CDS जनरल अनिल चौहान ने नई दिल्ली में भारतीय सैन्य विरासत वार्षिक महोत्सव

@ नई दिल्ली

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने नई दिल्ली में भारतीय सैन्य विरासत वार्षिक महोत्सव के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। इस दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन 08 और 09 नवंबर, 2024 को किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, सैन्य इतिहास व सैन्य विरासत पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक एवं भारतीय विचारकों, निगमों, सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के उपक्रमों, गैर-लाभकारी संस्थाओं, शिक्षाविदों और अनुसंधान विद्वानों को एक साथ एकत्र करना है।

CDS ने भारत के सैन्य मामलों के विभाग तथा यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया की विशेष पहल प्रोजेक्ट ‘गाथा’ का भी शुभारंभ किया, जिसका लक्ष्य शिक्षा एवं पर्यटन के माध्यम से भारत की सैन्य विरासत को संरक्षित करना और उसको बढ़ावा देना है।

जनरल चौहान ने इस अवसर पर सैन्य विषयों पर लिखित कुछ प्रमुख पुस्तकों का भी विमोचन किया, जिनमें एयर मार्शल विक्रम सिंह (सेवानिवृत्त) द्वारा लिखी गई ‘बिकॉज ऑफ दिस: ए हिस्ट्री ऑफ द इंडो-पाक एयर वार दिसंबर 1971’; भारतीय सेना और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया का संयुक्त प्रकाशन ‘वालोर एंड ऑनर’ – ; तथा यूएसआई और वार वउंडेड फेडरेशन के संयुक्त प्रकाशन की पुस्तकें ‘वार- वउंडेड, दिसब्लेंड सोल्जर्स व कैडेट्स’ – शामिल हैं।

DRDO ने भी इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान में नवाचारों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने की अपनी सफलताओं और उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के एनसीसी कैडेटों ने भाग लिया। इस अवसर पर तीनों सेनाओं की ओर से सूचना प्रदान करने वाले स्टॉल लगाए गए, जिनमें उनकी भूमिकाओं तथा इच्छुक युवाओं के लिए उपलब्ध विभिन्न अवसरों के बारे में जानकारी दी गई।

भारत के लंबे एवं समृद्ध सैन्य इतिहास व रणनीतिक संस्कृति के बावजूद, आम जनता का एक बड़ा हिस्सा अभी भी देश की सैन्य विरासत तथा सुरक्षा चिंताओं के विभिन्न पहलुओं से अनभिज्ञ है। भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव इस दिशा में राष्ट्रीय संवाद और राष्ट्र के सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में इस अंतर को पाटने का प्रयास करता है। इसका उद्देश्य भारत की सैन्य परंपराओं, समकालीन सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों की समझ को बढ़ाना तथा आत्मनिर्भर भारत पहल के माध्यम से सैन्य क्षमताओं में आत्मनिर्भरता हासिल करने के प्रयास करना है।

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