@ चंडीगढ़ हरियाणा
हरियाणा में सभी 223 प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला मतदाताओं ने कर दिया है। किसान आंदोलन, अग्निवीर, खिलाड़ियों का उत्पीड़न, रोजगार, भ्रष्टाचार, पर्ची खर्ची जैसे मुद्दे चुनाव में हावी रहे। दिन में मतदान केंद्रों में लाइनें लगीं तो सियासी पार्टियां खुश नजर आईं। शाम को जैसे जैसे मतदान कम होता गया, वैसे वैसे गणित उलझता गया। आइये जानते हैं सभी सीटों पर स्थिति क्या रही और क्या तस्वीर है…
रोहतक:
लोकसभा चुनाव में रोहतक संसदीय क्षेत्र में 64.8 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो पिछली बार की अपेक्षा 9.6 प्रतिशत कम है। सबसे ज्यादा महम हलके में 69.8 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि दूसरे स्थान पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कर हलका गढ़ी सांपला-किलोई रहा। शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में खास बात यह रही कि पांच साल पहले 2019 में भाजपा कोसली, रोहतक शहर, बहादुरगढ़ व कलानौर में जीती थी, जहां दूसरे हलकों की अपेक्षा मतदान कम हुआ है। पिछली बार लोकसभा सीट पर 74.4 प्रतिशत वोट डाले गए थे, जबकि अब की बार 64.8 प्रतिशत मतदान हुआ। हालांकि रोहतक जिले के चार हलकों में 66.1 प्रतिशत मतदान रहा। मतदान के आंकड़ों से साफ है कि लोकसभा सीट पर शहरों के बजाय ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा उत्साह रहा। कांग्रेस पिछली बार नौ हलकों में से पिछली बार गढ़ी सांपला-किलोई, महम, बादली, बेरी व झज्जर हलके में भाजपा से लीड लेने में कामयाब रही थी, अब की बार भी वहां मतदान प्रतिशत उन हलकों से ज्यादा है, जहां भाजपा पिछली
बार जीती थी। यह भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है। डाॅ. अरविंद के प्रचार के लिए जहां पीएम नरेंद्र मोदी समेत पांच केंद्रीय नेता पहुंचे थे, वहीं दीपेंद्र के प्रचार का जिम्मा दोनों पिता-पुत्र के कंधे पर ही था।
पिछले 15 सालों में इस बार सबसे कम मतदान का आंकड़ा दर्ज किया गया। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 2009 में 71.34 फीसदी, 2014 में 69.90 फीसदी तो 2019 में 69.87 फीसदी मतदान दर्ज हुआ था, लेकिन 2024 के में महज 64.1 फीसदी औसतन मतदान हुआ है। इस बार भिवानी विधानसभा में मतदान सबसे कम हुआ है। यहां भाजपा के विधायक घनश्याम सर्राफ हैं। वहीं अहीरवाल क्षेत्र अटेली-महेंद्रगढ़ में मतदान अधिक हुआ है। महेंद्रगढ़ से कांग्रेस के प्रत्याशी राव दान सिंह विधायक हैं। किरण चौधरी के गढ़ तोशाम में पिछली बार लगभग 73 प्रतिशत मतदान हुआ था, यहां इस बार करीब आठ प्रतिशत मतदान घटा है। क्षेत्र में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही है। खाप पंचायतों के प्रभाव वाले क्षेत्र बाढ़डा में भी मतदान इस बार अधिक हुआ है। खाप पंचायतें खुले तौर पर भाजपा के विरोध में थीं।
की मजबूती की ओर इशारा करता है। गुरुग्राम विस हलके में मतदान प्रतिशत की कमी इन दोनों ही प्रत्याशियों को नुकसान की ओर इशारा कर रही है। गुरुग्राम जिले में बैलेट पेपर के जरिए भी कुल 1529 मतदाताओं ने वोट डाला है।
सिरसा :
सिरसा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा और भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर में आमने-सामने का मुकाबला रहा। सिरसा जिले में कई क्षेत्रों में किसान आंदोलन और जजपा नेताओं के कांग्रेस का समर्थन करने का भी असर देखा गया। हलोपा और भाजपा के प्रभाव वाले सिरसा विधानसभा क्षेत्र में पिछले साल की तुलना में इस बार करीब दस फीसद मतदान घटा है। कालांवाली और डबवाली किसान आंदोलन का केंद्र रहा है। मतदान प्रतिशत यहां भी घटा है लेकिन इन क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं।
