@ नई दिल्ली
भारत में 10.45 करोड़ से ज़्यादा अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोग रहते हैं, जो कुल आबादी का 8.6 प्रतिशत है। यह एक समृद्ध और विविधतापूर्ण आदिवासी विरासत का दावा करता है। दूरदराज और अक्सर दुर्गम क्षेत्रों में फैले ये समुदाय लंबे समय से सरकार के विकास एजेंडे का केंद्र बिंदु रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, केंद्रीय बजट 2025-26 जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए बजटीय आबंटन में पर्याप्त वृद्धि के साथ इस प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, जिससे देश भर में आदिवासी समुदायों का समग्र और सतत विकास सुनिश्चित होता है।
जनजातीय कल्याण के लिए अभूतपूर्व बजटीय सहायता
- अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए समग्र बजट आबंटन 2024-25 में 10,237.33 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 14,925.81 करोड़ रुपये हो गया है, जो 45.79 प्रतिशत वृद्धि प्रभावशाली है ।
- प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना का विस्तार किया गया है और इसे पांच वर्षों में 80,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) के अन्तर्गत शामिल किया गया है ।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए बजट लागत में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है, जो 2023-24 में 7,511.64 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 10,237.33 करोड़ रुपये हो गया है और अब 2025-26 में 14,925.81 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है ।
- दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिलती है: 2014-15 में 4,497.96 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 7,411 करोड़ रुपये हो गई है , और अब 2014-15 से 231.83 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है , जो जनजातीय कल्याण पर सरकार के लगातार फोकस को दर्शाता है।
प्रमुख आबंटन और प्रमुख पहल
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) : दूरदराज के क्षेत्रों में आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 7,088.60 करोड़ रुपये, जो विगत वर्ष के 4,748 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना है ।
- प्रधानमंत्री जन जातीय विकास मिशन : 152.32 करोड़ रुपये से बढ़कर 380.40 करोड़ रुपये, जिससे जनजातीय समुदायों के लिए वर्ष भर आय सृजन के अवसर सृजित करने के प्रयासों को बल मिलेगा।
- प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) : आबंटन 163 प्रतिशत बढ़कर 335.97 करोड़ रुपये हुआ, जिसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार में बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करना है।
- प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के अंतर्गत बहुउद्देश्यीय केंद्र (एमपीसी) : वित्त पोषण को 150 करोड़ रुपये से दोगुना कर 300 करोड़ रुपये किया गया, जिससे विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) बहुल बस्तियों में सामाजिक-आर्थिक सहायता में वृद्धि हुई।
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान: एक गेम-चेंजर
- पीएम-जनमन की सफलता के आधार पर, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) का लक्ष्य पांच वर्षों में 79,156 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ 63,843 गांवों में बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करना है (केंद्रीय हिस्सा: 56,333 करोड़ रुपये, राज्य हिस्सा: 22,823 करोड़ रुपये)। यह पहल 25 लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से 17 मंत्रालयों को एक साथ लाती है, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका और कौशल विकास जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एकीकृत आदिवासी विकास सुनिश्चित होता है।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत डीएजेजीयूए के लिए आबंटन 2025-26 में 500 करोड़ रुपये से चार गुना बढ़ाकर 2,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो जमीनी स्तर पर जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, जुएल ओराम: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, केंद्रीय बजट 2025-26 एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए समर्पित है। यह परिवर्तनकारी बजट गांवों, गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के समग्र विकास को प्राथमिकता देता है। इस ऐतिहासिक बजट को प्रस्तुत करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी का हार्दिक आभार।
- जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री, दुर्गा दास उइके: यह बजट जनजातीय कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जिसमें शिक्षा, आजीविका और बुनियादी ढांचे में केंद्रित निवेश के साथ उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया गया है। हमारी सरकार जनजातीय सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव, विभु नायर: बढ़ा हुआ बजट हमें पीएम-जनमन, धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान, ईएमआरएस और अन्य कार्यक्रमों जैसे परिवर्तनकारी कार्यक्रमों को लागू करने में सक्षम करेगा, जो पूरे भारत में जनजातीय समुदायों के लिए दीर्घकालिक, टिकाऊ प्रभाव पैदा करेंगे।
समावेशी विकास के साथ विकसित भारत की ओर
- केंद्रीय बजट 2025 आदिवासी विकास में एक बड़ा बदलाव है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास और आर्थिक सशक्तीकरण पर जोर दिया गया है। विभिन्न मंत्रालयों में लक्षित हस्तक्षेपों को एकीकृत करके, सरकार समावेशी विकास को बढ़ावा दे रही है और एक ऐसे विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त कर रही है, जहां आदिवासी समुदाय न केवल लाभार्थी हैं, बल्कि राष्ट्र की प्रगति में सक्रिय योगदानकर्ता भी हैं ।