अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में रामायण शोधपीठ स्थापित होगा

@ भोपाल मध्यप्रदेश :-

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में रामायण शोधपीठ की स्थापना की जाएगी। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, संस्कृति राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मेन्द्र सिंह लोधी और जगतगुरू रामभद्राचार्य ने शिलापट्टिका का अनावरण किया। विश्वविद्यालय के शंभूनाथ शुक्ल सभागार में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए जगतगुरू ने कहा कि राम चारित्र वत्सल हैं।

उनका आदर्श अनुकरणीय है। जितना विपुल साहित्य भगवान राम का है उतना और किसी का नहीं है। रामायण शोध पीठ की स्थापना रीवा विश्वविद्यालय के लिए शुभ हो और यह रामायण के शोधार्थियों के लिए वरदान बने। इसकी स्थापना रीवा के पूर्व महाराज रामायण अनुरागी रघुराज सिंह को श्रद्धांजलि भी होगी।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आचार्यों को ऐसी मर्यादा प्रस्तुत करनी चाहिए जिससे शिष्य उनका अनुकरण करें। जगतगुरू ने रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि तुलसी जयंती के अवसर पर तुलसी शोध पीठ में रामायण शोध पीठ की स्थापना की जाएगी।

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि देश की सबसे बड़ी ताकत आध्यात्म धर्म और संस्कृति है। इनके साथ से ही विकास वरदान बन जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस विन्ध्य भूमि में भगवान राम ने वनवास के 14 वर्ष बिताये वहाँ रामायण पीठ की स्थापना आवश्यक है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ने अनुकरणीय कार्य किया है। आज का दिन अविस्मरणीय रहेगा जब जगतगुरू के कर-कमलों से पीठ की स्थापना का उद्घाटन हुआ। रामायण पीठ के माध्यम से रामायण के गुणों को अंगीकार करने और शोधार्थियों को नवीनतम शोध में मदद मिलेगी। उन्होंने रामायण पीठ के लिए 25 लाख रुपए देने की घोषणा की तथा आश्वस्त किया कि अन्य आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जाएगी।

संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास और धर्मस्व राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने कहा कि रामायण के माध्यम से भारतीय संस्कृति का प्रगटीकरण होता है। चरित्रवान व मर्यादाशील होने का भगवान राम से सीख मिलती है। रामायण की शिक्षाएं आज के परिवेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम सबको इन उपदेशों को अंगीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि रामायण से जीवन की दशा को सुधार कर चरित्रवान बनते हुए देशहित के लिए सीख मिलती है। सभी सुखी हों और सबका कल्याण हो यह रामराज्य की परिकल्पना है।

सांसद जनार्दन मिश्र ने रामायण पीठ की स्थापना के लिए साधुवाद देते हुए सांसद निधि से 25 लाख रुपए देने की घोषणा की। कुलगुरू दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट शिशिर पाण्डेय ने कहा कि रामायण में लोकमंगल की भावना निहित है। समाज और राष्ट्र के उत्थान में जगतगुरू का महान योगदान है। कुलसचिव सुरेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि देश के चौथे रामायण शोध पीठ की स्थापना अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में की जा रही है।

नोडल अधिकारी नलिन दुबे ने शोध पीठ की स्थापना एवं उसके महत्व के विषय में जानकारी दी। कुलगुरू अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय प्रोफेसर राजेन्द्र प्रसाद कुड़रिया, अध्यक्ष नगर निगम व्यंकटेश पाण्डेय सहित आचार्यगण, गणमान्यजन, छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

LIVE OFFLINE
track image
Loading...