@ इंदौर मध्यप्रदेश
गुरुवार को जहां अरविंदो हास्पिटल में मरीज की मौत के बाद हंगामे का मामला सामने आया था, वहीं शुक्रवार की दोपहर में सीएचएल हास्पिटल में 34 साल के एक मरीज की मौत के बाद उसके परिजन भडक़ गए और अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ। परिजन हॉस्पिटल में तोडफ़ोड़ की।
परिजन का आरोप है कि पेट की बीमारी के कारण मरीज 10 दिनों तक हॉस्पिटल में एडमिट रहा। फिर शुक्रवार को उसे एंडोस्कोपी के लिए बुलाया। इसके पूर्व चार इंजेक्शन लगाए गए। फिर उसकी हालत बिगड़ी और दो घंटे में मौत हो गई। हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना है कि मरीज अल्कोहलिक था। उसे लीवर सिरोसिस, नसों के गुच्छे, मिर्गी आदि की बीमार थी जिससे उसकी मौत हुई।
29 मार्च को मोती तबेला इलाके में रहने वाले अर्जुन चौहान को खून की कमी के कारण एडमिट किया गया था। पेट संबंधी भी परेशानी थी। 2 अप्रैल को उसे ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया। परिजन का कहना है कि डॉक्टरों ने गुरुवार को एंडोस्कोपी के लिए बुलाया था लेकिन नहीं हो सकी।
इस पर शुक्रवार सुबह एंडोस्कोपी के लिए परिजन उन्हें हॉस्पिटल लेकर आए। पत्नी कंचन और मौसी मंजू का आरोप है कि डॉक्टरों ने बताया कि उसे इंजेक्शन का डोज लगाया जाएगा। इसके बाद चार इंजेक्शन लगाए और दो घंटे बाद ही मौत हो गई।
घटना के बाद गुस्साये परिजन ने हंगामा किया और गेट का कांच तोड़ दिया। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति नियंत्रित की। मौत के कारण जानने के लिए परिजन ने पोस्टमॉर्टम की मांग की। इसके बाद शव एमवाय हॉस्पिटल रवाना कर दिया गया।
इलाज करने वाले डॉ. नीरज जैन ने बताया कि मरीज अल्कोहलिक था। उसका लीवर खराब हो चुका था। परिजन को बता दिया था कि आगे ट्रांसप्लांट के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसके साथ ही पेट में नसों का गुच्छा बन गया था। उसे मिर्गी की बीमारी भी थी। सुबह भी उसे मिर्गी का दौरा आया था। इंजेक्शन (ग्लू) मरीज की जरूरत के हिसाब से 0.5 एमल के चार लगाए थे। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. अमिताभ पटेरिया ने बताया इलाज के सारे दस्तावेज, मेडिकल हिस्ट्री सहित मरीज का पूरा रिकॉर्ड है। सारे आरोप निराधार हैं। हम हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं।
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