अभय चौटाला के क्षेत्र ऐलनाबाद में मामला त्रिकोणीय रहा है। यहां इनेलो को भी वोट पड़े हैं। चौधरी रणजीत सिंह के क्षेत्र रानियां में कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने है। तीखी धूप के कारण सभी क्षेत्रों में मतदान पर असर पड़ा है। सुबह 11 बजे से दोपहर 4 बजे तक मतदान केंद्रों पर नाममात्र मतदाता नजर आए। फतेहाबाद में शहरी क्षेत्रों में भाजपा और ग्रामीण इलाकों में इंडिया गठबंधन की ओर मतदाताओं का रुझान नजर आया।
रतिया के गांव नथवान और गांव बाहमणवाला में तो भाजपा के टेंटों में कोई कार्यकर्ता ही नजर नहीं आया। नरवाना विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस के अलावा इनेलो के पक्ष में भी थोड़ा माहौल बना रहा। इनेलो के प्रत्याशी संदीप लोट के नरवाना से ही होने के कारण काफी मतदाताओं का उनकी ओर रुझान रहा है।
हिसार लोकसभा सीट पर कम मतदान ने कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशियों की बेचैनी को बढ़ा दिया है। कम मतदान को दोनों ही प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के हिसाब से देख रहे हैं। इस बार का चुनाव बेहद कांटे का साबित हो सकता है। हिसार लोकसभा सीट का परिणाम सीधे तौर पर नारनौंद, उचाना, उकलाना के मतदाताओं पर निर्भर करेगा। माना जा रहा है कि कम मतदान का नुकसान सत्ता पक्ष को अधिक होगा। रात आठ बजे तक करीब 64 प्रतिशत मतदान हुआ है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 72.43 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार मतदान में भारी गिरावट ने सभी को डरा दिया है।
हिसार लोकसभा सीट पर इस बार शुरू से ही मुकाबला आमने-सामने का था। कांग्रेस के प्रत्याशी जयप्रकाश व भाजपा के प्रत्याशी रणजीत सिंह इसी हिसाब से मैदान में डटे थे। इंडियन नेशनल लोकदल व जननायक जनता पार्टी जितनी वोट हासिल करेंगी, वह कांग्रेस प्रत्याशी को नुकसान माना जा रहा है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन इनेलो प्रत्याशी की कुलदीप बिश्नोई के आवास पर मुलाकात ने समीकरण में काफी बदलाव कर दिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसका नुकसान इनेलो को होगा। शहरी एरिया में मतदाता पूरी तरह से भाजपा के समर्थन में नजर आए, वहीं ग्रामीण एरिया में कांग्रेस का अधिक जोर रहा। लोगों की इस चुनाव में अधिक रुचि नजर नहीं आई। मतदान प्रतिशत गिरने में कुछ कारण गर्मी का रहा लेकिन किसी प्रत्याशी के प्रति जोश न होना सबसे बड़ा कारण रहा।
करनाल :
करनाल में देर शाम तक 61 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि वर्ष 2019 में मतदान 68.31 प्रतिशत था। करनाल विधानसभा जहां से पूर्व सीएम मनोहर लाल विधायक थे, वहां केवल 57 प्रतिशत मतदान हुआ। यहां सबसे ज्यादा साइलेंट वोट पड़ी। मतदाताओं में उत्साह कम दिखा। कैबिनेट मंत्री महिपाल ढांडा के हलके पानीपत ग्रामीण में 63 प्रतिशत, राज्यसभा सदस्य कृष्णलाल पंवार के क्षेत्र इसराना में 64 प्रतिशत मतदान हुआ। हालांकि इस क्षेत्र में अभी कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा के कब्जे वाली सीट पानीपत शहरी में 60.10 प्रतिशत, इंद्री में 68.10 और घरौंडा में 65.30 प्रतिशत मतदान हुआ। भाजपा को इन्हीं क्षेत्रों से बढ़त की उम्मीद है। नीलोखेड़ी से आजाद विधायक धर्मपाल गोंदर इस बार भाजपा के साथ नहीं हैं। चूंकि अपने क्षेत्र में उनका प्रभाव अच्छा है और वह खुलकर कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं, इसलिए यहां से भाजपा को नुकसान हो सकता है। असंध (57 प्रतिशत) और समालखा (54.80 प्रतिशत) सीटें दोनों कांग्रेस के कब्जे में हैं। दोनों सीटों पर मतदान अपेक्षाकृत कम हुआ है जबकि कांग्रेस को इन्हीं सीटों से सबसे ज्यादा बढ़त की उम्मीद थी। भाजपा प्रत्याशी व पूर्व सीएम मनोहर लाल के सामने यहां कांग्रेस के युवा नेता हिंमाशु बुद्धिराजा चुनाव लड़ रहे हैं। मुकाबला यहां अनुभव और जोश के बीच है।
