@ नई दिल्ली
भारतीय नौसेना के लिए मेसर्स GRSE द्वारा निर्मित सातवां एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अभय’ का 25 अक्टूबर 24 को मेसर्स एलएंडटी, कट्टुपल्ली में शुभारंभ किया गया। शुभारंभ समारोह की अध्यक्षता वीएडीएम राजेश पेंढारकर, एफओसी-इन-सी (पूर्व) ने की।
समुद्री परंपरा को ध्यान में रखते हुए, पूर्वी क्षेत्र की एनडब्ल्यूडब्ल्यूए की अध्यक्ष संध्या पेंढारकर ने जहाज का शुभारंभ किया।
रक्षा मंत्रालय और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता के बीच अप्रैल 19 में आठ एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी जहाजों के निर्माण के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।
अर्नाला श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना के सेवारत अभय श्रेणी के एएसडब्लू कोर्वेट की जगह लेंगे और इन्हें तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियान, कम तीव्रता वाले समुद्री अभियान (लिमो) और माइन बिछाने के अभियान के लिए डिजाइन किया गया है। एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी जहाज लगभग 77 मीटर लंबे हैं, जिनकी अधिकतम गति 25 समुद्री मील और सहनशक्ति 1800 एनएम है।
अभय का शुभारंभ जहाज निर्माण में आत्मनिर्भर भारत के प्रति राष्ट्र के संकल्प को उजागर करता है। एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी जहाजों को 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ डिजाइन किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा किया जाता है, जिससे देश के भीतर रोजगार और क्षमता में वृद्धि होती है।