एक स्वस्थ और निरोग भारत की ओर: सामूहिक कार्यवाही के माध्यम से मोटापे से मुकाबला

 

@ नई दिल्ली : अपनी खान-पान की आदतों में छोटे-छोटे बदलाव करके हम अपने भविष्य को अधिक मजबूतस्वस्थ और रोगमुक्त बना सकते हैं।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

परिचय

मोटापा भारत में एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है और यह सभी आयु समूहों के लोगों को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ-साथ यह मधुमेह, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के जोखिम को बढ़ा रहा है। अस्वास्थ्यकर आहार, गतिहीन जीवन शैली और पर्यावरणीय कारकों के कारण मोटापा खतरनाक दर से बढ़ रहा है, जिसका असर शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी पर पड़ रहा है। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की ओर झुकाव, शारीरिक गतिविधियों में कमी और जीवनशैली में बदलाव ने इस बढ़ते संकट में और वृद्धि की है।

इस मुद्दे की तात्कालिकता को समझते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अपने हाल के कार्यक्रम मन की बात के संबोधन में मोटापे को कम करने के लिए विशेष रूप से कम खाद्य तेल की खपत के माध्यम से देशव्यापी जागरूकता और सामूहिक कार्यवाही की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जागरूकता आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए देशभर के प्रमुख व्यक्तियों को नामित किया।

सामूहिक कार्यवाही का यह आह्वान व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर मोटापे से निपटने के महत्व पर प्रकाश डालता है, जो एक स्वस्थ और निरोगी भारत की आवश्यकता को पुष्ट करता है। भारत सरकार ने स्वस्थ जीवन शैली, बेहतर पोषण और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए फिट इंडिया मूवमेंट, एनपी-एनसीडी, पोषण अभियान, ईट राइट इंडिया और खेलो इंडिया सहित कई पहलों का शुभारंभ किया है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य दीर्घकालिक व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करना है, जिससे सभी के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित हो सके। जैसे-जैसे भारत अमृत काल की ओर बढ़ रहा है, नीतिगत सुधारों, सामुदायिक सहभागिता और विनियामक उपायों के माध्यम से मोटापे से निपटने के लिए सरकार और समाज के सभी लोगों द्वारा एक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना, स्थायी खाद्य आदतों को बढ़ावा देना और जागरूकता बढ़ाना इस प्रवृत्ति को बदलने और भविष्य की पीढ़ियों को मोटापे से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

मोटापे को समझना: परिभाषा और कारण

मोटापा क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) के अनुसार, मोटापे को असामान्य या अत्यधिक वसा संचय के रूप में परिभाषित किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए जोखिम उत्‍पन्‍न करता है । मोटापे को वर्गीकृत करने के लिए आमतौर पर उपयोग किया जाने वाला मीट्रिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) है, जहां 25 या उससे अधिक का बीएमआई अधिक वजन माना जाता है, और 30 या उससे अधिक का बीएमआई मोटापे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। भारत में, यदि किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 23.0 और 24.9 किलोग्राम/एम² के बीच है तो उसे अधिक वजन वाला माना जाता है और यदि उसका बीएमआई 25 किलोग्राम/एम² या उससे अधिक है, तो उसे मोटा माना जाता है। रुग्ण मोटापा तब होता है जब किसी व्यक्ति का बीएमआई 35 या उससे अधिक होता है ।

बीएमआई क्या है?

बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), जिसे पहले क्वेटलेट इंडेक्स के नाम से जाना जाता था, यह जांचने का एक सरल तरीका है कि किसी वयस्क का वजन स्वस्थ है या नहीं। इसकी गणना किसी व्यक्ति के किलोग्राम में वजन को मीटर वर्ग में उसकी ऊंचाई (किलोग्राम/मी²) से विभाजित करके की जाती है। बीएमआई पता करने के लिए, किसी व्यक्ति का वजन (किलोग्राम) लें और उसे उसकी ऊंचाई (मीटर) वर्ग से विभाजित करें ।

स्वस्थ बीएमआई रेंज विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों के आधार पर एक सामान्य बीएमआई 18.5 और 24.9 के बीच होती है।