अंबाला लोकसभा में देर शाम तक 67 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि वर्ष 2019 के मुकाबले कम रहा। पिछले लोकसभा चुनाव में यह मतदान 71 प्रतिशत था। इस बार सबसे ज्यादा मतदान कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर के विधानसभा क्षेत्र जगाधरी में हुआ। यह औद्योगिक क्षेत्र है और इस बार यहां मतदान प्रतिशत 73.50 प्रतिशत रहा। इसके अलावा साढौरा में 70 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह सीट कांग्रेस की विधायक रेणुबाला की है। इस सीट से कांग्रेस को बढ़त की पूरी उम्मीद है। सीएम नायब सैनी के गृह क्षेत्र नारायणगढ़ में भी 69 प्रतिशत मतदान हुआ। इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है मगर यहां सीएम नायब सैनी का अच्छा प्रभाव है, इसलिए भाजपा को फायदा हो सकता है। कांग्रेस प्रत्याशी वरुण चौधरी के गृहक्षेत्र मुलाना में केवल 60 प्रतिशत मतदान हुआ। हालांकि ये कांग्रेस का ही गढ़ माना जाता है और यहां कांग्रेस खुद को मजबूत मान रही है। विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के गृहक्षेत्र पंचकूला में भी सिर्फ 56.12 प्रतिशत मतदान हुआ। कैबिनेट मंत्री असीम गोयल के क्षेत्र अंबाला शहर व पूर्व गृहमंत्री अनिल विज के हलके में मतदान 61 प्रतिशत के करीब रहा। यह भी अपेक्षाकृत कम है। कांग्रेस के कब्जे वाले कालका सीट पर भी 64.50 प्रतिशत मतदान हुआ। इस सीट पर भाजपा की जीत की बड़ी जिम्मेवारी कैबिनेट मंत्री कंवरपाल, असीम गोयल, विस स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, पूर्व गृहमंत्री अनिल विज और खुद सीएम नायब सैनी की है। इन दिग्गजों के प्रभाव से यहां भाजपा को जीत की आस है।
लोकसभा चुनाव में सोनीपत संसदीय क्षेत्र की नौ विधानसभाओं में महज 62.4 फीसदी मतदान हो पाया। यह साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के मुकाबले 8.32 फीसदी कम रहा। पांच साल पहले सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में 70.72 फीसदी मतदान हुआ था। लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 68.2 फीसदी मतदान जुलाना तो सबसे कम 57.3 फीसदी सोनीपत में हुआ।
सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया था। शाम सात बजे तक लोकसभा क्षेत्र में 62.4 फीसदी मतदान हुआ। वर्ष 2019 के मुकाबले सोनीपत लोकसभा की सभी नौ विधानसभाओं में मतदान प्रतिशत में गिरावट आई है। शनिवार को हुए मतदान में लोकसभा क्षेत्र में दोपहर 2 बजे तक 37.9 प्रतिशत मतदान हुआ था। तेज धूप भी मतदान में बाधा बनी। 3 बजे तक एक घंटे में महज 3.5 प्रतिशत ही मतदान हुआ जबकि 3 से 4 बजे के बीच 5.5 प्रतिशत मतदान हुआ। 5 बजे तक यही स्थिति रही और 50.6 प्रतिशत ही मतदान हो सका। यही हाल सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से जुड़े जींद विधानसभा क्षेत्र का रहा। जींद में केवल 65.12 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि 2019 में 71.9 प्रतिशत मतदान हुआ था। हालांकि 2019 में भी जून में ही चुनाव हुए थे, लेकिन इस बार तापमान 44 डिग्री सेल्सियस रहा। सोनीपत की सभी छह सीटों पर मतदान का प्रतिशत 5 से 13 प्रतिशत तक कम रहा है। ऐसे में सोनीपत के छह हलकों में 60.88 फीसदी मतदान रहा। शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में मतदान अधिक हुआ है।