@ सिद्धार्थ पाण्डेय /चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम ) झारखंड
रविवार को रथोत्सव के लिए क्योंझर जिले के श्रद्धालुओं में अपने इष्टदेव भगवान बलदेवजी के साथ-साथ भगवान जगन्नाथ और देवी सुभद्रा को रथ पर विराजमान देखने का उत्साह अपने चरम पर है।
खनिज संपदा से समृद्ध जिलेवासी रथ यात्रा उत्सव में हिस्सा लेने और विश्व के सबसे ऊंचे रथ को गुंडिचा मंदिर तक खींचने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा प्रमुख धार्मिक आयोजन को सफल और सुचारू बनाने के लिए सभी तरह के प्रयास किए गए हैं। ‘रथमहारण’ नीलमणि महाराणा के नेतृत्व में और बंदोबस्ती विभाग की देखरेख में विभिन्न प्रकार की लकड़ियों से 72 फीट ऊंचे रथ का निर्माण कार्य पूरा हो गया है।
जिला आयुक्त विशाल सिंह ने पुराने शहर का दौरा किया और रथ निर्माण तथा जुलूस की तैयारियों का जायजा लिया। इसी क्रम में रमेश चंद्र नायक के नेतृत्व में जिला संस्कृति विभाग नौ दिवसीय महोत्सव के दौरान दिखाए जाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए पूरी तैयार है। रथ महोत्सव के प्रबंधक पंचानन साहू ने कहा कि रथ पूरी तरह तैयार हो गई। उन्होंने कहा कि रथ खींचने के लिए लताएं ढूंढना और रस्सियां तैयार करना मुश्किल है, लेकिन हम इस परंपरा को नहीं छोड़ सकते।
स्थानीय लोगों का कहना है कि राजा ने भगवान कृष्ण की प्रिय ‘सियाली’ लताओं से बनी रस्सी का उपयोग रथ खींचने के लिए करने का आदेश दिया था। दूसरी ओर क्योंझर जिले के भुइयां आदिवासी भी ‘सियाली’ लताओं से बनी विशेष रस्सियों को तैयार करते हैं जिनका उपयोग हर साल रथ खींचने के लिए किया जाता है। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है क्योंकि भुइयां आदिवासी राजा के वंश के करीबी हैं।