वैश्विक सांख्यिकी

दुनिया भर में वयस्कों और बच्चों दोनों में अधिक वजन और मोटापे का प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। 1990 और 2022 के बीच, मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों (5-19 वर्ष की आयु) का प्रतिशत चार गुना बढ़कर 2 प्रतिशत से 8 प्रतिशत हो गया। इसी अवधि के दौरान, मोटापे से ग्रस्त वयस्कों (18 वर्ष और उससे अधिक आयु) का अनुपात दोगुना से अधिक हो गया, जो 7 प्रतिशत से बढ़कर 16 प्रतिशत हो गया ।

भारत में मोटापे के आंकड़े

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (2019-21) के अनुसार, कुल मिलाकर, 24 प्रतिशत भारतीय महिलाएं और 23 प्रतिशत भारतीय पुरुष अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं
  • एनएफएचएस-5, (2019-2021) के अनुसार 15-49 वर्ष की आयु वर्ग में 6.4 प्रतिशत महिलाएं और 4.0 प्रतिशत पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं।
  • अखिल भारतीय स्तर पर 5 वर्ष से कम आयु के अधिक वजन (ऊंचाई के अनुरूप वजन) वाले बच्चों का प्रतिशत भी एनएफएचएस-4 (2015-16) में 2.1 प्रतिशत से बढ़कर एनएफएचएस-5 (2019-21) में 3.4 प्रतिशत हो गया है ।

भारत में मोटापे की वृद्धि के प्रमुख कारक

मोटापे की रोकथाम के लिए भारत सरकार का रणनीतिक प्रारूप

नीतिगत नवाचार और मापन योग्य परिणाम

मोटापे को एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में पहचानते हुए, भारत सरकार ने सभी स्तरों पर मोटापे को रोकने, प्रबंधित करने और कम करने के लिए व्यापक, बहुआयामी पहल का शुभारंभ किया है। स्वास्थ्य, पोषण, शारीरिक गतिविधि, खाद्य सुरक्षा और जीवनशैली में बदलाव को एकीकृत करने वाले समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए कई मंत्रालयों द्वारा रणनीतिक रूप से हस्तक्षेप तैयार किए गए हैं। इन प्रयासों को निम्नलिखित प्रमुख हस्तक्षेप क्षेत्रों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है :

1. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्‍ल्‍यू)- सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रियाओं को सुदृढ़ बनाना

1.1 गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी)

डब्ल्यूएचओ की 2018- एनसीडी इंडिया प्रोफ़ाइल के अनुसार, भारत में गैर-संचारी रोग (एनसीडी) से होने वाली सभी मृत्‍यु का 63 प्रतिशत कारण बनते हैं। सबसे प्रमुख कारण हृदय संबंधी रोग (27 प्रतिशत) हैं, इसके बाद पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियां (11 प्रतिशत), कैंसर (9 प्रतिशत), मधुमेह (3 प्रतिशत), और मोटापा (13 प्रतिशत) सहित अन्य स्थितियां हैं।

हृदय संबंधी रोग, कैंसर, मधुमेह और पुरानी सांस संबंधी बीमारियाँ जैसे गैर-संचारी रोग (एनसीडी) मुख्य रूप से तंबाकू के सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक निष्क्रियता और शराब के सेवन सहित जीवनशैली के कारकों से प्रेरित होते हैं। वायु प्रदूषण जोखिम को और बढ़ाता है। ये कारक मोटापे, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा और बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के स्तर में योगदान करते हैं, जो सभी एनसीडी के विकास की संभावना को काफी हद तक बढ़ाते हैं। चूंकि इनमें से कई जोखिम कारक रोके जा सकते हैं, इसलिए मोटापे और अस्वास्थ्यकर आदतों को संबोधित करना एनसीडी के बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) के तहत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग का उद्देश्य समुदायों, नागरिक समाज, मीडिया और विकास भागीदारों को शामिल करके व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। यह निरंतर देखभाल सुनिश्चित करने के लिए सभी स्वास्थ्य देखभाल स्तरों पर स्क्रीनिंग, प्रारंभिक निदान, प्रबंधन, रेफरल और फॉलो-अप पर ध्यान केंद्रित करता है। कार्यक्रम रोकथाम, उपचार, पुनर्वास, जागरूकता (आईईसी/बीसीसी), निगरानी और अनुसंधान के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की क्षमता को भी मजबूत करता है। इसके अतिरिक्त, यह एक समान आईसीटी प्रणाली के माध्यम से प्रभावी पर्यवेक्षण, मूल्यांकन और देशव्यापी कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हुए आवश्यक दवाओं, उपकरणों और रसद के लिए आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को बढ़ाता है।

