@ नई दिल्ली
सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2023-24 अत्यंत शानदार रहा है। बड़ी तेजी से बदलती भू-राजनीति और कच्चे तेल की कीमतों में व्यापक उतार-चढ़ाव होने के बावजूद तेल विपणन कंपनियों ने न केवल किफायती दरों पर ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित की है क्योंकि इस दौरान वैश्विक स्तर पर ईंधन की महंगाई भारत में भी सबसे कम रही है, बल्कि इन कंपनियों ने सराहनीय वार्षिक परिणाम जारी करके शेयरधारकों का विश्वास भी काफी हद तक बढ़ा दिया है।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही से वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही के वित्तीय प्रदर्शन की तुलना करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि निराशाजनक तस्वीर पेश की जा सके और उनके समग्र वार्षिक प्रदर्शन को कम करके आंका जा सके।
इनमें सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ उत्पादन, उत्कृष्ट पूंजीगत व्यय के उपयोग, और बाकायदा पूरी की जा चुकी परियोजनाओं जैसे मापदंडों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से अनुचित है और इसमें ऐसी तस्वीर पेश की गई है जो सही नहीं है।
वित्त वर्ष 2023-24 में तेल विपणन कंपनियों का संयुक्त लाभ 86,000 करोड़ रुपये रहा, जो असाधारण रूप से कठिन रहे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 25 गुना अधिक है। 2023-24 के पूरे वित्त वर्ष में HPCL ने पिछले वर्ष के 6,980 करोड़ रुपये के घाटे के मुकाबले 16,014 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ कमाया। इसी तरह आईओसीएल ने ऐतिहासिक सर्वश्रेष्ठ रिफाइनरी उत्पादन, बिक्री मात्रा और शुद्ध लाभ के साथ एक उत्कृष्ट वर्ष का समापन किया।
वित्त वर्ष 2023-24 में BPCL का कर पश्चात लाभ 26,673 करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 13 गुना अधिक है। इसके अलावा ‘प्रोजेक्ट एस्पायर’ के तहत 5 वर्षों में 1.7 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई गई है जो कि इसके शेयरधारकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य सुनिश्चित करने की इसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
कंपनी परिणामों की घोषणा के बाद BPCL और HPCL के शेयर भावों में उछाल के साथ बाजार ने इन पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। इसके अलावा, विश्लेषकों ने इसके शानदार प्रदर्शन का संज्ञान लिया है और उनमें से कई ने इसे खरीदने की सिफारिश की है, जो इसके वार्षिक प्रदर्शन और चालू वित्त वर्ष के लिए इसके आउटलुक की मजबूत पुष्टि है।
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कामकाज में स्वतंत्रता और जवाबदेही के सही मिश्रण की अनुमति देकर ओएमसी की क्षमता को उन्मुक्त कर दिया है। सरकार इनके व्यावसायिक निर्णयों से अपनी पूरी दूरी बनाए रखती है, जबकि ‘विकसित भारत, 2047’ के विजन के अनुरूप इनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूर्ण समर्थन और प्रोत्साहन देती है।