्टूबर के दौरान पूरे राज्य में उमंग और उत्साह के साथविकास सप्ताहमनाने की शुरुआत हुई है।

नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह से दूरदर्शी विजन के साथ गुजरात में समस्याओं के समाधान की रणनीतिक योजना बनाई, वह उन्हें एक कुशल नेता के रूप में स्थापित करती है। मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया, वह था गांवों तक 24 घंटे बिजली पहुंचाना। इसके लिए उन्होंने ज्योतिग्राम योजना की घोषणा की थी। अत्यंत कठिन मालूम हो रहे इस काम को दूरदर्शिता और योजनाबद्ध तरीके से सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। नतीजा यह कि, आज गुजरात के गांव 24 घंटे बिजली से जगमगा रहे हैं।

कम से कम रात्रि भोजन के समय तो बिजली का इंतजाम करिए

ज्योतिग्राम योजना योजना की सफलता को लेकर एक कार्यक्रम में बोलते हुए मोदी ने बताया कि, “अक्टूबर, 2001 में जब मुझे गुजरात का दायित्व मिला, तब कई लोग मुझसे मिलने के लिए आया करते थे और कहते थे कि कम से कम इतना तो करिए कि रात्रि भोजन के समय बिजली उपलब्ध हो। यह उनकी मांग थी। इसके बाद हमने ज्योतिग्राम योजना का अभियान चलाया और लोगों की भागीदारी से चलाया। हमने 1 हजार दिनों तक यह अभियान चलाया और मैंने तय किया कि प्रत्येक गांव को चौबीस घंटे बिजली मिलनी चाहिए। इसके लिए जिस भी तकनीकी समाधान की जरूरत हो, हमउसेढूंढ़ेंगे।

आपके लिए यह आश्चर्यजनक बात होगी कि वही सरकार, वही कर्मचारी, वही फाइलें और वही प्रक्रियाएं तथा वही आदतें। बावजूद हमने उन सभी लोगों में प्रेरणा जगाई। हमने यह विश्वास पैदा किया कि हमारा राज्य ऐसा नहीं, इस प्रकार का होना चाहिए। एक हजार दिनों में हमने काम पूरा किया और आज गुजरात के गांवों में 24 घंटे थ्रीफेज बिजली की आपूर्ति की जाती है।

18 हजार से अधिक गांवों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए 1290 करोड़ रुपए का निवेश

ज्योतिग्राम योजना के लागू होने से पहले गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों के घरों, व्यापारिक और शैक्षणिक संस्थानों सहित किसानों को केवल 8 से 14 घंटे बिजली आपूर्ति होती थी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास अवरुद्ध होता था और नागरिकों के मन में असंतोष का भाव पनपता था। सितंबर-2003 से ज्योतिग्राम योजना के कार्यान्वयन के बाद गैरकृषि उपभोक्ताओं को अलग फीडरों के माध्यम से 24 घंटेबिजलीआपूर्तिकेसाथजोड़ागया।

इस योजना ने ग्रामीण गुजरात में व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियों को गति दी है। अब तक 2495 ज्योतिग्राम फीडर स्थापित किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत 17 लाख नए बिजली के खंभे, 78,454 किलोमीटर नई लाइनें और 18,724 नए ट्रांसफार्मर केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो कृषि के लिए खपत को प्रभावित किए बिना अन्य उपभोक्ताओं को अबाधित बिजली आपूर्ति की सुविधा प्रदान करते हैं। 18,065 गांवों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति की व्यवस्था के लिए और कृषि के लिए गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 1290 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।

किसान मित्रों के लिए बिजली आपूर्ति

खेतों में रहने वाले किसानों को एग्रीकल्चर डोमिनेंट फीडरों के माध्यम से कम से कम 8 घंटे के लिए सतत थ्रीफेज बिजली आपूर्ति मिलती है। इसके बाद, बिजली वितरण कंपनियों द्वारा निर्मित किए गए विशेष डिजाइन के ट्रांसफार्मर्स के जरिए शेष अवधि में सिंगल फेज बिजली आपूर्ति की जाती है। अब तक 4615 एसडीटी स्थापित किए गए हैं, जिससे किसानों को गैरकृषि उद्देश्य के लिए भी 24 घंटे बिजली आपूर्ति मिलती है।

इतना ही नहीं, इस योजना से विद्यार्थियों को शिक्षा के लिए कंप्यूटर का उपयोग करने के लिए बढ़ावा मिलता है, और टीवी एवं अन्य उपकरणों के माध्यम से मनोरंजन भी उपलब्ध होता है। ज्योतिग्राम योजना से स्थानीय डेयरी और दूध परीक्षण प्रक्रियाओं में मदद मिली है। रखरखाव खर्च की बचत के साथ ही किसानों के मोटर पम्प की विफलता में कमी आई है। खास बात यह है कि इस योजना के कारण गांवों में काम के घंटे में भी वृद्धि हुई है।

राष्ट्रीय स्तर पर ज्योतिग्राम योजना से मिली प्रेरणा

गुजरात में इस योजना के सफल कार्यान्वयन से प्रेरित होकर भारत सरकार ने दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) नामक समान पहल को देश भर में लागू किया गया है। इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य गुजरात में प्राप्त लाभों एवं सकारात्मक परिणामों का देश भर में विस्तार करना है, जो राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण विद्युतीकरण एवं टिकाऊ ऊर्जा विकास के महत्व को दर्शाता है।

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