बुद्ध पूर्णिमा अर्थात बुद्ध जयंती पर मलेशिया से सूरज पाण्डेय /सिद्धार्थ पाण्डेय की कलम से

बुद्ध पूर्णिमा अर्थात बुद्ध जयंती पर मलेशिया से सूरज पाण्डेय /सिद्धार्थ पाण्डेय की कलम से

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23 जून बुद्ध पूर्णिमा अर्थात बुद्ध जयंती पर खास रिपोर्ट !

गौतम बुद्ध ने संसार में सबसे पहला विश्व धर्म स्थापित किया जो मनुष्य मात्र के लिए था !

जयंती’ का अर्थ है ‘जन्मदिन’। बुद्ध पूर्णिमा जिसे बुद्ध जयंती या वेसाक के नाम से भी जाना जाता है, एक बौद्ध त्योहार है। यह त्यौहार गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञानोदय और मृत्यु का प्रतीक है और पूरे देश के साथ-साथ श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि देशों में बौद्ध समुदाय द्वारा मनाया जाता है।बौद्ध धर्म के अनुसार, वैशाख मास की पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस तिथि को महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था।

बुद्ध पूर्णिमा पूजा विधि- पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व माना गया है।बौद्ध धम्म विश्व के प्रमुख धर्मों में से एक है। विश्व में बौद्ध धम्म के अनुयायियों की संख्या 45 करोड़ से लेकर 50 करोड़ बताई जाती है। बौद्ध धम्म यह दुनिया का पहला विश्व धम्म है।

इस बौद्ध धम्म का उदय भारत में हुआ। जो अपने जन्म स्थान से निकलकर विश्व में दूर दूर तक फैला। विश्व के सभी महाद्विपों में बौद्ध धम्म के अनुयायी रहते हैं । भगवान बुद्ध ने आध्यात्मिक आवश्यकता को सर्वोपरि माना जिसके आधार पर उन्हें ऐसी विभूतियाँ उपलब्ध हुई,जिसके द्वारा वे सामान्य व्यक्तियों की श्रेणी से उठकर भगवान बन गए।

मनुष्य वस्तुतः विचारों का पुंज हैं।उसके दृष्टिकोण के आधार पर ही उसके बाहरी स्वरूप व् आंतरिक स्वरूप का निर्माण होता है।आस्थाएं एवं मान्यताएं यदि सही बनती चली जाय तो परिस्थितियां कैसी भी हो मानवीय उत्कर्ष का विकास होकर ही रहता है,यह एक सुनिश्चित तथ्य है।जीवन एक चुनौती है, एक संग्राम है।

इसे इसी रूप में स्वीकारने के अतिरिक्त हमारे पास कोई चारा नहीं हैं।अच्छा हो हम जीवनको इसी रूप में अंगीकार कर जीवन को एक कलाकर की भांति जियें।हंसती-हँसाती, हल्की-फुल्की जिंदगी जीते हुए औरों को अधिकाधिक सुख बाँटते चलें।

दुःखोंको,कष्टों को तप मानकर सहन करे, साथ ही अपना सौभाग्य मानें।जीवन जीने की यही सही रीति एवं नीति हैं।।गौतम बुद्ध ने संसार में सबसे पहला बौद्ध धर्म स्थापित था, किया जो मनुष्य मात्र के लिए था, उसने लोगों को पवित्र जीवन का माध्यम मार्ग बनाया। हिन्दी साहित्य कार आचार्य चुनरसेन के अनुसार गौतम बुद्ध सब प्रकार के ढोंग और अंधविश्वासों को हटाकर बुद्धि विवेक और प्रेम के आधार पर सरल पवित्र जीवन निर्वाह करने का आदेश दिया । वे पंडितों की भाषा छोड़कर सर्वसाधारण भाषा में उपदेश देने लगे। शिक्षित, अशिक्षित, धनी और निर्धन सबके लिए उनकी वाणी तीर्थ बन गई।

प्राचीन काल से बौद्ध समाज की कुछ विशेषताएं रही जो अनुकरणीय हैं –

1. बौद्ध समाज के सभी सदस्य परस्पर एक दूसरे को सम्मान मानते रहे हैं।

2. बौद्ध समाज के सभी सदस्यों को शिक्षा प्राप्त करने की सामान स्वतंत्रता रही है।

3. बौद्ध समाज के सभी सदस्यों को कोई भी पेशा कर सकने की स्वतंत्रता रही है।

4. बौद्ध समाज की स्त्रियों को पुरुषों के समान ही अधिकार रहे हैं।

संक्षेप में कहना हो तो यही कह सकते हैं की बौद्ध समाज वर्षाश्रम धर्म रूपी बेडियों से सर्वथा स्वतंत्र रहे हैं ।बुद्ध अपने उपदेशों में सभी संसारी पीड़ाओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए आत्मसंयम और मन के शुद्धिकरण का महत्व बताते थे। उन्होंने ध्यान और ध्येय के महत्व को बताया था जिससे लोग संसार से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।

इसलिए, भगवान बुद्ध ध्यान के महत्व को समझाने और सिद्ध करने के लिए ध्यान करते थे।महात्मा बुद्ध को सृष्टि के पालनहार श्री हरि भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। बुद्ध के जन्म को बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है।शाक्य वंश के राजा शुद्धोदन बुद्ध के पिता और मायादेवी उनकी माता हैं। राजा शुद्धोदन हिन्दू धर्म के क्षत्रिय वर्ण से सम्बन्ध रखते थे। इन सभी तथ्यों से यह साबित होता है की भगवान् बुद्ध हिन्दू ही थे।बुद्ध, धम्म और संघ, बौद्ध धर्म के तीन त्रिरत्न हैं।

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