@ नई दिल्ली :
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग ने मछुआरों तथा मछली किसानों और अन्य हितधारकों के योगदान और उपलब्धियों का जश्न मनाने और मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और न्यायसंगत विकास के लिए प्रतिबद्धता को मजबूत करने हेतु आज नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में विश्व मत्स्य पालन दिवस 2024 मनाया। इस वर्ष विश्व मत्स्य दिवस का थीम भारत में नीला रूपांतरण: लघु-स्तरीय और टिकाऊ मत्स्य पालन को मजबूत करना है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, मुख्य अतिथि मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में इटली में भारतीय राजदूत वाणी राव; एफएओ, रोम के मत्स्य प्रभाग के एडीजी एवं निदेशक मैनुअल बारंगे तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने मत्स्य पालन क्षेत्र की उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री ने मछुआरों और मछली किसानों को भारत को वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बनाने में उनकी भूमिका के लिए बधाई दी। उन्होंने बताया कि मूल्य श्रृंखला में लगभग 30 मिलियन लोग मछली उत्पादन कार्य से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि विभाग के नीली क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना , प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना जैसी विभिन्न पहलों से देश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायता मिली है।
परिणामस्वरूप, 2014 से मछली उत्पादन लगभग दोगुना होकर 17.5 मिलियन टन हो गया, जिसमें अंतर्देशीय मछली पकड़ना ने अब समुद्री मछली पकड़ना को पीछे छोड़ दिया है, जिसका योगदान 13.2 मिलियन टन है। केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों और समाधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण, पारंपरिक तरीके से मछली पकड़ने से कार्बन उत्सर्जन और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला और प्लास्टिक को कम करने, पानी की गुणवत्ता में सुधार करने और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों पर जोर दिया।
राजीव रंजन सिंह ने इस क्षेत्र की असंगठित प्रकृति और अवसंरचना संबंधी कमियों के बारे में भी चर्चा की, तथा मत्स्य पालन अवसंरचना विकास निधि जैसे सुधारों और पहलों की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र को टिकाऊ और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए अपना विज़न प्रस्तुत किया, जिसमें आधुनिक तकनीकों, नीति एकीकरण और मछली उत्पादन में भारत के वैश्विक नेतृत्व को सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
इसके अलावा, तटीय जलकृषि फार्मों के ऑनलाइन पंजीकरण को संभव करने के लिए तटीय जलकृषि प्राधिकरण ने नई एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) की शुरुआत की। स्वैच्छिक कार्बन बाजार के लिए एक रूपरेखा को लागू करने तथा क्षेत्र में कार्बन-पृथक्करण प्रथाओं का उपयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।
इटली में भारतीय राजदूत वाणी राव ने मत्स्य पालन क्षेत्र के हितधारकों को शुभकामनाएं दीं और भारत के साथ दीर्घकालिक सहयोग के लिए एफएओ को धन्यवाद दिया। उन्होंने वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भारत के योगदान और प्लास्टिक प्रदूषण पर एफएओ आईएमओ ग्लोलिटर परियोजना जैसी पहलों में इसके नेतृत्व पर प्रकाश डाला। वाणी राव ने मत्स्य प्रबंधन समिति में भारत की भूमिका पर जोर देते हुए देश को मत्स्य पालन में अग्रणी बनाने, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने और उत्पादकों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जोड़कर भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
रोम में एफएओ के मत्स्य प्रभाग के एडीजी और निदेशक मैनुअल बैरेंज ने भूख और कुपोषण की वैश्विक चुनौतियों पर जोर दिया और बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए अभिनव समाधानों की जरूरत पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान एफएओ की ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन पहल प्रस्तुत की गई, जिसमें सतत जलीय कृषि विकास, प्रभावी मत्स्य प्रबंधन और जलीय खाद्य मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। जलीय खाद्य पदार्थों के पोषण संबंधी लाभों और कम पर्यावरणीय प्रभाव को रेखांकित किया गया, साथ ही अपशिष्ट को कम करने, बाजार पहुंच में सुधार करने और इन प्रयासों को खाद्य सुरक्षा रणनीतियों में एकीकृत करने के महत्व पर भी जोर दिया गया। बैरेंज ने वैश्विक मत्स्य सम्मेलन के माध्यम से सतत मत्स्य पालन और जलीय कृषि को बढ़ावा देने में भारत के नेतृत्व की सराहना की।
इस अवसर पर नीतू कुमारी प्रसाद (संयुक्त सचिव), सागर मेहरा (संयुक्त सचिव) के साथ-साथ कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। इसमें विभिन्न देशों के राजदूत, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि, मत्स्य पालन समुदाय, मत्स्य पालन शिक्षाविद और शोधकर्ता, वैश्विक मत्स्य पालन वैज्ञानिक, मत्स्य पालन क्षेत्र के अग्रणी, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि विशेषज्ञ, अनुसंधान एवं विकास संस्थान, निवेशक, मत्स्य पालन और जलीय कृषि उपकरण निर्माता, निर्यात परिषद, मछुआरों के संघ, वित्तीय संस्थान और निवेश बैंकर, अंतर्राष्ट्रीय मत्स्य उद्योग संगठन और विभिन्न देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 59 से अधिक दूतावास प्रतिनिधि और उच्चायोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
इस कार्यक्रम ने स्वस्थ महासागर परितंत्र और टिकाऊ मत्स्य पालन प्रथाओं के महत्व पर जागरूकता पैदा करने के लिए एक बेहतरीन मंच का किया। इस क्षेत्र के हितधारकों के बीच चर्चा को बढ़ावा देकर, इस कार्यक्रम ने समुद्री संसाधनों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक कार्रवाई की जरूरत पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही, अत्यधिक मछली पकड़ने, उनका आवास क्षरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों जैसी चुनौतियों का समाधान भी किया गया।