भारत में गैर-संचारी रोगों के कारण मृत्यु दर

प्रमुख घटक

  • एनपीसीडीसीएस के तहत स्थापित सुविधाएं- 682 जिला एनसीडी क्लीनिक, 191 जिला कार्डियक केयर यूनिट, 5,408 सीएचसी एनसीडी क्लीनिक।
  • निवारक देखभाल और जागरूकता- कल्याण गतिविधियों और सामुदायिक पहुंच के साथ आयुष्मान भारत एचडब्ल्यूसी के माध्यम से कार्यान्वित किया गया।

2. आयुष मंत्रालय: पारंपरिक और समग्र कल्याण प्रथाओं को बढ़ावा देना

आयुष मंत्रालय ने मोटापे से निपटने और आयुर्वेद के माध्यम से प्रभावी वजन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों को लागू किया है:

  1. विशेष आयुर्वेदिक देखभाल: नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) मोटापे और उससे संबंधित जीवनशैली विकारों के लिए विशेष उपचार प्रदान करता है। इन उपचारों में पंचकर्म चिकित्सा, आयुर्वेदिक दवाएं, व्यक्तिगत आहार संबंधी दिशा-निर्देश और योग चिकित्सा शामिल हैं। आज तक, मधुमेह और चयापचय संबंधी विकारों से पीड़ित लगभग 45,000 रोगियों को इन सेवाओं से लाभ मिला है।

  1. शोध और साक्ष्य सृजन: केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) मोटापे सहित जीवनशैली विकारों के लिए आयुर्वेदिक हस्तक्षेपों की सुरक्षा और प्रभावकारिता को प्रमाणित करने के लिए शोध करता है। अध्ययनों से पता चला है कि दिनचर्या (दैनिक दिनचर्या), ऋतुचर्या (मौसमी दिनचर्या), आहार (आहार संबंधी दिशा-निर्देश) और योग जैसी प्रथाएं समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने और मोटापे जैसी स्थितियों को रोकने में प्रभावी हैं।
  2. आयुर्वेद स्वास्थ्य योजना: वित्त वर्ष 2021-22 से लागू इस केंद्रीय क्षेत्र की योजना’ आयुष और सार्वजनिक स्वास्थ्य’ शामिल है मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे मुद्दों का समाधान निकाल रही हैं।
  3. सहयोगात्मक अनुसंधान प्रयास: आयुर्वेद में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से सहयोग स्‍थापित किया है। यह सहयोग ऐसे अनुसंधान कार्यक्रमों को विकसित करने और लागू करने पर केंद्रित है जो पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करते हैं, विशेष रूप से मोटापे जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों के प्रबंधन में।

इन व्यापक उपायों के माध्यम से आयुष मंत्रालय मोटापे की रोकथाम और प्रबंधन में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है तथा स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा दे रहा है।

3. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय:

पोषण अभियान: बचपन में मोटापे की रोकथाम

8 मार्च 2018 को शुभारंभ किया गया पोषण अभियान, समग्र पोषण के लिए भारत सरकार की प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करना है, ताकि एक ऐसा एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा सके जो कुपोषण से निपटने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए पोषण सामग्री, वितरण और जागरूकता को बढ़ाए।

पोषण अभियान और पोषण 2.0 के प्रमुख घटक

पोषण अभियान जन आंदोलन के तहत प्रौद्योगिकी-संचालित निगरानी, ​​बहु-मंत्रालयी सहयोग और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से कुपोषण से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। यह घरेलू पोषण के लिए पोषण वाटिका (न्यूट्री-गार्डन) को बढ़ावा देता है, मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 (2021) के तहत आंगनवाड़ी सेवाओं और किशोर स्वास्थ्य को मजबूत करता है, और आयुष-आधारित कल्याण प्रथाओं को एकीकृत करता है। कार्यक्रम मातृ और बाल पोषण, आहार विविधता और खाद्य सुदृढ़ीकरण पर जोर देता है, एनीमिया और कमियों से निपटने के लिए बाजरा की खपत और पोषक तत्वों से भरपूर आहार को प्रोत्साहित करता है।

