@ नई दिल्ली
बंदरगाह,जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने ड्रेज्ड सेडिमेंट्स (झीलों, नदियों, बंदरगाहों और अन्य जल निकायों के तलछट में जमा गाद, कचरा आदि) के मूल्यवर्धन पर एक शोध प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की स्वीकृत अनुमानित लागत 46,47,380/- रुपये है जिसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे तीन वर्षों की अवधि में क्रियान्वित करेगा।
इस शोध का प्राथमिक उद्देश्य ड्रेज्ड सेडिमेंट्स को विभिन्न निर्माण क्षेत्रों में इस्तेमाल के लायक बनाकर उसका मूल्यवर्धन करना है। इस नई पहल का उद्देश्य आमतौर पर अपशिष्ट के रूप में देखे जाने वाले ड्रेज्ड सेडिमेंट्स को एक मूल्यवान संसाधन में बदलना है, जिससे सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिलेगा।
इस प्रस्ताव पर अतिरिक्त सचिव (बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग) की अध्यक्षता में 45वीं शोध समिति की बैठक में गहन विचार-विमर्श किया गया। विस्तृत चर्चा के बाद, शोध समिति ने अध्ययन के संभावित लाभों को देखते हुए प्रस्ताव को आगे विचार के लिए अनुशंसित किया। इस अनुशंसा के बाद, प्रस्ताव को आधिकारिक रूप से मंजुरी दे दी गई है।
यह शोध पहल टिकाऊ समुद्री कार्यप्रणाली में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। ड्रेज्ड सेडिमेंट्स को उपयोगी निर्माण वस्तुओं में बदलकर पर्यावरण संबंधी समस्याओं का निदान और संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
एमओपीएसडब्ल्यू समुद्री क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। अत्याधुनिक परियोजनाओं का समर्थन करके और आईआईटी बॉम्बे तथा आईआईटी मद्रास जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग करके, मंत्रालय का लक्ष्य बंदरगाह संचालन और पर्यावरण संरक्षण के लिए टिकाऊ और कुशल समाधान विकसित करना है।