2024-25 में अधिक लेन-देन के साथ डिजिटल भुगतान लेन-देन में भारी उछाल

@ नई दिल्ली :-

बीते पांच वित्त वर्षों के दौरान एकीकृत भुगतान इंटरफेस  के जरिए लेन-देन सहित डिजिटल भुगतान लेन-देन में लगातार बढ़ोतरी हुई है।

यूपीआई लेन देन धोखाधड़ी समेत भुगतान संबंधी धोखाधड़ी को रोकने के लिए, सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) की ओर से समय-समय पर कई पहल की गई हैं। इनमें ग्राहक के मोबाइल नंबर और डिवाइस के बीच डिवाइस बाइंडिंग, पिन के माध्यम से टू फैक्टर प्रमाणीकरण, दैनिक लेन-देन सीमा, उपयोग के मामलों पर सीमाएं और प्रतिबंध आदि शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, एनपीसीआई सभी बैंकों को अलर्ट उत्पन्न करने और एआई/ एमएल आधारित मॉडल का इस्तेमाल करके लेन-देन को अस्वीकार करने के लिए धोखाधड़ी निगरानी समाधान प्रदान करता है। आरबीआई और बैंक छोटे एसएमएस, रेडियो अभियान, ‘साइबर-अपराध’ की रोकथाम पर प्रचार आदि के माध्यम से जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं।

बीते पांच वित्त वर्षों के दौरान कुल डिजिटल भुगतान लेनदेन (यूपीआई के माध्यम से लेनदेन सहित)

जनवरी 2025 तक

वित्त वर्ष कुल डिजिटल भुगतान लेनदेन
वॉल्यूम (करोड़ में) मूल्य (लाख करोड़ रुपये में)
2020-21 4,370.68 1,414.58
2021-22 7,197.68 1,744.01
2022-23 11,393.82 2,086.85
2023-24 16,443.02 2,428.24
2024-25* 18,120.82 2,330.72

इसके अतिरिक्त, नागरिकों को वित्तीय धोखाधड़ी सहित किसी भी साइबर घटना की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करने के लिए, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने एक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) के साथ-साथ एक राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर “1930” भी शुरू किया है।

इसके अतिरिक्त, दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) और ‘चक्षु’ सुविधा शुरू की है जो नागरिकों को कॉल, एसएमएस या व्हाट्सऐप पर मिले संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की रिपोर्ट करने के योग्य बनाती है।

वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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