आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा अद्वैत वेदान्त दर्शन के लोकव्यापीकरण एवं सार्वभौमिक एकात्मता की संकल्पना के उद्देश्य से प्रयागराज महाकुम्भ क्षेत्र में स्थापित एकात्म धाम मंडपम्, में आचार्य शंकर के जीवन दर्शन पर केन्द्रित ‘शंकरो लोकशंकर:’ कथा के दूसरे दिन मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा सम्मिलित हुए। उन्होंने न्यास द्वारा प्रदर्शित अद्वैत लोक, पुस्तक प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की। कथा का आयोजन 12 फरवरी तक प्रतिदिन शाम 04 बजे से होगा।

आचार्य शंकर के दर्शन और स्वाध्याय पर बात करते हुए पूज्य श्री गोविंद गिरि जी महाराज ने कहा कि जो व्यक्ति साधना को महत्व देता है, धीरे-धीरे उसके अंदर दैवीय गुण उत्पन्न होने लगते हैं। आदिगुरु शंकराचार्य ने हमें बैकुंठ जाने जैसे छोटी चीजें नहीं सिखाई, उन्होंने हमें अपने अंदर बैकुंठ के दर्शन करने की प्रक्रिया सिखाई। श्रीमद् भागवत जैसा शुद्ध वेदांत आपको कहीं नहीं मिलेगा,यह स्वयं में पूर्ण है।

कथा के दूसरे दिवस पर आचार्य शंकर के सन्यास, कालड़ी से ओंकारेश्वर तक की यात्रा, गुरु की खोज, नर्मदाष्टकं की रचना और ओंकारेश्वर से काशी आगमन आदि प्रसंगों का उल्लेख किया।

विकसित राष्ट्र का संकल्प एकात्मता से ही पूर्ण होगा : इसरो चैयरमेन

इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन भी एकात्म धाम शिविर पहुंचे। उन्होंने अद्वैत लोक प्रदर्शनी का अवलोकन कर प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की मध्यप्रदेश शासन के एकात्म धाम प्रकल्प की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “जो कार्य मध्यप्रदेश सरकार कर रही है, वह सचमुच प्रशंसनीय है। मांडूक्योपनिषद पर स्वामिनी सद्विद्यानन्द सरस्वती एवं ध्यान सत्र में स्वामी योगप्रताप सरस्वती ने युवाओं को सम्बोधित किया।