@ नई दिल्ली :
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने उन्नत सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन 2.0 प्रणाली शुरू की है, जो निर्यातकों के लिए प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाने और व्यापार दक्षता बढ़ाने के लिए की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। यह उन्नत प्लेटफॉर्म कई उपयोगकर्ता-अनुकूल सुविधाओं की पेशकश करता है, जिनमें बहु-उपयोगकर्ता पहुंच, जो निर्यातकों को एक ही आयातक निर्यातक कोड के तहत कई उपयोगकर्ताओं को अधिकृत करने में सक्षम बनाता है।
इसके अलावा, यह प्रणाली अब डिजिटल हस्ताक्षर टोकन के साथ-साथ आधार-आधारित ई-हस्ताक्षर का समर्थन करती है, जो अधिक लचीलापन उपलब्ध कराती है। एक एकीकृत डैशबोर्ड निर्यातकों को ईसीओओ सेवाओं, मुक्त व्यापार समझौते की जानकारी, व्यापार से जुड़े आयोजनों और अन्य संसाधनों तक निर्बाध पहुंच प्रदान करता है। प्लेटफॉर्म एक सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन के विकल्प की सुविधा भी पेश करता है, जिससे निर्यातकों को एक आसान ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से पहले जारी किए गए प्रमाणपत्रों में सुधार का अनुरोध करने की अनुमति मिलती है।
1 जनवरी 2025 से, ईसीओओ 2.0 प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से गैर-तरजीही सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग अनिवार्य हो गई है और यह https:// trade.gov.in पर “सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन प्राप्त करें” अनुभाग के अंतर्गत निर्यातकों के लिए उपलब्ध है। व्यापार से जुड़ी सहूलियत की यह पहल प्रमाणन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर रही है, और निर्यातकों के लिए टर्नअराउंड समय में सुधार कर रही है, जो कारोबारी सुगमता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। यह प्लेटफॉर्म प्रतिदिन तरजीही और गैर-तरजीही दोनों प्रमाणपत्रों सहित 7,000 से अधिक ईसीओओ को संसाधित करता है, 110 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय वाणिज्य और उद्योग मंडलों सहित 125 जारी करने वाली एजेंसियों को जोड़ता है और 650 से अधिक जारी करने वाले अधिकारी और सभी भारतीय निर्यातक एक एकीकृत प्रणाली के तहत शामिल हैं।
27.01.2025 के सार्वजनिक नोटिस 43/2024-25 के संदर्भ में, डीजीएफटी ने ऑनलाइन बैक-टू-बैक सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन (गैर-तरजीही) प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की है। ये प्रमाणपत्र उन वस्तुओं के लिए हैं जो भारतीय मूल की नहीं हैं, जिनका उद्देश्य पुनः निर्यात, ट्रांस-शिपमेंट या वाणिज्यिक व्यापार है।
विदेशी मूल देश से दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर जारी किया गया, बैक-टू-बैक सीओओ स्पष्ट रूप से मूल और सहायक दस्तावेजों के विवरण का उल्लेख करके पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करता है। यह पहल न केवल प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाती है, बल्कि प्रसंस्करण में लगने वाले समय में भी सुधार करती है, जिससे यह भारत के माध्यम से मध्यस्थ व्यापार को शामिल करने वाली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।