4. युवा मामले और खेल मंत्रालय: शारीरिक फिटनेस की संस्कृति को बढ़ावा देना

4.1 फिट इंडिया मूवमेंट: एक जन फिटनेस क्रांति

  • 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा शुभारंभ किया गया फिट इंडिया मूवमेंट सक्रिय जीवन शैली को बढ़ावा देता है और व्यक्तियों को दैनिक दिनचर्या में फिटनेस को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है ।
  • प्रमुख घटक:
    • अपने पाठ्यक्रम में शारीरिक गतिविधि को शामिल करने वाले स्कूलों के लिए फिट इंडिया स्कूल प्रमाणन ।
    • फिट इंडिया संडे ऑन साइकिल पहल शहरी क्षेत्रों में साइकिल चलाने और पैदल चलने को बढ़ावा देती है

केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने ‘फिट इंडिया साइकिलिंग अभियान’ का उद्घाटन किया

    • सामुदायिक नेतृत्व वाले फिटनेस कार्यक्रम जैसे सामूहिक योग सत्र, रनिंग क्लब और कार्यस्थल फिटनेस चुनौतियां।

4.2 खेलो इंडिया कार्यक्रम: एक सक्रिय पीढ़ी का निर्माण

खेलो इंडिया-राष्ट्रीय खेल विकास कार्यक्रम की शुरुआत 2016-17 में की गई थी, जिसका उद्देश्य स्कूलों से लेकर शीर्ष प्रतियोगिताओं तक सभी स्तरों पर खेलों में भागीदारी को बढ़ावा देना है। इसके लिए देश भर में एथलेटिक उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है। इसका उद्देश्य युवा एथलीटों को उच्च-स्तरीय प्रशिक्षण और विश्व-स्तरीय बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें अपने-अपने खेलों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधन प्राप्त हों। यह योजना ग्रामीण और शहरी भारत में समान खेल अवसर सुनिश्चित करती है।

प्रमुख उपलब्धियां:

5. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई): सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खाद्य विनियमन

5.1 ईट राइट इंडिया मूवमेंट (एफएसएसएआई): स्वस्थ भविष्य के लिए खाद्य विकल्पों में सुधार

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा शुरू किया गया ईट राइट इंडिया अभियान, सभी के लिए सुरक्षित, स्वस्थ और स्‍थायी भोजन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई प्रमुख पहलों को शामिल करता है। नीचे प्राथमिक पहलों का विवरण दिया गया है:

ईट राइट इंडिया की प्रमुख पहल

आपूर्ति पक्ष पहल:

  • खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण एवं प्रमाणन (एफओएसटीएसी): खाद्य सुरक्षा प्रशिक्षण एवं प्रमाणन (एफओएसटीएसी) प्रमाणपत्र एफएसएसएआई द्वारा जारी किया जाता है, जो प्रत्येक खाद्य व्यवसाय में खाद्य सुरक्षा पर्यवेक्षकों को प्रमाणित करता है।
  • प्रमाणन कार्यक्रम: स्ट्रीट फूड हब, बाज़ारों, स्टेशनों और पूजा स्थलों में स्वच्छता सुनिश्चित करता है।
  • स्वच्छता रेटिंग: रेस्तरां, खानपान सेवाओं, मिठाई की दुकानों और मीट विक्रेताओं को स्वच्छता मानकों के आधार पर रेटिंग दी जाती है।

मांग-पक्ष पहल:

  • उपभोक्ता जागरूकता: ईट राइट कैम्पस और ईट राइट स्कूल कार्यक्रमों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना।
  • मिलावट का पता लगाना: घर और स्कूल में भोजन के परीक्षण के लिए डीएआरटी बुक और मैजिक बॉक्स उपलब्ध कराता है ।

खाद्य सुरक्षा डीएआरटी पुस्तक – रैपिड टेस्ट से मिलावट का पता लगाना (डीएआरटी) पुस्तिका सरल समाधानों का उपयोग करके खाद्य पदार्थों में मिलावट का पता लगाने के लिए 50 से अधिक आसान घरेलू परीक्षण प्रदान करती है। सार्वजनिक जागरूकता के लिए इसे निःशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है, इसका उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों या एफएसएसआई समर्थन के लिए नहीं किया जा सकता है।

