@ सिद्धार्थ पाण्डेय गुवा/ जमशेदपुर झारखंड
बौद्ध धर्म से पूर्णत प्रभावित होने के कारण 10 दिवसीय विपश्यना साधना करने वाले मलेशिया के विजय कु सिह ने बताया कि बौद्ध धर्म से पूर्णत प्रभावित होने के कारण उन्होंने 10 दिवसीय विपश्यना साधना किया है।
बुद्ध से पहले की अन्य अभ्यास प्रणालियों ने भी समाधि की शिक्षा दी थी, लेकिन बुद्ध विपश्यना की खोज करने और सिखाने वाले पहले व्यक्ति थे । हलाँकि कुछ बौद्ध साधक विपश्यना की ओर मुड़ने से पहले समाधि ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं, लेकिन जागृति की खोज के लिए समाधि अभ्यास वास्तव में आवश्यक नहीं है। इसमें प्रतिभागी एक कठोर समय सारिणी का पालन करते हुए विपश्यना तकनीक को सीखते और उसका अभ्यास करते हैं।
इसमें रोज़ाना 10 घंटे से अधिक ध्यान करना, मौन रहना, और नैतिक सिद्धांतों का पालन करना शामिल है। यह मन और शरीर की सामान्य जड़ तक अवलोकन-आधारित,आत्म-अन्वेषणात्मक यात्रा है जो मानसिक अशुद्धता को दूर करती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रेम और करुणा से भरा एक संतुलित मन बनता है। किसी के विचारों, भावनाओं, निर्णयों और संवेदनाओं को संचालित करने वाले वैज्ञानिक नियम स्पष्ट हो जाते हैं।
विपश्यना शिविर में भाग लेने वाले सभी लोगों को शिविर की अवधि के दौरान निम्नलिखित पाँच शीलों का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिए:
1. किसी भी प्राणी की हत्या से दूर रहना,
2. चोरी से दूर रहना,
3. सभी यौन गतिविधियों से दूर रहना,
4. झूठ बोलने से दूर रहना,
5. सभी नशीले पदार्थों से दूर रहना।
बिजय कु सिंह के अनुसार विपश्यना का 10 दिन का नियम बहुत ही कठिन है।10 दिन, प्रतिदिन 11 घंटे ध्यान। किसी भी तरह की बातचीत या संवाद नहीं, यहां तक कि हाथ के इशारे या आंखों का संपर्क भी नहीं। किसी भी तरह की पढ़ने या लिखने की सामग्री नहीं। कोई व्यायाम नहीं, कोई मनोरंजन नहीं, कोई शारीरिक संपर्क नहीं, मैदान से बाहर नहीं जाना, जो दिया गया था उसके अलावा कोई भोजन या पेय नहीं।
वरहाल विजय कु सिंह विपश्यना शिविरों में ज्ञान पिपाशु लोगों को हर तरह का सहयोग दे रहे है। सच्चाई यह है कि विजय कुमार सिंह मलेशिया रहते हुए बौद्ध धर्म के आधार शिला को अग्रणी भूमिका के साथ निभाते हुए देखे जा रहे हैं ।