खाद्य सुरक्षा मैजिक बॉक्स – एफएसएसएआई की खाद्य सुरक्षा मैजिक बॉक्स-साथी पुस्तक स्कूलों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए एक शिक्षण उपकरण है, जिसमें खाद्य पदार्थों में मिलावट का पता लगाने के लिए 102 सरल परीक्षण, साथ ही एक साथी गाइडबुक भी शामिल है।

                 

खाद्य सुरक्षा-जादुई बॉक्स         खाद्य सुरक्षा- डार्ट बुक

  • मोबाइल परीक्षण: दूरदराज के क्षेत्रों में परीक्षण और प्रशिक्षण के लिए फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स की तैनाती।
  • खाद्य सुदृढ़ीकरण: सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने के लिए सुदृढ़ीकृत खाद्य पदार्थों को बढ़ावा दिया जाता है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) मोटापे और जीवनशैली से संबंधित बीमारियों से निपटने के लिए सार्वजनिक आहार विकल्पों का मार्गदर्शन करने और खाद्य सुरक्षा मानकों को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

5.2 राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान- ‘आज से थोड़ा कम’ स्वस्थ खान-पान की आदतों को प्रोत्साहित करने के लिए, एफएसएसएआई ने ‘आज से थोड़ा कम’ अभियान का शुभारंभ किया, जिसमें उपभोक्ताओं से धीरे-धीरे वसा, चीनी और नमक का सेवन कम करने का आग्रह किया गया। इस मल्टीमीडिया अभियान में शामिल हैं:

  • विविध दर्शकों तक पहुंचने के लिए 12 भाषाओं में उपशीर्षक के साथ लघु शैक्षिक वीडियो।
      • ध्यानपूर्वक भोजन करने के संदेश को प्रसारित करने वाले विज्ञापन, बैनर और ऑडियो क्लिप।
      • एक समर्पित ‘ईट राइट इंडिया’ वेबसाइट, जो सूचित आहार परिवर्तन करने के लिए बहुमूल्य संसाधन प्रदान करती है।

5.3 उच्च वसा, नमक और चीनी (एचएफएसएस) खाद्य पदार्थों का विनियमन एफएसएसएआई ने आईसीएमआर-राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) के सहयोग से उच्च वसा, नमक और चीनी (एचएफएसएस) खाद्य पदार्थों की अनिवार्य लेबलिंग की सिफारिश की है। इस पहल का उद्देश्य है:

    • तैयार खाद्य पदार्थों पर पैक के सामने स्पष्ट लेबलिंग सुनिश्चित करें।
    • उपभोक्ताओं को सूचित विकल्प चुनने में सहायता करें तथा अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।

5.4 बहु-मंच जन जागरूकता पहल सरकार, एफएसएसएआई के नेतृत्व, निम्नलिखित के माध्यम से सक्रिय रूप से जागरूकता फैला रही है:

क. प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया अभियान जनता को स्वास्थ्यवर्धक भोजन विकल्पों के बारे में शिक्षित करेंगे।

ख. कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) के साथ एकीकरण, जो मोटापे की रोकथाम और स्वस्थ जीवन शैली पर राज्य स्तरीय जागरूकता गतिविधियों का समर्थन करता है।

5.5 आरयूसीओ पहल

एफएसएसआई की आरयूसीओ (रीपर्पस यूज्ड कुकिंग ऑयल) पहल यह सुनिश्चित करती है कि इस्तेमाल किया हुआ कुकिंग ऑयल खाद्य श्रृंखला में दोबारा शामिल न हो, बल्कि सुरक्षित तरीके से फिर से इस्तेमाल किया जाए। जब ​​तेल को तलने के लिए बार-बार इस्तेमाल किया जाता है, तो हानिकारक टोटल पोलर कम्पाउंड (टीपीसी) बनते हैं, जिससे उच्च रक्तचाप, एथेरोस्क्लेरोसिस और यकृत विकारों जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए, एफएसएसआई ने 25 प्रतिशत टीपीसी सीमा तय की है, जिसके बाद तेल का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। ईईई रणनीति (शिक्षा, प्रवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र) के तहत, इस्तेमाल किया हुआ कुकिंग ऑयल एग्रीगेटर्स द्वारा खाद्य व्यवसायों से एकत्र किया जाता है और बायोडीजल या साबुन उत्पादन के लिए पुनर्निर्देशित किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।

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